Thursday, 21 March 2024

कग्गा त्रितीय प्रार्थना पद. हिन्दी पद्यानुवाद

है कि नहीं है नर अनजान, गहन तत्व ना दे संधान ।
स्वयं बनें जग, जड़ औ 'जीव, करें विहार सभी में आन ।
यह मंगलकर है सुंदर है, सत्य तुम्हारा, ध्यान अगर है।
अंतर्मन से जब निश्चित हो, शरण गहो हे भोलेराम ।।

Wednesday, 20 March 2024

कग्गा ९८ व ९९ पदों के भावांश

Curvacious, poetic, lovely, free-flowing indeed.
Not so straight as is truth, as all religions feed.
Lovely sounds from nature  refined in various shades.
Shaped in various combinations, turned to musical seed.
Curvacious, poetic, lovely, free-flowing indeed.
Not so straight as is truth, as all religions feed.
Lovely sounds from nature refined in various shades.
Shaped in various combinations, turned to musical seed.

 
कुछ तेरे बारे में जानूँ , कुछ अब भी अनजान। 
चंचल भी हो सौम्य भी, क्या यह ही पहचान?
सम व असम कुछ भाव तुम्हारे, यही बढ़ाते चाह।
कभी तुम्हें समझाना चाहूँ, कभी कहूँ मैं वाह। 

Tuesday, 19 March 2024

मंकुतिम्मा द्वितीय प्रार्थना पद---- हिन्दी पद्यानुवाद




जड़ चेतन का अखिल सृष्टि में होता रहता है विस्तार। 
करे आवरण इस का औ' भीतर भी है जिस का संचार। 
अप्रमेय है भाव तर्क से परे, सुना ऐसा अविराम। 
है यह शक्ति विशेष झुको इस के आगे हे भोलेराम ।

Sunday, 17 March 2024

मंकुतिम्मा. प्रार्थना का प्रथम पद हिन्दी पद्यानुवाद

विष्णु विश्व के भीतर बाहर, अखिल सृष्टि में रहे समाय।
कारणब्रह्म व ब्रह्मातीत, देव प्रकृति को रहे खिलाय। 
 अनदेखे अनजाने से भी श्रद्धा प्रीति करे समुदाय। 
यह विचित्र है, इस विचित्रता के आगे दो शीश झुकाय।। 
      - - - - - - मंकुतिम्मा - - - - - - 



Saturday, 9 March 2024

वातावरण है जन्मदिन का हर तरह उल्लास है।

वातावरण है जन्मदिन पर हर तरह उल्लास है।
चेहरा हर एक खिला हुआ है और सुरभित श्वास है। 
है लाड़ली बिटिया अकेली दादी माँ की जान सी। 
यह कुल का गौरव है हमारी जाति के अभियान सी।
हम क्यों न गर्वित हों हमारे कुल का आभूषण बने।
संस्कृति हमारे देश का मन, विश्व का स्पन्दन बने। 
रक्षा करें इस बालिका की ईश चारों ओर से। 
गणपति इसे वह ज्ञान दें उन्नति करे हर छोर से। 

                  रवि मौन