Poet of Hindi, Urdu, English, Bengali and Punjabi. I also translate gems of Urdu poetry. Orthopedic surgeon.
Sunday 29 September 2024
GHAZAL.. ALLAMA IQBAL... KABHI AE HAQIQAT-E-MUNTAZIR! NAZAR AA LIBAS-MAJAAZ MEIN
Friday 27 September 2024
GHAZAL.. KAIF BHOPALI.. DAAGH DUNIYA NE DIYE ZAKHM ZAMANE SE.MILE.....
Thursday 26 September 2024
श्रीराम दशावतार... मूल भाषा कन्नड़... कवि श्री प्रदीप श्रीनिवासन... हिन्दी पद्यानुवाद रवि मौन
Sunday 22 September 2024
भक्त पर कृपा...... रवि मौन
Tuesday 17 September 2024
माखनचोर हमारा कान्हा , कृष्ण हमारे माखनचोर... मूल कन्नड़ कवि... के एस निसार अहमद... हिन्दी पद्यानुवाद
पल्लवी...माखनचोर हमारा कान्हा
कृष्ण हमारे माखनचोर
अनुपल्लवी...
अपने घर पर माखन चोरी करते गिरे कन्हाई।
घुटना फूला मटकी फूटी ध्वनि चहुँ दिस गहराई।
माँ डाँटेगी यही सोच कर तुरत कन्हैया डर गया।
यही सोच कर कान्हा की आँखों में पानी भर गया।
चरण.....
माता सुन कर दौड़ी आई आँखों में था रोष।
क्षण भर में काली सा घूरा समझा सुत का दोष।
चतुर चोर था किन्तु उसे मैया को दिखलाना था।
चारों ओर लगा था माखन माँ को मुस्काना था।
बचे दण्ड से, छोड़ श्वास तब नीले माखनचोर।
हँसे, पूर्ण चन्दा सी कान्ति फैल गई चहुँ ओर।
कृष्ण करें आकर्षण सहज बाल सा इनका हास।
आशा है वे भी हँसें जिन्हें न प्रिय परिहास।
कविता भाषा... कन्नड़
कवि... के. एस. निसार अहमद
हिन्दी पद्यानुवाद.. रवि मौन
Friday 13 September 2024
श्री कृष्ण प्रश्नावली..मूल भाषा कन्नड़. कवि... श्री प्रदीप श्रीनिवासन.... हिन्दी पद्यानुवाद
श्री कृष्ण प्रश्नावली भाग एक:
मिट्टी क्यों खा रहे कन्हैया? कहें डाँटती जसुमति मैया!
तो आक्षेप वाणि में लाकर। कहने लगे कृष्ण झुँझला कर।
तुम ही तो कहती हो माता। मिट्टी में रस बहुत समाता।
इसे खींच कर पौधे बढ़ते। सब्ज़ी खाकर हम भी बढ़ते।
आज मुझे ये सूझा माता। थोड़ा सार रास नहीं आता।
यदि मैं सीधी मिट्टी खाऊँ। रस पा शीघ्र बड़ा हो जाऊँ।
ठीक नहीं हो तुम भी माता। भेद-भाव ही करना आता।
विष पीते जो शङ्कर माता। प्रतिदिन उन्हें पूजना भाता।
छोटा बालक मिट्टी खाता। उसे डाँटती हो तुम माता।
श्री कृष्ण प्रश्नावली भाग दो:
बेटे की बातों को सुन कर। मची खलबली माँ के अन्दर।
सब आरोप लगाती गोरी। तुम माखन करते हो चोरी।
अपने घर भी तो है माखन। क्यों चोरी हो औरों का धन?
इस से तो माटी ही खालो। मत चोरी की आदत डालो।
मैया सभी ग्राम के अन्दर। करें ठिठोली मुझ को तक कर।
गोरे पिता व गोरी माता। काला रंग कहाँ से आता?
मेरे मित्र चाहने वाले। दें सलाह तू माखन खाले।
माखन होता सादा सुन्दर। कान्हा इसको देखो खाकर।
खाओ माखन सब के संग। तुम भी पा लो गोरा रंग।
अपनी गाय स्वयम् ही कारी। कैसे त्वचा करे उजियारी?
खाया चोरी कर के माखन। मुझको पाना है तुमसा तन।
श्री कृष्ण प्रश्नावली भाग तीन
सुनी चतुरता भरी बात जब। माता हर्षित, विस्मित थी तब।
क्या यह है मेरा ही बेटा? कहा तुम्हीं बतलाओ बेटा।
सन्तों ने ये मुझे कहा था। नहीं सिर्फ़ यह तेरा बेटा।
यह पर तत्व यही है ब्रह्मा। देखो लीला समझो अम्मा।
सोता है वट के पत्ते पर। पैर अँगूठा मुख में रख कर।
सन्त कहें जो सच है माता। वे जानें मैं जान न पाता।
उनको यदि अमृत भी दोगी। तो भी उसे न लेंगे योगी।
चरणकमल का रस पीते हैं। इसको ही पी कर जीते हैं।
यह कौतूहल मुझमें पला । मेरे पाँव में क्या है भला।
रखा उसको मुँह में ला कर। रहूँ लचीला शिशु तन पा कर।
बातें सुन चुप हुईं ब्रह्माणी। ब्रह्म जनक बालक यह ज्ञानी।
यह मेरा ही बेटा है क्या। विस्मित हो कर माँ ने देखा।
अगले ही पल ढुलमुल था सब। ढका बुद्धि को ममता ने तब।
त्रिभुवन के पालक लाल हुए। माता के आकर लगे गले।
क्षण भर पहले जो भक्त रही। वे जसुमति मैया तुरत बनी।
मूल कविता भाषा कन्नड़
कवि श्री प्रदीप श्रीनिवासन