Saturday 6 July 2024

अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः श्लोक संख्या ६

नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी ।
कैवल्यं इव सम्प्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम्।। ६।।
अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः ज्ञानाष्टक 
श्लोक संख्या ६

हिन्दी पद्यानुवाद.    रवि मौन 

न तो मैं शरीर हूँ न ये शरीर मेरा है। 
मैं विशुद्ध बोध हूँ यही निश्चय मेरा है। 
देह होते हुए भी विदेह यह सत्पुरुष का नूर। 
कृत अकृत को भुला कर आकांक्षा से दूर।। ६।।


Wednesday 3 July 2024

अष्टावक्र महागीता. एकादश प्रकरणः श्लोक संख्या ।। ३।।

आपदः सम्पदः काले दैवादेवेति निश्चयी।
तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति।। ३।।

सम्पद आपद दैवयोग से मिलें समय अनुसार। 
जो जाने यह सत्य, वही हो पूर्ण तृप्त हर बार। 
जीते वह नर सभी इन्द्रियाँ, इच्छा रहे न एक। 
पाकर होय प्रसन्न न ,खो हों न विषाद अनेक।। ३।।

              हिन्दी पद्यानुवाद.... रवि मौन 

Saturday 29 June 2024

अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः ज्ञानाष्टक

नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी। 
कैवल्यं इव संप्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम्।। 

अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः. ज्ञानाष्टक

हिन्दी पद्यानुवाद रवि मौन 

न तो मैं शरीर हूँ और न यह शरीर मेरा है। 
मैं तो विशुद्ध बोध हूँ यह सत्निश्चय मेरा है।
कृत-अकृत को भुला कर जब इच्छा हों दूर।
नर विदेह इस से बने रहे देह भरपूर।। 

Wednesday 26 June 2024

काला नीला है आस्माँ ऊपर

काला नीला है आस्माँ ऊपर
हल्की लाली उषा की पश्चिम में
दूर तक काला घना जंगल है 
दूधिया सामने हैं यूक्लिप्टस
एक ऊँचा सा मानवी करतब
जिसमें बिजली गुज़र रही होगी 
यूक्लिप्टस के बीच ऐसे खड़ा 
अपने होने का दिलाता अहसास 

आते-जाते सड़क पे जो वाहन
रात का चीरते हैं सन्नाटा
सामने घर है रेंज अफ़सर का
मिल चुका हूँ मैं उससे आफ़िस में
बाएँ है तुरबतों का इक फैलाव
जानता हूँ यहाँ सुकूँ होगा 
बढ़ रहा है ये शहर हर जानिब
फिर भी इस जा नहीं ऊँचा होगा 

सामने गहरा काला जंगल है
इस पे भी कोई हाथ न डाले 
मैं इसी घर में रहना चाहूँगा
ये शहर इक पठार पर है बसा
घर में मेहमान बच्चा पूना से
मुल्क में दो ही जगह हैं शायद 
खुशगवार होता है जहाँ मौसम
ख़्वाह गर्मी हो सर्दी या बारिश
जानता हूँ कि मेरे दोस्त कई
झेल कर सख़्त थपेड़े लू के
घर से बाहर न निकलते होंगे 

अभी बोला है पास ही बुलबुल 
मर्द पक्षी की कर्णप्रिय आवाज़
मोर की ध्वनि सुनाई देती है 
ये भरम शायरी में फैला है 
इसको विज्ञान तोड़ ही देगा
मोरनी से है मोर ही सुंदर 
मादा बुलबुल मटमैली है

बचपन में दाने डालने के लिए 
धर्मशाला की छत पे जाते थे
चुगने आते थे कबूतर और मोर
खड़े रहते थे थोड़ी दूर पर 
दाने चुगने के बाद भी इक मोर
साथ दो-तीन मोरनी रहतीं
कभी-कभी वो नाचने लगता
(मानो एहसाँ का बदला देता हो) 
मोरनी चाहती हों देख सकें 
उसकी रंगीन छटा आगे से
घूम जाता था पीठ कर के मोर

अपने ही वंश चलाने के लिए 
सारे पंछी ही नाचते जग में 
अपनी मादा को रिझाने के लिए 
बया बुनता है ख़ुब मेहनत से 
घोंसला आ के देखती मादा
अच्छा लगने पे बैठ जाती है
वर्ना वो दूसरा बनाता है

फिर से बोला है पास ही बुलबुल 
एक जोड़ा हमारे बाग़ में भी
पेड़ पर आ के बैठ जाता था 
जब कभी फल लगे हुए होते 
अपनी यादों की ओढ़ कर चादर
बैठा कुर्सी पे लिख रहा हूँ मैं
मैंने पंखे को चलाया ही नहीं 
शुक्र कैसे अदा करूँ भगवन
मुझ से ये ढंग से नहीं होता 

रवि मौन 
बुधवार सुब्'अ
तारीख़ याद नहीं 
वक़्त देखा नहीं 













Saturday 22 June 2024

अष्टावक्र महागीता दशम् प्रकरणः श्लोक संख्या द्वितीय

स्वप्नेन्द्रजालवत् पश्य दिनानि त्रीणि पंच वा।
मित्रक्षेत्रधनागार-दारदायादि संपदः।। २।।

हिन्दी पद्यानुवाद 

मित्र, खेत, सम्पत्ति, घर, पत्नी, इन्द्रिय जाल। 
दृश्यमान सम्बन्ध ये सभी, क्षणिक है काल। 
देते इन्द्रिय सुख सभी, कुछ दिन का ही जान। 
अल्पावधि के स्वप्न सब, इन्हें क्षणिक ही मान।। २।।


Wednesday 19 June 2024

मुक्त षष्टपदी..... एक खिड़की से दिख रहा है सब......

एक खिड़की से दिख रहा है सब।
ऊँचे - ऊँचे मकान, घर, झुग्गी ।
स्वस्थ रहने के सारे साधन हैं। 
सामने टूटे काँच के हैं ढेर। 
रह रहे हैं जो लोग इन सब में। 
एक ही इनका सृजनकर्ता है? 

Saturday 15 June 2024

अष्टावक्र महागीता नवम् प्रकरणः शलोक संख्या छः

कृत्वा मूर्तिपरिज्ञानं चैतन्यस्य न किं गुरुः।
निर्वेदसमतायुक्तया यस्तारयति संसृतेः।। ६।।

हिन्दी पद्यानुवाद....... रवि मौन 

जान कर चैतन्य को विवेक से करे हर विधि।
त्याग, समता, युक्ति से पार करे संसार निधि।
क्या वह गुरु नहीं? सच्चे अर्थों में वही। 
ऐसा ही समद्रष्टा, त्यागी गुरु है वही।। ६।।

Friday 14 June 2024

AHMAD FARAZ.. GHAZAL. AANKH SE DUUR NA JAA DIL SE UTAR JAAYEGA

आँख से दूर न हो दिल से उतर जाएगा 
वक़्त का क्या है गुज़रता है गुज़र जाएगा

Don't fade from my sight, may have a pretty pass. 
Have a time of your life  for it wtll soon pass

इतना मानूस न हो ख़ल्वत-ए-ग़म से अपनी 
तू कभी ख़ुद को भी देखेगा तो डर जाएगा 

Don't be so intimate with the privacy of sorrows. 
You' ll be afraid of self, looking at your 
class. 

डूबते डूबते कश्ती को उछाला दे दूँ 
मैं नहीं कोई तो साहिल पे उतर जाएगा 

Before drowning, let me bounce the boat
 once. 
Not I, but someone will reach the shore
 mass. 

ज़िंदगी तेरी अता है तो ये जाने वाला 
तेरी बख़्शिश तिरी दहलीज़ पे धर जाएगा 

Life is your gift, so while departing with
 you 
Lay your present on the doorstep 'n then
 pass. 
 
ज़ब्त लाज़िम है मगर दुख है क़यामत का 'फ़राज़' 
ज़ालिम अब के भी न रोएगा तो मर जाएगा 

Self control is needed but pain is intense 'Faraz'! 
If he doesn't cry still, will then go under
 grass. 


Thursday 13 June 2024

अष्टावक्र महागीता नवम् प्रकरणः चतुर्थ श्लोक संख्या


कोऽसौ कालो वयः किंवा यत्र द्वन्द्वानि
नो नृणाम्।
नान्युपेक्ष्य यथा प्राप्तवर्ती सिद्धिमवाप्नुयात्।। 4।।

हिन्दी पद्यानुवाद रवि मौन

कोई पल या स्थिति नहीं इस अनित्य संसार में।
जब न मानव फँसा हो इस द्वंद्व के व्यवहार में।
इस सत्य की करता उपेक्षा सिद्ध कहलाता वही।
जो भाग्य से उपलब्ध है स्वीकार कर पाता तभी।। 4।।

अष्टावक्र महागीता नवम् प्रकरणः तृतीय श्लोक

अनित्यं सर्वमेवेदं तापत्रयदूषितं।
असारं निन्दितं हेयमि-ति निश्चित्य शाम्यति।। 3।।

हिन्दी पद्यानुवाद----रवि मौन 

दूषित तीनों ताप से है यह विश्व अनित्य। 
यह असार, निन्दित, घृणा योग्य ही रहा नित्य। 
निश्चयपूर्वक जो इसे ज्ञानी लेता जान। 
परम शांति पाता वही, पूर्ण उसी का ज्ञान।। 3 ।। 

Sunday 9 June 2024

JIGAR MURADABADI.. GHAZAL.. TABIIAT IN DINON BEGAANA-E--GHAM HOTII JAATI HAI

तबीअत इन दिनों बेगाना-ए-ग़म होती जाती है 
मिरे हिस्से की गोया हर ख़ुशी कम होती जाती है 

My condition these days is getting alien to grief. 
The pleasure on my part is getting so brief. 

सहर होने को है बेदार शबनम होती जाती है 
ख़ुशी मंजुमला-ओ-अस्बाब-ए-मातम होती जाती है 

The dew drops are awake and attentive in morn '. 
The pleasure has paraphernalia of mourning in grief. 

क़यामत क्या ये ऐ हुस्न-ए-दो-आलम होती जाती है 
कि महफ़िल तो वही है दिल-कशी कम होती जाती है 

Beauty of both the worlds is a doom in it's own . 
Gathering is the same, but appealing just belief. 

वही मय-ख़ाना-ओ-सहबा वही साग़र वही शीशा 
मगर आवाज़-ए-नोशा-नोश मद्धम होती जाती है 

Tavern,drink, goblet and glass are just the same. 
But cheering, clicking sounds are bringing no relief. 

वही हैं शाहिद-ओ-साक़ी मगर दिल बुझता जाता है 
वही है शम्अ' लेकिन रौशनी कम होती जाती है 

Wine girl is same. A beauty! But dampens the heart! 
The candle is same but light is dimming and brief. 

वही शोरिश है लेकिन जैसे मौज-ए-तह-नशीं कोई 
वही दिल है मगर आवाज़ मद्धम होती जाती है 

Commotion is same but there's a wave under surface. 
Heart is the same but sound is dimming not chief. 

वही है ज़िंदगी लेकिन 'जिगर' ये हाल है  
कि जैसे ज़िंदगी से ज़िंदगी कम होती जाती है

O 'Jigar'! Life is same but my condition is such.
Life from my life, appears to be getting brief. 

Saturday 8 June 2024

जो अब भी न तकलीफ़ फ़रमाइएगा 
तो बस हाथ मलते ही रह जाइएगा

Even now, O love! if you don't feel the pain. 
Just rubbing the hands, you will remain. 

निगाहों से छुप कर कहाँ जाइएगा 
जहाँ जाइएगा हमें पाइएगा 



मिरा जब बुरा हाल सुन पाइएगा 
ख़िरामाँ ख़िरामाँ चले आइएगा 

मिटा कर हमें आप पछ्ताइएगा 
कमी कोई महसूस फ़रमाइएगा 

You 'll repent rubbing me off the scene. 
Something is missing, a thought' ll remain. 

नहीं खेल नासेह जुनूँ की हक़ीक़त 

समझ लीजिएगा तो समझाइएगा 

हमें भी ये अब देखना है कि हम पर 

कहाँ तक तवज्जोह न फ़रमाइएगा 

सितम 'इश्क़ में आप आसाँ न समझें 
तड़प जाइएगा जो तड़पाइएगा 

Don't think, torture in love is all that easy. 
O agoniser ! Agony you too, will sustain. 

ये दिल है इसे दिल ही बस रहने दीजे 

करम कीजिएगा तो पछ्ताइएगा 

कहीं चुप रही है ज़बान-ए-मोहब्बत 

न फ़रमाइएगा तो फ़रमाइएगा 

भुलाना हमारा मुबारक मुबारक 

मगर शर्त ये है न याद आइएगा 

हमें भी न अब चैन आएगा जब तक 

इन आँखों में आँसू न भर लाइएगा 

तिरा जज़्बा-ए-शौक़ है बे-हक़ीक़त 

ज़रा फिर तो इरशाद फ़रमाइएगा 

हमीं जब न होंगे तो क्या रंग-ए-महफ़िल 
किसे देख कर आप शरमाइएगा 

How will the grandeur of gathering be ? 
How will you feel shy, if I don't remain? 


ये माना कि दे कर हमें रंज-ए-फ़ुर्क़त 

मुदावा-ए-फ़ुर्क़त न फ़रमाइएगा 

मोहब्बत मोहब्बत ही रहती है लेकिन 

कहाँ तक तबी'अत को बहलाइएगा 

न होगा हमारा ही आग़ोश ख़ाली 

कुछ अपना भी पहलू तही पाइएगा 

जुनूँ की 'जिगर' कोई हद भी है आख़िर 

कहाँ तक किसी पर सितम ढाइएगा 

Friday 7 June 2024

MIR TAQI MIR.. GHAZAL... HASTI APNII HABAAB KI SI HAI.....

हस्ती अपनी हबाब की सी है 
ये नुमाइश सराब की सी है 

My life is a bubble to blow. 
As if a mirage is on show. 

नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए 
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है 

How to define her delicate lips? 
As if it's a  rose petal glow. 

चश्म-ए-दिल खोल इस भी आलम पर 
याँ की औक़ात ख़्वाब की सी है 

Look at world with heart's eyes. 
It's a  dreamy state on show

बार बार उस के दर पे जाता हूँ 
हालत अब इज़्तिराब की सी है 

Quite often I visit her gate 
The flurry is there on show. 

नुक़्ता-ए-ख़ाल से तिरा अबरू 
बैत इक इंतिख़ाब की सी है 

Dark skin spot and your eyebrow, 
As if a chosen couplet is on bow.  

मैं जो बोला कहा कि ये आवाज़ 
उसी ख़ाना-ख़राब की सी है 

When I spoke, the voice she said.
It's like that wretch, I know. 

आतिश-ए-ग़म में दिल भुना शायद 
देर से बू कबाब की सी है 

As if geart is on embers of grief 
Smells grilled mincemeat I know. 

देखिए अब्र की तरह अब के 
मेरी चश्म-ए-पुर-आब की सी है

This time as if it's like a cloud. 
My tear - filled eyes on show! 

'मीर' उन नीम-बाज़ आँखों में 
सारी मस्ती शराब की सी है

O Mir! In her half closd eyes
As if frenzy of wine is on show. 

SAHIR LUDHIYANVI.. GHAZAL.. HAR TARAH KE JAZBAAT KA ELAAN HEIN AANKHEN

हर तरह के जज़्बात का एलान हैं आँखें 
शबनम कभी शो'ला कभी तूफ़ान हैं आँखें 

All types of feeling are notified by eyes. 
Dew, flame 'n tempest  are classified by eyes. 

आँखों से बड़ी कोई तराज़ू नहीं होती 
तुलता है बशर जिस में वो मीज़ान हैं आँखें 

There's no balance bigger than the  eyes. 
Scale weighing men, is verified by eyes. 

आँखें ही मिलाती हैं ज़माने में दिलों को 
अंजान हैं हम तुम अगर अंजान हैं आँखें 

Eyes bring hearts closer in the world. 
We are strangers until unified by eyes. 

लब कुछ भी कहें इस से हक़ीक़त नहीं खुलती 
इंसान के सच झूट की पहचान हैं आँखें 

Whatever lips say, truth isn't revealed. 
Man's truth 'n lie are identiified by eyes. 

आँखें न झुकीं तेरी किसी ग़ैर के आगे 
दुनिया में बड़ी चीज़ मिरी जान! हैं आँखें

Your eyes didn't succumb before any rival. 
My lover! It's globally certified by eyes. 




Thursday 6 June 2024

वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात् पीताम्बरादरुणबिम्बफलाधरोष्ठात्।

वंशीविभूषितकरान्नवनीरदाभात् पीताम्बरदरुणबिम्बफलाधरोष्ठात् ।
पूर्णेन्दुसुन्दरमुखादरविन्दनेत्रात्
 कृष्णात्परं किमपि तत्वमहं न जाने ।।

हिन्दी पद्यानुवाद 

जल भरे मेघ से तन पर है पीताम्बर।
हाथ में वंशी है बिम्बाफल से लाल अधर।
पूर्ण चन्द्र सा मुख है नेत्र कमल जैसे हैं।
और तत्व मैं न जानूँ कृष्णचंद्र ऐसे हैं।। 

Wednesday 5 June 2024

BASHIR BADR..GHAZAL.. VOH PYASE JHONKE BAHUT PYAASE LAUT JAATE HEIN...

वो प्यासे झोंके बहुत प्यासे लौट जाते हैं
जो दूर दूर से बादल उड़ा के लाते हैं 

Those gusts of wind remain thirsty when back. 
Which bring dark clouds from far, on track. 

कोई लिबास नहीं दिल की बे-लिबासी का
अगरचे रोज़ नई चादरें चढ़ाते हैं 

There is no dress to cover naked heart. 
Although new sheets are spread from  pack. 

ये बात क्यों कही मुझ से सुकूत-ए-दरिया ने
चराग़ पानी में अक्सर बहाए जाते हैं 

Why did silent stream tell it to me? 
Often lit lamps are set on water track.

सितारे खोए हुए बच्चे हैं जिन्हें अक्सर 
वो साथ खेले हुए दोस्त याद आते हैं 

The stars are lost kids who remember. 
Chums with whom they played long back. 

पुकार उट्ठे मुसाफ़िर को जैसे चाँद नगर
कि ख़ुफ़्ता जिस्म कभी यूँ भी जाग जाते हैं 

As city of moon calls a traveller along. 
Sleeping bodies so get up base back. 

लरज़ रहे हैं सितारे सहर की आँखों में 
चमन के शबनमी रुख़सार थरथराते हैं 

Stars are shivering in morning eyes. 
Dewy cheeks of garden tremble en pack. 

हमारे शे'अर गुनाह-ए-ज़मीं का वो नग़्मा 
जिसे फ़लक के फ़रिश्ते भी गुनगुनाते हैं 

My couplets are stories of earthly sins. 
Angels of sky also hum in their track. 

क़सीदा हुस्न का और हुस्न को सुनाओगे
बताओ फूल को ख़ुशबू कहीं सुँघाते हैं 

The story of beauty' ll be recited to beauty. 
Are flowers made to smell a fragrance pack? 

सितारा बन के भटकते हैं सारी सारी रात 
जो वादा कर के वफ़ा करना भूल जाते हैं 

Those who promise 'n forget to fulfill. 
Become stars to wander at night, lose track. 

तिरा सुकूत है अक्सर तहइअर-ए-नग़्मा
ख़मोश रह के भी ये होंट गुनगुनाते हैं 

Your peace is often a wonderful poem. 
Even when silent, lips hum it in track. 

मैं दिन हूँ मेरी जबीं पर दुखों का सूरज है
दिए तो रात की पलकों पे झिलमिलाते हैं

I am day with sun of pain on forehead. 
Lamps glisten on night eyelash pack. 

जला रहा है सितारों को इंतज़ार मिरा
मगर वो अश्क जो पलकों पे थरथराते हैं 

Stars get burnt while waiting for me. 
But eyelash tears keep trembling back. 

उन्हीं के पास मिलेंगे कई नवादर-ए-ग़म
वो क़ाफ़ले जो रह-ए-दिल पे आते जाते हैं

Many antique pain will be found in them. 
The travellers who traverse heart track. 

गुलाब सा वो बदन क्या हवा-ए-दर्द में तो
घने दरख़्तों के जंगल भी सूख जाते हैं 

Not delicate rose body even jungle trees
Get dried when the winds of pain attack. 

ख़ुशा ये क़द्र तो है इस उदास नस्ल के पास 
उदास भी जो न होंगे तो लोग आते हैं

This era though sad, upholds the value.
 They too come who aren't gloomy pack ! 
















































Tuesday 4 June 2024

एक कविता

बरसों के उस के प्यार को मन में सँवार कर। 
उस को गले लगा ले तनिक सा सिंगार कर।। 

मुस्कराहट हो, अदा हो, नाज़ हो, अंदाज़ हो। 
फूल हो या धुन हो, बचपन की कोई आवाज़ हो।। 

तेरे तरकश में बहुत से तीर हैं, कर ले विचार। 
जिस से साजन रीझ जाए 'मौन' वो तेरा सिंगार ।। 

इसे सालगिरह के लिए भी प्रयोग किया जा सकता है। 

Monday 3 June 2024

BRIJ NARAYAN CHAKBAST. GHAZAL... KUCHH AISAA PAAS-E-GHAIRAT UTH GAYA IS AHAD-E-PUR-FAN MEN.....

कुछ ऐसा पास-ए-ग़ैरत उठ गया इस अहद-ए-पुर-फ़न में 
कि ज़ेवर हो गया तौक़-ए-ग़ुलामी अपनी गर्दन में 

In this artistic period, regard for dignity is
 gone. 
Slavery collars are worn as ornaments on their own. 

शजर सकते में हैं ख़ामोश हैं बुलबुल नशेमन में 
सिधारा क़ाफ़िला फूलों का सन्नाटा है गुलशन में 

Trees stand stunned and nightingales are silent. 
Flower caravan is reformed, garden sound 
is gone 

गराँ थी धूप और शबनम भी जिन पौदों को गुलशन में 
तिरी क़ुदरत से वो फूले-फले सहरा के दामन में 

Plants that didn't like sun 'n dew in the garden. 
In desert's, with Your grace, those plants' ve grown. 

हवा-ए-ताज़ा दिल को ख़ुद-बख़ुद बेचैन करती है 
क़फ़स में कह गया कोई बहार आई है गुलशन में 

When told to prisoners, there was spring in garden. 
Fresh air makes hearts restless on their own. 

मिटाना था उसे भी जज़्बा-ए-शौक़-ए-फ़ना तुझ को 
निशान-ए-क़ब्र-ए-मजनूँ दाग़ है सहरा के दामन में 

Why didn't you curb this desire to be mortal?
A blemish on Sahara is Majnu's gravestone. 

ज़माना में नहीं अहल-ए-हुनर का क़द्र-दाँ बाक़ी 
नहीं तो सैकड़ों मोती हैं इस दरिया के दामन में 

None now regards skilled people in this world. 
In the lap of ocean are thousand pearls as it's own

यहाँ तस्बीह का हल्क़ा वहाँ ज़ुन्नार का फंदा 
असीरी लाज़मी है मज़हब-ए-शैख़-ओ-बरहमन में

Rosary rings are here, sacred threads on their throats. 
Sheikhs and brahmins are religious prisoners in own. 

जिन्हें सींचा था ख़ून-ए-दिल से अगले बाग़बानों ने 
तरसते अब हैं पानी को वो पौदे मेरे गुलशन में 

Those plants of my garden now long to be watered. 
Plants nourished by life blood of gardeners bygone. 

दिखाया मो'जिज़ा हुस्न-ए-बशर का दस्त-ए-क़ुदरत ने 
भरी तासीर तस्वीर-ए-गिली के रंग-ओ-रोग़न में 

Nature suffused that miracle in the beauty of man. 
Effect of colours of her lane in paintings is shown. 

शहीद-ए-यास हूँ रुस्वा हूँ नाकामी के हाथों से 
जिगर का चाक बढ़ कर आ गया है मेरे दामन में 

I am a martyr of sadness in the hands of failure. 
The split of my heart to the hem has grown. 

जहाँ में रह के यूँ क़ाएम हूँ अपनी बे-सबाती पर 
कि जैसे अक्स-ए-गुल रहता है आब-ए-जू-ए-गुलशन में 

As a shadow of flower exists in rivulet of garden. 
I exist in world with impermanence of my own. 

शराब-ए-हुस्न को कुछ और ही तासीर देता है 
जवानी के नुमू से बे-ख़बर होना लड़कपन में 

The wine of beauty gets an additional effect. 
In childhood, to be unaware of youth of your own. 

शबाब आया है पैदा रंग है रुख़्सार-ए-नाज़ुक से 
फ़रोग़-ए-हुस्न कहता है सहर होती है गुलशन में 

With youth, colours appeared in her delicate cheeks. 
Beauty claims that morning in her garden has shown. 

नहीं होता है मुहताज-ए-नुमाइश फ़ैज़ शबनम का 
अँधेरी रात में मोती लुटा जाती है गुलशन में 

Dew doesn't need grace in exhibiting the self. 
In dark nights in the garden, pearls are thrown. 

मता-ए-दर्द-ए-दिल इक दौलत-ए-बेदार है मुझ को 
दुर-ए-शहवार हैं अश्क-ए-मोहब्बत मेरे दामन में 

Heart pain is valuable, unexpected wealth to me.
Tears of love as large pearls in my hem are  shown. 

न बतलाई किसी ने भी हक़ीक़त राज़-ए-हस्ती की 
बुतों से जा के सर फोड़ा बहुत दैर-ए-बरहमन में 

None has revealed to him the secrets of life. 
Brahmin banged his head on idols only to moan. 

पुरानी काविशें दैर-ओ-हरम की मिटती जाती है 
नई तहज़ीब के झगड़े हैं अब शैख़-ओ-बरहमन में 

Old efforts between temple and mosque are gone. 
Tussle in new Sheikh-Brahmin culture has grown. 

उड़ा कर ले गई बाद-ए-ख़िज़ाँ इस साल उस को भी 
रहा था एक बर्ग-ए-ज़र्द बाक़ी मेरे गुलशन में 

This year, autumn wind has also taken it away. 
The lonely yellow leaf of my garden is blown. 

वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है 
मज़ा दामान-ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में 

I love the dust of my land even after death. 
In her midst, pleasure of mother's lap is shown. 

Transcreated by Ravi Maun. 







गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्.......

गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामाविघ्नेश्वरपादपङ्कजम्।। 

भूतगणों से सेवित जम्बूफल कपित्थ है प्रिय भोजन।
हे गणेश हे पार्वतीसुत शोकविनाशक तुम्हें नमन।। 

Saturday 1 June 2024

GHALIB.. GHAZAL.. DIL-E-NAADAAN TUJHE HUA KYA HAI.....

दिल-ए-नादाँ तुझे हुआ क्या है 
आख़िर इस दर्द की दवा क्या है

My innocent heart! What  does hound? 
Who has   remedy of this pain found? 

हम हैं मुश्ताक़ और वो बे-ज़ार 
या इलाही ये माजरा क्या है 

She is apathetic, while I yearn ! 
O Almighty! What's going around? 

मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ 
काश पूछो कि मुद्दआ' क्या है 

There's tongue in my mouth too. 
What's the issue, if you ask around? 

जब कि तुझ बिन नहीं कोई मौजूद 
फिर ये हंगामा ऐ ख़ुदा क्या है 

When none exists but for You. 
O God! What's turmoil around? 

ये परी-चेहरा लोग कैसे हैं 
ग़म्ज़ा ओ इश्वा ओ अदा क्या है 

Who are these fairy like girls? 
Oggling, amorous gestures abound ! 

शिकन-ए-ज़ुल्फ़-ए-अंबरीं क्यूँ है 
निगह-ए-चश्म-ए-सुरमा सा क्या है 

Why curly tress smells of amber? 
In the eyes why kohl is found? 

सब्ज़ा ओ गुल कहाँ से आए हैं 
अब्र क्या चीज़ है हवा क्या है 

Where from are grass 'n flowers? 
What are clouds and air  around? 

हम को उन से वफ़ा की है उम्मीद 
जो नहीं जानते वफ़ा क्या है 

I expect her to be faithful ! 
Whose knowledge of faith is a round ! 

हाँ भला कर तिरा भला होगा 
और दरवेश की सदा क्या है 

Do good for a similar return !
What else can dervish sound ? 

जान तुम पर निसार करता हूँ 
मैं नहीं जानता दुआ क्या है 

My life is now all your's ! 
How else to be prayer bound? 

मैं ने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब' 
मुफ़्त हाथ आए तो बुरा क्या है

O 'Ghalib'! I know it's nothing.
What's wrong, if freely found? 

MOMIN .. GHAZAL.. VOH JO HUM MEN TUM MEN QARAAR THA TUMHEN YAAD HO KI NA YAAD HO...

वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो 
वही या'नी वा'दा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो 

It was an agreement between me 'n you. Whether or not you recall. 
O yes! It was a vow of carrying through,. Whether or not you recall. 

वो जो लुत्फ़ मुझ पे थे बेशतर वो करम कि था मिरे हाल पर 
मुझे सब है याद ज़रा ज़रा तुम्हें याद हो कि न याद हो 

Pleasure that you gave O mate, 
grace bestowed on my state! 
Bit by bit that's all I knew. 
Whether or not you recall. 

वो नए गिले वो शिकायतें वो मज़े मज़े की हिकायतें 
वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो कि न याद हो 

It was new blame, complaint game, 
pleasant tales worth their name. 
For all I knew, your angry hue ! 
Whether or not you recall. 

कभी बैठे सब में जो रू-ब-रू तो इशारतों ही से गुफ़्तुगू 
वो बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो कि न याद हो 

In crowd when we sat face to face, 
talking with the hints on face. 
The ardour, zeal was in public view. 
Whether or not you recall. 

हुए इत्तिफ़ाक़ से गर बहम तो वफ़ा जताने को दम-ब-दम 
गिला-ए-मलामत-ए-अक़रिबा तुम्हें याद हो कि न याद हो 

If we came together by a chance, 
constant faith in every stance. 
The kins were complaining anew.
 Whether or not you recall. 

कोई बात ऐसी अगर हुई कि तुम्हारे जी को बुरी लगी 
तो बयाँ से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो कि न याद हो 

If something had happened to be, that made you feel uneasy. 
To forget before lips would spew. 
Whether or not you recall. 

कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी 
कभी हम भी तुम भी थे आश्ना तुम्हें याद हो कि न याद हो 

Me and you 'd liked some day, the two of us had a common way. 
In between us love could brew.
 Whether or not you recall. 

सुनो ज़िक्र है कई साल का कि किया इक आप ने वा'दा था 
सो निबाहने का तो ज़िक्र क्या तुम्हें याद हो कि न याद हो 

Please listen that some years ago, you had undertaken a vow. 
To say that carrying through is due, whether or not you recall

वो बिगड़ना वस्ल की रात का वो न मानना किसी बात का 
वो नहीं नहीं की हर आन अदा तुम्हें याद हो कि न याद हो

You were saying no on mating night, about everything however slight. 
Sweet gesture of no was to continue.
Whether or not you recall. 

 जिसे आप गिनते थे आश्ना जिसे आप कहते थे बा-वफ़ा 
मैं वही हूँ 'मोमिन'-ए-मुब्तला तुम्हें याद हो कि न याद हो

You had loved me as your own. My loyalty
 was well known
I am 'Momin' the obsessed your true ! Whether or not you recall. 

AMEER MINAAI.. HAMS.. DOOSRAA KAUN HAI JAHAAN TOO HAI...

दूसरा कौन है जहाँ तू है
कौन जाने तुझे कहाँ तू है

Who else is where you are?
Who knows it where you are?

लाख पर्दों में है तू बेपर्दा
सौ निशानों में बेनिशाँ तू है

You exhibit behind many veils. 
Many signs yet unseen you are !  

तू है ख़ल्वत में तू ही जल्वत में 
कहीं पिनहाँ कहीं अयाँ तू है

You are when alone 'n in group. 
Hidden ' n open at places you are. 

नहीं तेरे सिवा यहाँ कोई 
मेज़बाँ तू है मेहमाँ तू है

None else is here but for you. 
Both host and guest you are. 


Wednesday 29 May 2024

AMEER MINAAI. GHAZAL. JAB SE BULBUL TOONE DO TINKE LIYE...

जब से बुलबुल तू ने दो तिनके लिए 
टूटती हैं बिजलियाँ इन के लिए 

O nightingale! Since straws you seize. 
The lightening is in search of these. 

है जवानी ख़ुद जवानी का सिंगार 
सादगी गहना है इस सिन के लिए 

Youth itself is make up of youth. 
Simplicity, it's ornamental keys! 

कौन वीराने में देखेगा बहार 
फूल जंगल में खिले किन के लिए 

Who will watch spring in desert? 
Whom do jungle flowers appease? 

सारी दुनिया के हैं वो मेरे सिवा 
मैं ने दुनिया छोड़ दी जिन के लिए 

One, for whom I left the world. 
But for me, for the world she is.

बाग़बाँ कलियाँ हों हल्के रंग की 
भेजनी है एक कम-सिन के लिए 

Gardener! Select buds of light hue. 
To a tender girl, I 'll send these. 

सब हसीं हैं ज़ाहिदों को ना-पसंद 
अब कोई हूर आएगी इन के लिए 

Beauty isn't good enough for priests. 
Now fairies need to appear, to please. 

वस्ल का दिन और इतना मुख़्तसर 
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिए 

A day of meeting and is so short ! 
Counted days for it by degrees. 

सुब्ह का सोना जो हाथ आता 'अमीर' 
भेजते तोहफ़ा मोअज़्ज़िन के लिए

'Ameer! If I slept till morn', 'd send.
A gift for caller to prayer on knees! 

AMIR MINAAI.. GHAZAL.. US KII HASRAT HAI JISE DIL SE MITA BHI N SAKOON

उस की हसरत है जिसे दिल से मिटा भी न सकूँ
ढूँढने उस को चला हूँ जिसे पा भी न सकूँ

It's her desire that I can't wipe from core. 
Going in her quest, whom I can't procure. 

डाल के ख़ाक मेरे ख़ून पे क़ातिल ने कहा
कुछ ये मेंहदी नहीं मेरी कि छुपा भी न सकूँ 

Covering me with dust, the assassin said. 
It's not my henna, that I can not obscure. 

ज़ब्त कम-बख़्त ने याँ आ के गला घोंटा है
कि उसे हाल सुनाऊँ तो सुना भी न सकूँ 
 
Control has asphyxiated me over here. 
Even if I want can't tell her the love-lore. 

नक़्श-ए-पा देख तो लूँ लाख करूँगा सज्दे
सर मिरा अर्श नहीं है कि झुका भी न सकूँ 

I'll genuflex, first let me see footprints. 
My head isn't sky that I can't bend more. 











Tuesday 28 May 2024

IBN-E-ALI-INSHAA.. GHAZAL.. INSHAAJI UTHO AB KOOCH KARO IS SHAHAR MEN JII KO LAGAANAA KYA

इंशा'-जी उठो अब कूच करो इस शहर में जी को लगाना क्या 

वहशी को सुकूँ से क्या मतलब जोगी का नगर में ठिकाना क्या 

इस दिल के दरीदा दामन को देखो तो सही सोचो तो सही 

जिस झोली में सौ छेद हुए उस झोली का फैलाना क्या 

शब बीती चाँद भी डूब चला ज़ंजीर पड़ी दरवाज़े में 

क्यूँ देर गए घर आए हो सजनी से करोगे बहाना क्या 

फिर हिज्र की लम्बी रात मियाँ संजोग की तो यही एक घड़ी 

जो दिल में है लब पर आने दो शर्माना क्या घबराना क्या 

उस रोज़ जो उन को देखा है अब ख़्वाब का आलम लगता है 

उस रोज़ जो उन से बात हुई वो बात भी थी अफ़साना क्या 

उस हुस्न के सच्चे मोती को हम देख सकें पर छू न सकें 

जिसे देख सकें पर छू न सकें वो दौलत क्या वो ख़ज़ाना क्या 

उस को भी जला दुखते हुए मन इक शो'ला लाल भबूका बन 

यूँ आँसू बन बह जाना क्या यूँ माटी में मिल जाना क्या 

जब शहर के लोग न रस्ता दें क्यूँ बन में न जा बिसराम करे 

दीवानों की सी न बात करे तो और करे दीवाना क्या 

Sunday 26 May 2024

अष्टावक्र महागीता का एक श्लोक

समदुःखसुखः पूर्ण आशानैराश्ययोः समः।
समजीवितमृत्युःसन्-नेवमेव लयं व्रज।।
अष्टावक्र 

तू आत्मज्ञानी है अतः सुख दुःख एक समान है। 
आशा निराशा में नहीं अन्तर, तुझे यह भान है। 
जीवन मृत्यु हो गई अब तेरे लिए अस्तित्वहीन।
इस हेतु इन अनुभूतियों को तू कर दे लयलीन।।

हिन्दी पद्यानुवाद    रवि मौन 

Saturday 25 May 2024

BASHIR BADR.. GHAZAL.. US KII CHAAHAT KI CHAANDNI HOGI.....

उस की चाहत की चाँदनी होगी
ख़ूबसूरत सी ज़िन्दगी होगी 

Moonlight glow of her desire. 
For a beautiful life we aspire. 

चाहे जितने चराग़ गुल कर दो
दिल अगर है तो रौशनी होगी 

You may put out many lamps. 
Where heart is, there'll be fire. 

नींद तरसेगी मेरी आँखों को
जब भी ख़्वाबों से दोस्ती होगी

My eyes will long for sleep.
when dreams befriend that liar. 

हम बहुत दूर थे मगर तुम ने
दिल की आवाज़ तो सुनी होगी 

We were very far but to you. 
Sounds reached heart sans wire. 

सोचता हूँ कि वो कहाँ होगा 
किस के आँगन में चाँदनी होगी 

Whose home has moonlight? 
I think, where will she retire? 










Friday 24 May 2024

DAAGH DEHLAVI.. GHAZAL.. GHAZAB KIYA TERE VAADE PE ETIBAAR KIYA...

ग़ज़ब किया तिरे वा'दे पे ए'तिबार किया 
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया

Your promise was outrage,but I did believe. 
Awaited night long like doomsday reprieve. 

तुझे तो वादा-ए-दीदार हम से करना था 
ये क्या किया कि जहाँ को उमीद-वार किया 

Your promise for a glance was to be with me. 
Why did you involve whole world to conceive? 

ये दिल को ताब कहाँ है कि हो मआल-अंदेश 
उन्हों ने वा'दा किया हम ने ए'तिबार किया 

Has heart the capacity to forethink result? 
She made a promise, I was bound to believe. 

तड़प फिर ऐ दिल-ए-नादाँ कि ग़ैर कहते हैं 
अख़ीर कुछ न बनी सब्र इख़्तियार किया. 

Agitate O gentle heart for the rivals claim. 
Kept patience as nothing could he achieve. 

भुला भुला के जताया है उन को राज़-ए-निहाँ 
छुपा छुपा के मोहब्बत को आश्कार किया 

First I concealed, then gradually revealed. 
For telling her the secret, I had to deceive. 

न उस के दिल से मिटाया कि साफ़ हो जाता 
सबा ने ख़ाक परेशाँ मिरा ग़ुबार किया

It wasn't erased from her heart to be cleared. 
Breeze spread my dust, nothing to achieve ! 

हम ऐसे महव-ए-नज़ारा न थे जो होश आता 
मगर तुम्हारे तग़ाफ़ुल ने होशियार किया 

I wasn't so lost in her looks, to be conscious. 
But your neglect just alerted me to conceive. 

हुआ है कोई मगर उस का चाहने वाला 
कि आसमाँ ने तिरा शेवा इख़्तियार किया

Someone has finally decided to like her too. 
At last, the skies could your habit achieve. 

न पूछ दिल की हक़ीक़त मगर ये कहते हैं 
वो बे-क़रार रहे जिस ने बे-क़रार किया 

One who made me restless be restless too. 
Don't ask me truth or heart, but I conceive . 




Thursday 23 May 2024

AAMI JENE SHUNE BISH KORECHHI PAAN .... TAGORE'S SONG

आमि जेने शुने बिश करेछि पान
प्रानेर आशा छेड़े शोंपेछि प्रान

  Knowing well that it's poison, I lipped the cup
Leaving hope of reprieve, all hopes given up. 

जोतोई देखी तारे तोतोई दोहि
आमार बुके ज्वाला नीरबे सोहि
लइगो बुक पेते अनल बान
आमि जेने शुने बिश करेछि पान 

The more I see you, the more flames grow. 
My heart flames even in solitude show.
A flaming arrow within the heart stuck up. 
Knowing well that it's poison, I lipped the cup. 

Wednesday 22 May 2024

SALEEM KAUSAR.. GHAZAL.. QURBATON HOTE HUYE BHI FAASLON MEN QAID HAIN...

क़ुर्बतें होते हुए भी फ़सलों में क़ैद हैं
कितनी आसानी से हम अपनी हदों में क़ैद हैं 

We are prisoners of distance despite being near. 
How freely are we imprisoned in our limits O dear!

कौन सी आँखों में मेरे ख़्वाब रौशन हैं अभी
किस की नींदें हैं जो मेरे रतजगों में क़ैद हैं

In which eyes are my dreams still glowing?
Whose sleep do my night awake eyes still wear?

शहर आबादी से ख़ाली हो गए ख़ुशबू से फूल
और कितनी ख़्वाहिशें हैं जो दिलों में क़ैद हैं

Cities lack people as flowers lack fragrance. 
To so many desires our hearts still adhere. 

पाँव में रिश्तों की ज़ंजीरें हैं दिल में ख़ौफ़ है
ऐसा लगता है कि हम अपने घरों में क़ैद हैं 

We are under house arrest, it so appears. 
Feet are chained in relations 'n hearts in fear. 

ये ज़मीं यूँ ही सिकुड़ती जाएगी और एक दिन 
फैल जाएँगे जो तूफ़ाँ साहिलों में क़ैद हैं 

This earth will keep shrinking' n then one day. 
Typhoons confined to shores 'll break the sphere. 

इस जज़ीरे पर अज़ल से ख़ाक उड़ती है हवा
मंज़िलों में भेद फिर भी रास्तों में क़ैद हैं 

O wind! Dust blows on this island since start. 
Still the secrets of goal, to lanes do adhere. 

कौन ये पाताल से उभरा किनारे पर' सलीम '
सरफिरी मौजें अभी तक दायरों में क़ैद हैं 

Who has emerged from depth to shore O 'Saleem'? 
Voilent waves are still confined and sincere. 

Transcreated by Ravi Maun 




















Tuesday 21 May 2024

JIGAR MURADABADI KI GAZAL DIL MEIN KISI KE RAAH KIYE JA RAHA HOON MAIN

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं 
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं 

In someone's heart I am paving a way. 
What a lovely sin I am committing this way. 

दुनिया-ए-दिल तबाह किए जा रहा हूँ मैं 
सर्फ़-ए-निगाह-ओ-आह किए जा रहा हूँ मैं 

Spending the finnesse of eyes and sighs. 
I am destroying the world of heart in a way. 

फ़र्द-ए-अमल सियाह किए जा रहा हूँ मै
रहमत को बे-पनाह किए जा रहा हूँ मैं 

I am darkening man's name to that extent. 
 Almighty's boundless appeals so to say. 

ऐसी भी इक निगाह किए जा रहा हूँ मैं 
ज़र्रों को मेहर-ओ-माह किए जा रहा हूँ मैं 

Shaping dust particles  to sun and moon. 
I am casting even such a glance in a way. 

मुझ से लगे हैं इश्क़ की अज़्मत को चार चाँद 
ख़ुद हुस्न को गवाह किए जा रहा हूँ मैं 

With me, pride of love has grown four fold. 
Witness to it is the beauty herself my way. 

दफ़्तर है एक मानी-ए-बे-लफ़्ज़-ओ-सौत का 
सादा सी जो निगाह किए जा रहा हूँ मैं 

A site for meaning without words or sound. 
A simple, straight look that I cast her way. 

आगे क़दम बढ़ाएँ जिन्हें सूझता नहीं 
रौशन चराग़-ए-राह किए जा रहा हूँ मैं 

Those who couldn't see, well now go ahead. 
I am placing lamps to brighten the way. 

मासूमी-ए-जमाल को भी जिन पे रश्क है 
ऐसे भी कुछ गुनाह किए जा रहा हूँ मैं 

Even innocence of beauty is envious of it. 
I am  also committing such sins my way. 

तन्क़ीद-ए-हुस्न मस्लहत-ए-ख़ास-ए-इश्क़ है 
ये जुर्म गाह गाह किए जा रहा हूँ मैं 

Criticism of beauty is a measure of love. 
I commit this crime now 'n then anyway. 

उठती नहीं है आँख मगर उस के रू-ब-रू 
नादीदा इक निगाह किए जा रहा हूँ मैं 

Although I can not even face her straight. 
I am casting an unaware glance her way. 

गुलशन-परस्त हूँ मुझे गुल ही नहीं अज़ीज़ 
काँटों से भी निबाह किए जा रहा हूँ मैं 

A garden lover, I don't love only flowers. 
I get along well with the thorns, so to say. 

यूँ ज़िंदगी गुज़ार रहा हूँ तिरे बग़ैर 
जैसे कोई गुनाह किए जा रहा हूँ मैं 

As if I an committing a sin all along. 
Without you, I am passing life this way. 

मुझ से अदा हुआ है 'जिगर' जुस्तुजू का हक़ 
हर ज़र्रे को गवाह किए जा रहा हूँ मैं

O 'Jigar' I have paid the price for search.
Witness is each dust particle on the way. 

Monday 20 May 2024

KAIFI AAZMI.. GHAZAL.. TUM ITNAA JO MUSKURAA RAHE HO.. .....

तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो
क्या ग़म है जिस को छुपा रहे हो 

The way that you are smiling a lot. 
Which pain are you keeping in knot? 

आँखों में नमी हँसी लबों पर 
क्या हाल है क्या दिखा रहे हो 

The eyes are wet, a smile on lips. 
What's the state 'n showing what? 

बन जाएँगे ज़हर पीते - पीते 
ये अश्क जो पीते जा रहे हो 

These will gradually be poison. 
Tears, that you are sipping a lot. 

जिन ज़ख़्मों को वक़्त भर चुका है 
तुम क्यों उन्हें छेड़े जा रहे हो

The wounds that time has healed. 
Why are you teasing the spot?

रेखाओं का खेल है मुक़द्दर 
रेखाओं से मात खा रहे हो

Destiny is a game of lines. 
In lines, you are losing the slot. 







या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता

या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः 

शक्ति रूप से सब भूतों में विद्यमान हे देवी 
नमन करूँ मैं नमस्कार है नमस्कार हे देवी

Saturday 18 May 2024

GULZAR.. GHAZAL.. HANS KE BOLA KARO BULAYA KARO...

हँस के बोला करो बुलाया करो
आप का घर है आया जाया करो

Talk and call with a smile. 
It's your house, be all the while. 

मुस्कराहट है हुस्न का ज़ेवर
मुस्कराहट न भूल जाया करो

Smile is ornament of beauty. 
Do not forget to smile. 

हद से बढ़ कर हसीन लगती हो
झूटी क़समें ज़रूर खाया करो

Looking lovely beyond measure. 
Make promises with a guile. 












SACHIN LIMAYE.. GHAZAL. NA SUBOOT HAI NA DALEEL HAI

न सुबूत है न दलील है
मेरे साथ रब्ब-ए-जलील है 

There's no proof, no plea. 
My Lord! You are with me.

तेरी रहमतों में कमी नही 
मेरी अहतियात में ढील है 

Not wanting is your grace. 
But the zeal is not in me. 

मुझे कौन तुझ से अलग करे 
मैं अटूट प्यास तू झील है 

Who can part both of us? 
I am thirst, Lake is thee. 

तेरा नाम कितना है मुख़्तसर 
तेरा ज़िक्र कितना तवील है

How short is your name? 
Your mention, one vast He. 


शिव स्तुति

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्
सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानी सहितं नमामि

गौर वर्ण कर्पूर सा करुणा के अवतार
सार अखिल संसार के गले सर्प का हार
 हृदय कमल में हर के छाई रहती सदा बसन्त
शिव व भवानी सहित करूँ मैं नमन करें स्वीकार 

Thursday 16 May 2024

ये कूचे ये नीलामघर दिलकशी के

ये कूचे ये नीलामघर दिलकशी के
 ये लुटते हुए कारवाँ ज़िंदगी के
कहाँ हैं कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के? 
जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं?

These lanes auction house of sensuousware. 
These robbed carvans of life everywhere.
Where can the guardians of self pride dare?
Where are those who blare sanctity of east? 

ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया

ये महलों ये तख़्तों ये ताजों की दुनिया
ये इंसाँ के दुश्मन समाजों की दुनिया
ये दौलत के भूके रिवाज़ों की दुनिया  
ये दुनिया अगर मिल भी जाए तो क्या है?

This world of palaces, thrones and crowns.
This world of human society enemies frowns.
This world of money hungry systems with downs.
Even if this world is mine, then what? 

Wednesday 15 May 2024

ताज महल. साहिर लुधियानवी

ताज तेरे लिए इक मज़हर-ए-उल्फ़त ही सही
तुझ को इश वादी-ए-रंगीं से अक़ीदत ही सही
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

Taj may be a promise of love for you
This valley of colours you may regard too.
My beloved! Meet me somewhere else.

बज़्म-ए-शाही में ग़रीबों का गुज़र क्या मअनी
सब्त जिस राह पे हों सितवत-ए-शाही के निशाँ
उस पे उल्फ़त भरी रूहों का सफ़र क्या मअनी
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से

In this imperial gathering, poor have no place. 
All the way are imperial imprints to trace. 
How can loving souls ever find some space? 
My beloved! Meet me somewhere else 

मेरी महबूब! पस-ए-पर्दा--ए-तशहीर-ए-वफ़ा
तूने सितवत के निशानों को तो देखा होता
मुर्दा शाहों के मक़ाबिर से बहलने वाली
अपने तारीक मकानों को तो देखा होता
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

My love! Bebind curtain of exhibited loyalty 
Should have noticed imperial stamps, O you ! 
Lured by the tombs of dead emperors here
You should have seen our dark homes too. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

अनगिनत लोगों ने दुनिया में मोहब्बत की है
कौन कहता है कि जज़्बे न थे सादिक़ उन के
लेकिन उन के लिए तशहीर का सामान नहीं 
क्यों कि वो लोग भी अपनी ही तरह मुफ़लिस थे
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

 Countless people have loved in the world. 
Who claims their feelings were not pure? 
But they lacked the material to show off. 
Because like us, they  were poor for sure. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

ये इमारात-ओ-मक़ाबिर ये फ़सीलें ये हिसार 
मुतलक़-उल-हुक्म शहन्शाहों की अज़्मत के सुतूँ
सीना-ए-दहर के नासूर हैं कोहना नासूर
इन में शामिल है तिरे और मिरे अजदाद का ख़ूँ
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These tomb buildings, boundaries of fort. 
Pillars of dictatorial glory which report. 
 Wounds, festering wounds on chest of time! 
With blood of our ancestors mingled sublime. 
My beloved! Meet me somewhere else. 

मेरी महबूब! उन्हें भी तो मोहब्बत होगी
जिन की सन्नाई ने बख़्शी है इसे शक्ल-ए-जमील
उन के प्यारों के मक़ाबिर रहे बे-नाम-ओ-नमूद
आज तक उन पे जलाई न किसी ने कन्दील
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

O my beloved! They must have loved too. 
Whose craft gave a thing of beauty to you. 
Graves of their loved ones are unknown. 
None has  ever kindled a candle there on. 
My beloved! Meet me somewhere else 

ये चमनज़ार ये जमना का किनारा ये महल
ये मुनक़्क़श दर-ओ-दीवार ये महराब ये ताक़
इक शहन्शाह ने दौलत का सहारा लेकर 
हम ग़रीबों की मोहब्बत का उड़ाया है मज़ाक़
मेरी महबूब! कहीं और मिला कर मुझ से 

These gardens, palaces on Jamuna bank. 
These carved walls, minerettes, the flank. 
Supported by money an emperor had done. 
Humiliated love of us poor, made public fun. 
My beloved! Meet me somewhere else. 







Monday 13 May 2024

मैं अपने शहर में इक अजनबी हूँ

मैं अपने शहर में इक अजनबी हूँ
मिरे सब दोस्त जिनके साथ गुज़री 
मिरे जीवन की चौथाई सदी याँ 
मिरे ग़म और ख़ुशियाँ में रहेंगे 
यही अहसास था अभियान था यह
हुई तकलीफ़ जब ये भरम टूटा 
सलीब अपनी उठा कर अपने काँधे 
यहाँ जाना है हम सब को अकेले 
मैं अपने शहर में इक अजनबी हूँ 

Friday 19 April 2024

श्री राघवयादवीयम्. कवि वेंकटाद्वरि द्वारा रचित एक संस्कृत काव्य एवम् डा ० रवि मौन का हिन्दी पद्यानुवाद

श्री राघवयादवीयम्

 


महाकवि श्री वेङ्कटाध्वरि कृत संस्कृत काव्य

श्री राघवयादवीयम्

हिन्दी अनुवादक : डॉ. रवि 'मौन'

(सरोजा रामानुजम् के अंग्रेज़ी रूपांतरण पर आधारित)



 

महाकवि श्री वेङ्कटाध्वरि कृत

श्री राघवयादवीयम्

द्विसन्धान काव्य

हिन्दी पद्यानुवाद सहित

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

अनुवादक: डॉ. रवि मौन

 

ॐ श्री हरि नमः

 

प्रथम पूज्य हे गणपति, गौरी पुत्र गणेश ।

हरि हर विधि रक्षा करें, रखिए कृपा विशेष ।।

 

 

कैसे इनकी करूँ वन्दना ?

ये हैं सुखमय रामचन्द ना !

 

सुंदर इतने कृष्ण मुरारी !

मैं इन पर जाऊँ बलिहारी ।

 

-डॉ. रवि 'मौन'

 

स्याम रूप किमि कहहुँ बखानी ।

गिरा अनयन, नयन बिनु बानी ।।

 

-रामचरित मानस

तुलसीदास

 

जयत्याश्रितसंत्रास-ध्वान्त- विध्वंसनोदयः ।

प्रभावान्सीतया देव्या परमव्योमभास्करः ॥

 

वन्दे बृन्दावनचरम् वल्लवीजन-वल्लभम् ।

जयन्ती-सम्भवम् धाम वैजयन्ती-विभूषणम् ।।

 

-श्री वेदान्त देशिक

 

 

कवि - काव्य परिचय :       

 

राघवयादवीयम् एक संस्कृत काव्य है। यह कांचीपुरम वासी १७वीं शताब्दी के कवि वेङ्कटाध्वरि द्वारा रचित एक अद्भुत ग्रन्थ है।

इस ग्रन्थ को 'द्विसन्धान काव्य' भी कहा जाता है। पूरे ग्रन्थ में केवल ३० श्लोक हैं। इन श्लोकों को अनुलोम क्रम से (सीधे-सीधे) पढ़ते जाएँ तो संक्षिप्त रामकथा बनती है और प्रतिलोम क्रम से (उल्टा) पढ़ने पर कृष्ण द्वारा पारिजात हरण की कथा बनती है। पुस्तक के नाम से भी यह ज्ञात होता है, राघव (राम) एवं यादव (कृष्ण) के चरित को बताने वाली गाथा है राघवयादवीयम्।  

इस अद्भुत कृति का हिन्दी छंद काव्यरूपी अनुवाद इस पुस्तक में प्रस्तुत है।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

प्रस्तावना :

मैं, रवीन्द्र कुमार चौधरी, मूलतः चिकित्सक हूँ। मेरा जन्म सन् १९४७ में हरियाणा के नांगल चौधरी गाँव में हुआ। बाल्यावस्था से ही साहित्य के प्रति मेरा रुझान था। पिताजी के कहने पर आजीविका हेतु मैं चिकित्सक बना, पर कविताओं में मेरी रुचि बनी रही। रवि मौनके नाम से मेरी रचनाएँ और अनुवाद हिन्दीउर्दू, अंग्रेज़ी, बंगाली और पंजाबी भाषाओं में मेरे ब्लॉग www.ravimaun.com पर उपलब्ध हैं। अब मैं अपना अधिकतर समय अपनी रचनात्मक कृतियों में व्यतीत करता हूँ।

इस क्रम में इस अद्भुत कृति की जानकारी मुझे बेंगलूरु के कन्नड़ शिक्षक श्री प्रदीप श्रीनिवासन खाद्री से मिली जिनका मैं हृदय से आभार प्रकट करता हूँ।

यह अनुवाद डॉ. सरोजा रामानुजम् द्वारा किये गये अंग्रेज़ी अनुवाद पर आधारित है। अतः उन्होंने जो अनुवाद किया उसे ही मैंने हिन्दी काव्य का रूप दिया है। उनका भी मैं अत्यंत आभारी हूँ।

 

 

 

 

 

 

 

प्रिय                                   को सप्रेम भेंट

 

 

 

 

 

 

 

 

वन्देऽहं देवं तं श्रीतं रन्तारं कालं भासा यः ।

रामः रामाधीः आप्यागः लीलाम् आर अयोध्ये वासे ।।

 

प्रथमः श्लोकः ~  अनुलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

ढूँढें सह्य मलय गिरि वन में ।

ध्यान किये सीता का मन में ।

रावण वध कर आँय अयोध्या ।

रमण करें सिय संग महलन में ।

मैं पूजूँ श्री रामचन्द्र को।

तन मन कर अर्पित वन्दन में ।

 

 

 

 

 

सेवाध्येयोरामालाली गोप्याराधी मारामोराः ।

यस्साभालङ्कारं तारं तं श्रीतं वन्देऽहं देवम् ।।

 

प्रथमः श्लोकः ~  प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

मैं हूँ रुक्मिणि कृष्ण शरण में ।

जो आराध्य गोपियन मन में ।

लक्ष्मी क्रीड़ास्थल उर जिन का ।

झंकृत आभूषण आँगन में ।

मैं तो उन की करूँ वन्दना ।

जो श्री कृष्ण बसे हैं मन में ।।

 

 

 

 

 

साकेताख्या ज्यायामासीत् या विप्रादीप्ता आर्याधारा ।

पूः आजीता अदेवाद्याविश्वासा अग्र्यासावाशारावा ।।

 

द्वितीयः श्लोकः ~  अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

पुरी अयोध्या भू प्रांगण में ।

ब्राह्मण विदु थे सब ग्रंथन में ।

वैश्य रखें धनवान नगर को ।

यह आधार पुरी का धन में ।

अजसुत दशरथ राजा उस के ।

शामिल देव होंय यज्ञन में ।।

 

 

 

 

 

वाराशावासाग्र्या साश्वाविद्यावादेताजीरापूः ।

राधार्याप्ता दीप्रा विद्यासीमा या ज्याख्याता के सा ।।

 

द्वितीयः श्लोकः ~  प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

द्वारिका थी समुद्र मध्यन में ।

मोक्षप्राप्ति हो यहाँ निधन में ।

ज्ञान और बल की यह सीमा ।

सेना पूरी गज अश्वन में ।

राधा के आराध्य कृष्ण थे ।

इस नगरी के संचालन में ।।

 

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कामभास्थलसारश्रीसौधा असौ धनवापिका ।

सारसारवपीना सरागाकारसुभूरिभूः ।।

 

तृतीयः श्लोकः ~  अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

जो भी इच्छा हो जीवन में ।

पूरण होय अवध महलन में ।

गहरे कुँए यहाँ बहुतेरे ।

सारस की ध्वनि भरी गगन में ।

सुन्दर बहुत महल नगरी के ।

रक्तिम रज आए चरणन में ।।

 

 

 

 

 

भूरिभूसुरकागारासना पीवरसारसा ।

का अपि वा अनघसौधा असौ श्रीरसालस्थभामका ।।

 

तृतीयः श्लोकः ~  प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

हैं चबूतरे सब भवनन में ।

ब्राह्मण मगन हवन पूजन में ।

ये त्रुटिहीन नगर के घर सब ।

सूरज दिखे आम्र पत्रन में ।

बड़े बड़े बहु कमल खिले हैं ।

बसी द्वारिका ऐसी मन में ।।

 

 

 

 

 

रामधाम समानेनम् आगोरोधनम् आस ताम् ।

नामहाम् अक्षररसम् ताराभाः तु न वेद या ।।

 

चतुर्थः श्लोकः ~  श्लोक अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

जगमग अवध राम कांतिन में ।

ऊँचे भवन और वृक्षन में ।

दिखें न सूर्य, चन्द्र,' तारे ।

ऐसी प्रभा रामचन्द्रन में ।

नष्ट पाप हों, पर्व मनें हैं ।

अवध असीमित रहे सुखन में ।।

 

 

 

 

 

यादवेनः तु भाराता संररक्ष महामना:

तां सःमानधरः गोमान् अनेमासमधामराः ।।

 

चतुर्थः श्लोकः ~  प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

कृष्ण सूर्य यादव वंशन में ।

उत्तम नर, गौ के रक्षण में ।

यहाँ असीमित सुख समृद्धि ।

आती नहीं कहीं वर्णन में ।

शील स्वभाव द्वारिका पालक ।

दाता, संरक्षक हर क्षण में ।।

 

 

 

 

 

यन् गाधेयः योगी रागी वैताने सौम्ये सौख्ये असौ ।

तं ख्यातं शीतं स्फीतं भीमान् आम अश्रीहातात्रातम् ।।

 

पंचमः श्लोकः ~  अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

विश्वामित्र तप करें वन में ।

राम करें रक्षा यज्ञन में ।

शील, शान्त औ' ख्याति विभूषित ।

अब सम्भव न होय विघ्नन में ।

योगी, साधु, सौम्य मुनि ज्ञानी ।

लीन शान्ति से यज्ञ, हवन में ।।

 

 

 

 

 

तं त्राता हा श्रीमान् आम अभीतं स्फीतं शीतं ख्यातं ।

सौख्ये सौम्ये, असौ नेता वै गीरागी यःयोधे गायन् ।।

 

पंचमः श्लोकः ~  प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

नारद ऋषि प्रसिद्ध गायन में ।

साहस दें योद्धा के मन में ।

गुण सम्पन्न सभी विधि ज्ञानी ।

कहलाते नेता ब्राह्मण में ।

कृष्ण शील औ' शान्त दयामय ।

है विख्यात कृपा जन गण में ।।

 

 

 

 

 

मारमं सुकुमाराभं रसाजा आप नृताश्रितं ।

काविरामदलापा गोसमा अवामतरा नते ।।

 

षष्ठः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

सीता उपजी भूखण्डन में ।

आनन्द दें अविराम कथन में ।

भूमि समान शक्ति सहने की ।

सीधी सत्य स्वभाव गुणन में ।

सीता लक्ष्मिस्वरूपा ही थीं ।

राम विष्णु के अवतारन में ।।

 

 

 

 

 

तेन रातम् अवामा आस गोपालात् अमराविका ।

तम् श्रितनृपजा सारभम् रामा कुसुमम् रमा ।।

 

षष्ठः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

रुक्मिणि लक्ष्मी अवतारन में ।

पति को पाँय कृष्ण रूपन में ।

 राजसुता थी स्वयं रुक्मिणी ।

देव रहें जिन के रक्षण में ।

नारद दें श्री कृष्णचंद्र को ।

पारिजात सुरभित पुष्पन में ।।

 

 

 

 

 

रामनामा सदा खेदभावे दयावान् अतापीनतेजा रिपौ आनते ।

कादिमोदासहाता स्वभासा रसामे सुगः रेणुकागात्रजे भूरुमे ।।

 

सप्तमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

दया राम के छाई मन में ।

सूर्य समान दमकते वन में ।

सुगम, कष्ट पाते सन्तन को ।

नष्ट करें  सब राक्षस क्षण में ।

परशुराम जिन पृथ्वी जीती ।

शान्त हुए हरि, ऋषि दर्शन में ।।

 

 

 

 

 

मेरुभूजेत्रगा  काणुरे  गोसुमे सारसा भास्वता हा सदा मोदिका

तेनवा पारिजातेनपीतानवा यादवे अभात् अखेदा समानामरा ।।

 

सप्तमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

गन्ध न कुछ धरती कुसुमन में ।

पारिजात उत्तम पुष्पन में ।

नारद लाए, दिया कृष्ण को ।

गंध बस गई रुक्मिणि मन में ।

पुष्प कान्ति से दिव्य देह पा।

खेद न कुछ, मन है कृष्णन में ।

 

 

 

 

 

सारसासमधात अक्षिभूम्ना धामसु सीतया ।

साधु असौ इह रेमे क्षेमे अरम् आसुरसारहा ।।

 

अष्टमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

राक्षस नष्ट करें वे क्षण में।

स्थिर भाव है इन नैनन में ।

कमल समान राम की आँखें ।

किन्तु न हों ये विचलित रण में ।

जीवन इतना सहज अवध में ।

राम सहित सीता महलन में ।।

 

 

 

 

 

हारसारसुमा रम्यक्षेमेरा इह विसाध्वसा ।

या अतसीसुमधाम्ना भूक्षिता धाम ससार सा ।।

 

अष्टमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

रुक्मिणि घर समृद्धि सुखन में ।

पारिजात हार कंठन में ।

लौट रहीं निज धाम रुक्मिणि ।

रही न कोई इच्छा मन में ।

कृष्ण सजे अतसी फूलों से ।

वे भयहीन कृष्ण रक्षण में ।।

 

 

 

 

 

सागसा भरताय इभमाभाता मन्युमत्तया ।

सा अत्र मध्यमया तापे पोताय अधिगता रसा ।।

 

नवमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

कैकेई रानी मध्यम में ।

अग्नि क्रोध की जलती मन में ।

राजा बनने का अधिकारी ।

नहीं भरत सम अवधपुरन में ।

राम का नहीं, राज्य भरत का ।

सम्भव होय अवध प्रांगण में ।।

 

 

 

 

 

सारतागधिया तापोपेता या मध्यमत्रसा ।

यात्तमन्युमता भामा भयेता रभसागसा ।।

 

नवमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

दुःखी सत्यभामा थी मन में ।

वह सुमध्यमा थी महलन में ।

पारिजात तो मुझको देते ।

क्रोध भरा साजन पर मन में ।

भग्न हृदय हो, बन्द द्वार कर ।

जा कर बैठ गई अनशन में ।।

 

 

 

 

 

तानवात अपका उमाभा रामे काननदा आस सा ।

या लता अवृद्धसेवाका कैकेयी महदा अहह ।।

 

दशमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

सूखी बेल समान भवन में ।

तज सुख पीत भई महलन में ।

छोड़ी सेवा वृद्ध सजन की ।

अभिषेकन के ही खण्डन में ।

अहा राम अब वन को जाएँ ।

चाह प्रबल कैकेयी मन में ।।

 

 

 

 

 

हह दाहमयी केकैकावासेद्धवृतालया ।

सा सदाननका आमेरा भामा कोपदवानता ।।

 

दशमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

मुख पर कान्ति, जलन है मन में।

जैसे आग लगी हो वन में ।

विचलित पति के पक्षपात से ।

दुःखी सत्यभामा महलन में ।

मोरों का आवास जहाँ था ।

जा बैठी, हो बन्द भवन में ।।

 

 

 

 

 

वरमानद सत्यासह्रीत पित्रादरात् अहो ।

भास्वर: स्थिरधीरः अपहारोराः वनगामी असौ ।।

 

एकादशः श्लोकः ~  अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

राम धीर स्थिर हैं महलन में ।

पितु शर्मिन्दा प्रण बन्धन में ।

कर वन गमन मान रखते हैं ।

आदर बहुत पिता का मन में ।

गहनों बिन भी आभा इतनी ।

विद्युत रेखा जाती वन में ।।

 

 

 

 

 

सौम्यगानवरारोहापरः धीरः स्थिरस्वभा:

हो दरात् अत्र आपितह्री सत्यासदनम् आर वा ।।

 

एकादशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

सतभामा रुचि संगीतन में ।

कृष्ण प्रेम करते हैं मन में ।

धीर, स्थिर गुण हैं माधव के ।

फिर भी भय सा उन के मन में ।

आती प्रीति, शर्म दोनों ही ।

हरि जाते उन के महलन में ।।

 

 

 

 

 

या नयानघधीतादा रसायाः तनया दवे ।

सा गता हि वियाता ह्रीसतापा न किल ऊनाभा ।।

 

द्वादशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

सीता प्रकटी भूखंडन में।

पावन करतीं शास्त्र पठन में।

ज्जित हैं, क्या किया मात ने।

भाव नहीं झलके आनन में।

आभा थी पहले सी मुख पर।

पति के साथ चल पड़ी वन में।।

 

 

 

 

भान् अलोकि न पाता सः ह्रीताया विहितागसा ।

वेदयानः तया सारदात धीघनया अनया ।।

 

द्वादशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

भामा अग्रणी थी बुधिजन में।

पारिजात सुन्दर पुष्पन में ।

दिया कृष्ण ने उसे सौत को ।

क्षोभ बहुत था उस के मन में ।

देखा नहीं उन्हें जी भर के ।

गरुड़ रहें जिन के वाहन में ।।

 

 

 

 

 

रागिराधुतिगर्वादारदाहः महसा हह ।

यान् अगात् भरद्वाजम् आयासी दमगाहिनः ।।

 

त्रयोदशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

मग्न राम असुरहिं हनन में।

रक्षा कर मुनिजन की वन में ।

भेंट करें मुनि भरद्वाज से ।

ये सम्मानित सब मुनिगण में ।

राक्षस क्रूर बहुत बलशाली ।

इनको रघुवर जीतें रण में ।।

 

 

 

 

 

नो हि गाम् अदसीयामाजत् वा आरभत गाः न या ।

हह सा आह महोदार दार्वागतिधुरा गिरा ।।

 

त्रयोदशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

सतभामा चुप थी महलन में ।

ध्यान न देती कृष्ण कथन में ।

वृक्ष उखाड़ स्वर्ग से लाऊँ ।

आरोपित हो इस कानन में ।

हुई अचम्भित जब हरि बोले ।

पारिजात लाऊँ महलन में ।।

 

 

 

 

 

यातुराजिदभाभारम् द्याम् व मारुतगंधगम् ।

सः अगम् आर पदम् यक्षतुङ्गाभः अनघयात्रया ।।

 

चतुर्दशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

ऋषि अगस्त्य उत्तम मुनिगण में ।

है प्रभाव उन का इस वन में ।

राक्षस रहते दूर यहाँ से ।

आभा ऐसी है कानन में ।

चित्रकूट की छटा निराली ।

है त्रुटि रहित गति रामन में ।।

 

 

 

 

 

यात्रया घनभः गातुम् क्षयदम् परमागसः ।

गन्धगम् तरुम् आव द्याम् रम्भाभादजिरा तु या ।।

 

चतुर्दशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

बादल सी आभा कृष्णन में ।

क्षोभ न हो सतभामा मन में।

रंभा सी अप्सरा चतुर्दिश ।

घूमें इसी स्वर्ग कानन में ।

पारिजात की गन्ध निराली ।

फैल रही है इस उपवन में ।।

 

 

 

 

 

दण्डकाम् प्रदमः राजाल्याहतामयकारिहा ।

सः समानवतानेनोभोग्याभः न तदा आस न ।।

 

पंचदशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

जीता परशुराम को क्षण में ।

राम आ गए दण्डकवन में ।

उनके वश जो पापरहित हैं ।

मानवता के आभूषण में ।

जानें जिन्हें दिव्य आत्मा ही ।

राम फिरें मानव के तन में ।।

 

 

 

 

 

न सदातनभोग्याभः नो नेता वनम् आस सः ।

हारिकायमताहल्याजारामोदप्रकाण्डजम् ।।

 

पंचदशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

परमानन्दित सारे मन में ।

कृष्ण आ गए नन्दनवन में ।

हरि की सी कर सुन्दर काया ।

इन्द्र अहिल्या करी वशन में ।

कृष्ण सदा सब के ही स्वामी।

आए देवराज कानन में ।।

 

 

 

 

 

सः अरम् आरत् अनज्ञानः वेदेराकण्ठकुम्भजम् ।

तम्द्रुसारपटः अनागाः नानादोषविराधहा ।।

 

षोडशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

मुनि अगस्त्य रहते इस वन में ।

वाणि प्रतिध्वनित है वेदन में ।

वध विराध का किया राम ने ।

आनंदित सब दण्डकवन में।

तपसी सी पहनें द्रुमछाला ।

दोष न कुछ भी था रामन में ।।

 

 

 

 

 

हा धराविषदः नानागानाटोपरसात् द्रुतम् ।

जंभकुण्ठकराः देवेनः अज्ञानदरम् आर सः ।।

 

षोडशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी रूपान्तरण

 

इन्द्रदेव अधिपति देवन में ।

धरा वृष्टि इन के हाथन में ।

जम्भासुर वध किया इन्द्र ने ।

मन रमता है संगीतन में ।

जाना कृष्ण यहाँ आए हैं।

छाया है भय इन के मन में ।।

 

 

 

 

 

सागमाकरपाता हाकङ्केनावनतः हि सः ।

न समानर्द मा अरामा लङ्काराजस्वसारतम् ।।

सप्तदशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

रक्षक मुनिजन के हर वन में।

ज्ञानी जो थे सब वेदन में।

विधिवत शीश नवाते रघुवर।

कंक राम के रहे चयन में।

सजी - धजी रावण की बहना

चाहे रघुवर गठबंधन में।।

 

 

 

 

 

 

तम् रसासु अजराकालम् मा आरामार्दनम् आरन ।

सः हितः अनवनाके अकम् हाता अपारकम् आगसा ।।

 

सप्तदशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

यूँ तो इन्द्र कृष्ण मित्रन में ।

पारिजात प्रत्यारोपण में ।

कृष्ण अजर अवतरित धरा पर ।

फिर भी क्रोधित उन पर मन में ।

यूँ न लुटे सम्पदा स्वर्ग की ।

शस्त्र उठा कर उतरे रण में ।।

 

 

 

 

 

तां स: गोरमदोश्रीदः विग्राम् असदरः अतत ।

वैरम् आस पलाहारा विनासा रविवंशके ।।

 

अष्टादशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

शूर्पणखा क्रोधित थी मन में ।

कटी नाक उसकी जब वन में ।

लक्ष्मण दाँयी भुजा राम की ।

भय कैसे हो उनके मन में ?

मांसाहारी थी वह नारी ।

वैर बढ़ा रघुकुल रावण में ।

 

 

 

 

 

केशवम् विरसानाविः आह आलापसमारवैः ।

ततो रोदसम् अग्राविदः अश्रीदः अमरगः असताम् ।।

 

अष्टादशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

प्रमुदित थे पर्वत पङ्खन में ।

आ बैठें जह्ँ तहँ जनगण में ।

काटे पङ्ख वज्र से सारे ।

राजा इन्द्र सभी देवन में ।

क से ब्रह्म इसा से शिव हैं ।

केशव केसी दैत्य दमन में ।

 

 

 

 

 

गोद्युगोमः स्वमायः अभूत् अश्रीगखरसेनया ।

सह साहवधारः अविकलः अराजत् अरातिहा ।।

 

नवदशः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

उतरी खर की सेना रण में ।

राम अकेले थे क्षेत्रन में ।

सेना ने निज ख्याति गँवाई ।

भागी डर कर चहुँदिस वन में ।

और राम का इसी युद्ध से ।

फैला यश भू और गगन में।

 

 

 

 

 

हा अतिरादजरालोक विरोधावहसाहस ।

यानसेरखग श्रीद भूयः मा स्वम् अगः द्युगः ।।

 

नवदशः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

इन्द्र कहें यह नन्दनवन में ।

पारिजात शुभ है स्वर्गन में ।

देवों की मत ख्याति मिटाएँ ।

भू पर इस के आरोपण में ।

गरुड़ वेद की ही प्रतिश्रुति हैं ।

जो कि आप के हैं वाहन में ।।

 

 

 

 

 

हतपापचये हेयः लङ्केशः अयम् असारधीः ।

राजिराविरतेरापः हाहा अहम्ग्रहम् आर घः ।।

 

विंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

राम ने मारा खर को रण में ।

रावण ने यह सोचा मन में ।

राक्षस मेरे संग बहुतेरे ।

क्रूर, मस्त मय पी जीवन में ।

धावा करें, घेर लें उस को ।

जिस ने मारे राक्षस वन में ।।

 

 

 

 

 

घोरम् आह ग्रहम् हाहापः अरातेः रविराजिराः ।

धीरसामयशोके अलम् यः हेये च पपात ह ।।

 

 

विंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

नृप गन्धर्व और देवन में

दमक रहे स्वर्णाभूषण में ।

दुःख समाया हुआ हृदय में ।

इससे भूल हुई समझन में ।

क्यों यह देवराज ने सोचा ?

लेंगे माधव को बन्धन में ।।

 

 

 

 

 

ताटकेयलवात् एनोहारीहारिगिरा आस सः ।

हा असहायजना सीता अनाप्तेन अदमनाः भुवि ।।

 

एकविंशतितमः श्लोकः अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

पाप नष्ट होते त्रिभुवन में ।

राम नाम जब लेते मन में ।

चिल्लाया मारीच रामस्वर ।

लक्ष्मण रक्षा करना वन में ।

सीता आर्तनाद यह सुन कर ।

विचलित राम बिना निर्जन में ।।

 

 

 

 

 

विभुना मदनाप्तेन आत आसीनाजयहासहा ।

सः सराः गिरिहारी हानोदेवालयके अटता ।।

 

एकविंशतितमः श्लोकः प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

बहु समृद्ध इन्द्र हैं धन में ।

पङ्खहीन गिरि सब निर्जन में ।

ठनी इन्द्रसुत कृष्णतनय में ।

उतरे इन्द्र पुत्र पक्षन में ।

ले प्रद्युम्न को संग कृष्ण भी ।

विचरें सभी ओर स्वर्गन में ।।

 

 

 

 

 

भारमा कुदशाकेन आशराधीकुहकेन हा ।

चारुधीवनपालोक्या वैदेही महिता हृता ।।

 

द्वाविंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

सीता लक्ष्मी सभी गुणन में ।

पूजित हैं हर विधि जन गण में ।

रावण नीच विधा पर उतरा ।

हुआ सफल छल सिया हरण में ।

उठा लिया बैठाया रथ पर ।

देव चुप रहे फिर भी वन में ।।

 

 

 

 

 

ता: हृताः हि महीदेवैक्यालोपानवधीरुचा ।

हानकेहकुधीराशा नाकेशादकुमारभाः ।।

 

द्वाविंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

हुए अशान्त प्रद्युम्ना मन में ।

देख इन्द्र का निश्चय रण में ।

भगते देव लौट कर आए ।

देखे इन्द्र देव रक्षण में ।

देव सभी नकली योद्धा हैं ।

पीठ दिखाएँ रण प्राङ्गण में ।।

 

 

 

 

 

हारि तोयदभः रामावियोगे अनघवायुजः ।

तम् रुमामहितः अपेतामोद: असारज्ञः आम यः ।।

 

त्रयोविंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

सुन्दर राम कान्ति मेघन में ।

हनुमत साथ सीय बिन वन में ।

रुमा छिनी सुग्रीव दुःखी हैं ।

भूले बुद्धि और बल क्षणन में।

वालि ने सताया है इतना ।

राम बचाएँ इन को रण में ।।

 

 

 

 

 

यः अमराज्ञः असादोमः अतापेतः हिममारुतम् ।

जः युवाघनगेयः विम आर आभोदयतः अरिहा ।।

 

त्रयोविंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

मूर्छित हुए कृष्ण सुत रण में।

देव बढ़े लेने बन्धन में ।

थपकी लागी शीत पवन की।

तत्क्षण वे आए चेतन में।

पुनः प्रहार किया देवों पर।

और हराया उन को रण में ।।

 

 

 

 

 

भानुभानुतभाः वामासदामोदपरः हतम्

तम् ह तामरसाभाक्षः अतिराता अकृतवासविम् ।।

 

 

चतुर्विंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

आभा इतनी थी रामन में ।

फीकी लगे प्रभा सूर्यन में ।

कमल समान राम की आँखें ।

दें आनन्द सिया के मन में ।

वाली इन्द्रपुत्र बलशाली ।

मार गिराया उस को रण में ।।

 

 

 

 

 

विम् सः वातकृताराति क्षोभासारमताहतम् ।

तम् हरोपदमः दासम् आव आभातनु भानुभाः ।।

 

चतुर्विंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

शिव न कृष्ण से जीते रण में ।

आभा इतनी कब सूर्यन में !

फड़काए जब पंख गरुड़ ने ।

हो गई क्षीण शक्ति देवन में।

निज वाहन पर वार हुए तो ।

कृष्ण कहाँ चुप रहते रण में ?

 

 

 

 

 

हंसजारुद्धबलजा परोदारसुभा अजनि ।

राजि रावणरक्षोर विघाताय रमा आर यम् ।।

 

पञ्चविंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

राम सुग्रीव मैत्रि बन्धन में ।

रक्षा इक दूजे की रण में ।

है राजा और सेना सारी।

राम हेतु जीवन अर्पण में।

रावण वध कर यश पाएँगे ।

वानर रामचन्द्र संगन में ।।

 

 

 

 

 

यम् रमा आर यताघाविरक्षोरणवराजिरा ।

निजभा सुरदारोपजाल बद्धरुजासहम् ।।

 

पञ्चविंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

बाण वृष्टि सह कर भी रण में ।

कृष्णाभा क्षयकर असुरन में ।

जयलक्ष्मी का वरण कर रहे ।

कर परास्त अरिगण को रण में ।

कांति मनोहर मधुसूदन की।

मिटती नहीं किसी अनबन में।

 

 

 

 

 

सागरातिगम् आभातिनाकेशः असुरमासहः ।

तम् सः मारुतजम् गोप्ता अभात् आसाद्यगतः अगजम् ।।

 

षड्विंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

इन्द्राधिक कीर्ति रामन में ।

सह नहीं सके प्रगति असुरन में ।

रक्षा में हनुमान साथ हैं ।

सागरतट सहाद्रि शेषन में ।

ख्याति अपार मिली हनुमत को ।

सागर पार गए लङ्कन में ।।

 

 

 

 

 

जम् गतः गदी असादाभाप्ता गोजंतरुम् आसतम् ।

हः समारसुशोकेन अतिभामागत: आगस ।।

 

षड्विंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

कृष्ण क्रोध प्रद्युम्न दुःखन में ।

क्षति पहुँची है जिस को रण में ।

पारिजात अरु गदा हाथ हैं ।

तरु जो उपजा है स्वर्गन् में।

कीर्ति अशेष सदा ही उन की ।

विजयी कृष्ण रहेंगे रण में ।।

 

 

 

 

 

वीरवानरसेनस्य त्राता अभात् अवता हि सः ।

तोयधौ अरिगोयादसि अयतः नवसेतुना ।।

 

सप्तविंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

गहरा पानी है जलधिन में।

है बल बहुत वारि-जीवन में।

त्राता राम वानरों के हैं ।

तैरें पत्थर हरि सङ्गन में ।

पुल बनने पर वानर सेना।

पार करे, पहुँचे लङ्कन में।।

 

 

 

 

 

ना तु सेवनतः यस्य दयागः अरिवधायतः ।

: हि तावत् अभाता त्रासी अनसेः अनवारवी ।।

 

सप्तविंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

जो हैं हरि की कीर्ति श्रवण में ।

जीतें वे अरिदल से रण में ।

करते मधुस्वर से हरि गायन ।

कभी न हारें संसारन में ।

खोते कान्ति, शान्ति उन के बिन ।

डरते अरि से बिन शस्त्रन में ।।

 

 

 

 

 

हारिसाहसलङ्केनासुभेदी महितः हि सः ।

चारुभूतनुजः रामः अरम् आराधयदार्ति हा ।।

 

 

अष्टाविंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

अद्भुत शक्ति राम बाणन में ।

किया पराजित रावण रण में ।

सीता सुन्दर भूमिसुता थी ।

रामचन्द्र सङ्गिनि जीवन में ।

राम सदा ही रक्षक उनके।

जो आएं उनके चरणन में।।

 

 

 

 

हा आर्तिदाय धराम् आर मोराः जः नुतभूः रुचा ।

सः हितः हि मदीभेसुनाके अलम् सहसा अरिहा ।।

 

अष्टाविंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

थे प्रद्युम्न कृष्ण रक्षण में ।

मारा अरिगण को स्वर्गन में ।

नहीं कर सका कुछ ऐरावत ।

था मदमस्त स्वर्ग प्राङ्गण में ।

जिनके उर पर लक्ष्मि विराजे ।

कौन हराए उन को रण में ?

 

 

 

 

 

नालिकेर सुभाकारागारा असौ सुरसापिका ।

रावणारिक्षमेरा पूः आभेजे हिन न अमुना ।।

 

नवविंशतितमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

प्रजा प्रसन्न आज अवधन में।

राक्षस रावण संहारन में ।

वृक्ष नारियल के घेरे हैं ।

इन रंगीं अवधी भवनन में ।

यह नगरी है राम की नगरी ।

करते राज सभी के मन में ।।

 

 

 

 

 

न अमुना ने हि जेभेरा पूः आमे अक्षरिणा वरा ।

का अपि सारसुसौरागा राकाभासुर केलिना ।।

 

नवविंशतितमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी पद्यानुवाद

 

नगर द्वारिका उत्सवपन में ।

जीतें हाथी अरि को रण में ।

कृष्ण साहसी धर्म वीर हैं ।

गोपियन साथी बालकपन में ।

पारिजात को आन द्वारिका ।

रोपित किया उसे नगरन में।।

 

 

 

 

 

सा अग्र्यतामरसागाराम् अक्षामा घनभा आर गौः ।

निजदे अपरजिति आस श्री: रामे सुगराजभा ।।

 

त्रिंशत्तमः श्लोकः ~ अनुलोम हिन्दी पद्यानुवाद

 

कान्ति न अवध आय वर्णन में ।

लक्ष्मी बसतीं इस नगरन में ।

भरी अयोध्या कमल पुष्प से ।

आभा फैली सभी दिशन में ।

दें अपना सर्वस्व राज्य को ।

राम रहे अपराजित रण में ।।

 

 

 

 

 

भा अजरागसुमेरा श्रीसत्याजिरपदे अजनि ।

गौरभा अनघमा क्षामरागासा अरमत अग्र्यसा ।।

 

त्रिंशत्तमः श्लोकः ~ प्रतिलोम हिंदी रूपान्तरण

 

पारिजात तरु था स्वर्गन में ।

फूले सतभामा प्राङगण में ।

उसकी आभा वैमनस्य को ।

मिटा चुकी सब के ही मन में ।

रुक्मिणि और सत्यभामा अब ।

आन लगीं कृष्णन वक्षन में ।।