Saturday 26 February 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 COUPLETS

कैसा फ़िराक़, कैसी जुदाई, कहाँ का
 हिज्र ? 
वो जाएगा अगर तो ख़यालों में आएगा। 
......... अंजुम ख़लीक़......... 

What sort of parting, separation, disunion ?
If he leaves, in thoughts there 'll be union.

ख़ुद अपने आप से मिलने की ख़ातिर। 
अभी कोसों मुझे चलना पड़ेगा। 
........ सीमा ग़ज़ल............

In order to meet myself, my own. 
I have to go miles on path unknown. 

जिस क़दर जज़्ब - ए-मोहब्बत का असर होता गया। 
इश्क़ ख़ुद तर्क-ओ-तलब से बे-ख़बर होता गया।...... क़मर मुरादाबादी......... 

 The extent to which love, affected me over and above. 
It got unaware of the desire, to   desert or acquire. 

इस सीना-ए-वीराँ में खिलाए न कभी फूल। 
क्यों बाग़ में इतराती रही बाद-ए-सबा
है ?.... जयकिशन चौधरी हबीब... 

Not a flower could it grace, in this vast desert space. 
In garden why does breeze, give itself airs to please ? 

गुज़रे हज़ार बादल पलकों के साए साए। 
उतरे हज़ार सूरज इक शह-नशीं-ए-दिल पर।.......... अहमद मुश्ताक़.......... 

Thousand clouds were blown, under eyelash shadow zone. 
A thousand suns descended on a single heart's throne. 


Sunday 20 February 2022

GHAZAL........ RAVI MAUN... ITNI SI DAASTAAN HAI HAMARE NIBAAH KI.......

इतनी सी दास्ताँ है हमारे निबाह की।
हमने न आह की कभी उसने न वाह की। 

थे ग़ैर भी शरीक हमारे अज़ीज़ बन। 
हमने न क़द्र की कभी उनकी सलाह की।

दामन पे गुल-ओ-ख़ार का हक़ एक सा ही है।
किस वास्ते बशर ने न की सम्त चाह की। 

हर शख़्स के क़रीब चली आ रही है मौत। जिसने न फ़िक्र की कभी भी रस्म-ओ-राह की।

कहते हो अपनी बात भी, रहते हो मगर 'मौन' ।
हमको न चाह ऐसे किसी ख़ैरख़्वाह की। 


Wednesday 16 February 2022

bashir1

Bashir Badr's Photo'

बशीर बद्र

1935 

     
     
     
     

बशीर बद्र के शेर

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उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो।

जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए। **

Let the glow of your memories be ever with me. 

Who knows, which lane marks the eve'of life. 

  • शबनम के आँसू
  • फूल पर ये तो वही क़िस्सा  हुआ। 
    आँखें मिरी भीगी हुई चेहरा तिरा उतरा हुआ। *
Flowers with tears of dew, it is
 story with this clue. 
My wet eyes can face, looking down is your face



जी भर के देखा कुछ बात की

बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की*

  • Neither saw to content nor talked with intent. 
  • The desire was strong, to meet you for long. 

  • दिल वो पूजा की थाली है जिस में ज़िन्दगी  फूल रखना भूल गई। 
  • और आँखें वो ताक़-ए-मस्जिद हैं जिनमें अब रौशनी नहीं होती। *
Heart is that meditational plate, where life forgot to put  flowers till date. 
Eyes are high placed holes of mosque, where from no light emits of late. 
  • किसी का प्यार मुझे देर तक न रोक सका। 
    मिरे बदन में हवा की कोई अलामत है। 
No one's love could hold me for long.
 In my body there's a sign of wind song. 

फल पक चुका है शाख़ पे गर्मी की धूप में 
हम अपने दिल की आग में तैयार हो गए

Fruit has ripened on twig in summer heat. 
I am prepared by my own heart fire upbeat.  

ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं

पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है*

  • O life ! You gave me space lesser than the grave, so small. 
  • When I stretch my feet, the head bangs against the wall. 

  •   कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी।
  • यूँ कोई बे-वफ़ा नही होता। *

  • Some compulsions must have been there  to blame. Why for no reason, will one faithlessness claim ? 

  •  बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना

जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता। *

  • When you meet big-wigs, keep distance for sure. 
  • When stream meets sea, the stream is no more.  
  •  दुश्मनी जम कर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे

जब कभी हम दोस्त हो जाएँ तो शर्मिंदा हों  *

Be enemies to full extent, but keep some space. 

If later we be chums, shouldn't be ashamed to face. 


  • यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं

मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे

People here, don't value the man, but his dress. 

Give me less wine, in  glass bigger to impress. 

  • मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती मिला

अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी मिला

Don't mix love 'n exhibited friendship, so fake. 

 If you can not embrace, let hands not shake. 



  •  हर धड़कते पत्थर को लोग दिल समझते हैं

उम्रें बीत जाती हैं दिल को दिल बनाने में

  • People call each throbbing stone a heart 
  • Lives are spent in making heart a heart. 
  •  मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी

किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी


  • I am a traveller and so are you. 
  • At some crossing, we 'll meet too. 

  •  कोई हाथ भी मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से

ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो

  • None will shake even hand, if you meet in heat. 
  • It's new style city , keep distance when you meet. 
  •  तुम मोहब्बत को खेल कहते हो

हम ने बर्बाद ज़िंदगी कर ली


  •  ख़ुदा की इतनी बड़ी काएनात में मैं ने

बस एक शख़्स को माँगा मुझे वही मिला


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तुम मुझे छोड़ के जाओगे तो मर जाऊँगा

यूँ करो जाने से पहले मुझे पागल कर दो

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हसीं तो और हैं लेकिन कोई कहाँ तुझ सा

जो दिल जलाए बहुत फिर भी दिलरुबा ही लगे

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हम तो कुछ देर हँस भी लेते हैं

दिल हमेशा उदास रहता है


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सर झुकाओगे तो पत्थर देवता हो जाएगा

इतना मत चाहो उसे वो बेवफ़ा हो जाएगा

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इतनी मिलती है मिरी ग़ज़लों से सूरत तेरी

लोग तुझ को मिरा महबूब समझते होंगे

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पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है

ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है

  • टैग्ज़ : ग़म 
    और 2 अन्य
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पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला

मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा

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मैं जब सो जाऊँ इन आँखों पे अपने होंट रख देना

यक़ीं जाएगा पलकों तले भी दिल धड़कता है

What I am in sleepy space, on my eyes lips you place. 

I 'll be  sure about the state, under eye heart does pulsate. 

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शोहरत की बुलंदी भी पल भर का तमाशा है

जिस डाल पे बैठे हो वो टूट भी सकती है

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दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम

तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे

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लोग टूट जाते हैं एक घर बनाने में

तुम तरस नहीं खाते बस्तियाँ जलाने में

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उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में

फिर लौट के बचपन के ज़माने नहीं आते

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घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे

बहुत तलाश किया कोई आदमी मिला

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तुम्हें ज़रूर कोई चाहतों से देखेगा

मगर वो आँखें हमारी कहाँ से लाएगा

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वो चेहरा किताबी रहा सामने

बड़ी ख़ूबसूरत पढ़ाई हुई

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भला हम मिले भी तो क्या मिले वही दूरियाँ वही फ़ासले

कभी हमारे क़दम बढ़े कभी तुम्हारी झिजक गई

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अगर फ़ुर्सत मिले पानी की तहरीरों को पढ़ लेना

हर इक दरिया हज़ारों साल का अफ़्साना लिखता है

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भूल शायद बहुत बड़ी कर ली

दिल ने दुनिया से दोस्ती कर ली

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अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा

मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा

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सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें

आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत

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इसी लिए तो यहाँ अब भी अजनबी हूँ मैं

तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं

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अभी राह में कई मोड़ हैं कोई आएगा कोई जाएगा

तुम्हें जिस ने दिल से भुला दिया उसे भूलने की दुआ करो

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ख़ुदा ऐसे एहसास का नाम है

रहे सामने और दिखाई दे

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आँखों में रहा दिल में उतर कर नहीं देखा

कश्ती के मुसाफ़िर ने समुंदर नहीं देखा

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    मोहब्बत एक ख़ुशबू है हमेशा साथ चलती है

    कोई इंसान तन्हाई में भी तन्हा नहीं रहता

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    इसी शहर में कई साल से मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं

    उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं मुझे उन का कोई पता नहीं

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      आशिक़ी में बहुत ज़रूरी है

      बेवफ़ाई कभी कभी करना

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      कभी कभी तो छलक पड़ती हैं यूँही आँखें

      उदास होने का कोई सबब नहीं होता

      • टैग्ज़ : आँख 
        और 1 अन्य
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      है अजीब शहर की ज़िंदगी सफ़र रहा क़याम है

      कहीं कारोबार सी दोपहर कहीं बद-मिज़ाज सी शाम है

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      तुम होश में हो हम होश में हैं

      चलो मय-कदे में वहीं बात होगी

      • टैग्ज़ : नशा 
        और 1 अन्य
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      गुफ़्तुगू उन से रोज़ होती है

      मुद्दतों सामना नहीं होता

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        बहुत दिनों से मिरे साथ थी मगर कल शाम

        मुझे पता चला वो कितनी ख़ूबसूरत है

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        एक औरत से वफ़ा करने का ये तोहफ़ा मिला

        जाने कितनी औरतों की बद-दुआएँ साथ हैं

        • टैग्ज़ : औरत 
          और 1 अन्य
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        जी बहुत चाहता है सच बोलें

        क्या करें हौसला नहीं होता

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        कभी तो आसमाँ से चाँद उतरे जाम हो जाए

        तुम्हारे नाम की इक ख़ूब-सूरत शाम हो जाए

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        महक रही है ज़मीं चाँदनी के फूलों से

        ख़ुदा किसी की मोहब्बत पे मुस्कुराया है

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        दिल की बस्ती पुरानी दिल्ली है

        जो भी गुज़रा है उस ने लूटा है

        • टैग्ज़ : दिल 
          और 1 अन्य
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        उदास हो मलाल कर किसी बात का ख़याल कर

        कई साल ब'अद मिले हैं हम तेरे नाम आज की शाम है

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        काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब के

        दीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

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        अजीब शख़्स है नाराज़ हो के हँसता है

        मैं चाहता हूँ ख़फ़ा हो तो वो ख़फ़ा ही लगे

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          अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया

          जिस को गले लगा लिया वो दूर हो गया

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            शबनम के आँसू फूल पर ये तो वही क़िस्सा हुआ

            आँखें मिरी भीगी हुई चेहरा तिरा उतरा हुआ

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            • टैग्ज़: आँख 
              और 3 अन्य

            कभी मैं अपने हाथों की लकीरों से नहीं उलझा

            मुझे मालूम है क़िस्मत का लिक्खा भी बदलता है

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            हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है

            जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

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              जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है

              आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा

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              रोने वालों ने उठा रक्खा था घर सर पर मगर

              उम्र भर का जागने वाला पड़ा सोता रहा

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              उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने से

              तुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिए बनाया है

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              अजब चराग़ हूँ दिन रात जलता रहता हूँ

              मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे

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                उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे

                मुझे रोक रोक पूछा तिरा हम-सफ़र कहाँ है

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                मैं हर हाल में मुस्कुराता रहूँगा

                तुम्हारी मोहब्बत अगर साथ होगी

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                उस की आँखों को ग़ौर से देखो

                मंदिरों में चराग़ जलते हैं

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                मैं बोलता हूँ तो इल्ज़ाम है बग़ावत का

                मैं चुप रहूँ तो बड़ी बेबसी सी होती है

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                चाँद सा मिस्रा अकेला है मिरे काग़ज़ पर

                छत पे जाओ मिरा शेर मुकम्मल कर दो

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                बहुत अजीब है ये क़ुर्बतों की दूरी भी

                वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी मिला

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                मैं चाहता हूँ कि तुम ही मुझे इजाज़त दो

                तुम्हारी तरह से कोई गले लगाए मुझे

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                तिरी आरज़ू तिरी जुस्तुजू में भटक रहा था गली गली

                मिरी दास्ताँ तिरी ज़ुल्फ़ है जो बिखर बिखर के सँवर गई

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                तुम अभी शहर में क्या नए आए हो

                रुक गए राह में हादसा देख कर

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                मैं तमाम दिन का थका हुआ तू तमाम शब का जगा हुआ

                ज़रा ठहर जा इसी मोड़ पर तेरे साथ शाम गुज़ार लूँ

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                ख़ुदा हम को ऐसी ख़ुदाई दे

                कि अपने सिवा कुछ दिखाई दे

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                  ये एक पेड़ है इस से मिल के रो लें हम

                  यहाँ से तेरे मिरे रास्ते बदलते हैं

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                  वो जिन के ज़िक्र से रगों में दौड़ती थीं बिजलियाँ

                  उन्हीं का हाथ हम ने छू के देखा कितना सर्द है

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                  मुख़ालिफ़त से मिरी शख़्सियत सँवरती है

                  मैं दुश्मनों का बड़ा एहतिराम करता हूँ

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                  रात का इंतिज़ार कौन करे

                  आज कल दिन में क्या नहीं होता

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                    अजीब रात थी कल तुम भी के लौट गए

                    जब गए थे तो पल भर ठहर गए होते

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                    सब लोग अपने अपने ख़ुदाओं को लाए थे

                    इक हम ही ऐसे थे कि हमारा ख़ुदा था

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                    नए दौर के नए ख़्वाब हैं नए मौसमों के गुलाब हैं

                    ये मोहब्बतों के चराग़ हैं इन्हें नफ़रतों की हवा दे

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                      तुम्हारे साथ ये मौसम फ़रिश्तों जैसा है

                      तुम्हारे बा'द ये मौसम बहुत सताएगा

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                      हम दिल्ली भी हो आए हैं लाहौर भी घूमे

                      यार मगर तेरी गली तेरी गली है

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                        मोहब्बत अदावत वफ़ा बे-रुख़ी

                        किराए के घर थे बदलते रहे

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                        इस शहर के बादल तिरी ज़ुल्फ़ों की तरह हैं

                        ये आग लगाते हैं बुझाने नहीं आते

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                          लहजा कि जैसे सुब्ह की ख़ुश्बू अज़ान दे

                          जी चाहता है मैं तिरी आवाज़ चूम लूँ

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                          कितनी सच्चाई से मुझ से ज़िंदगी ने कह दिया

                          तू नहीं मेरा तो कोई दूसरा हो जाएगा

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                          फिर याद बहुत आएगी ज़ुल्फ़ों की घनी शाम

                          जब धूप में साया कोई सर पर मिलेगा

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                          मैं ने दिन रात ख़ुदा से ये दुआ माँगी थी

                          कोई आहट हो दर पर मिरे जब तू आए

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                          • टैग्ज़: आहट 
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                          दुआ करो कि ये पौदा सदा हरा ही लगे

                          उदासियों में भी चेहरा खिला खिला ही लगे

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                          उस ने छू कर मुझे पत्थर से फिर इंसान किया

                          मुद्दतों बअ'द मिरी आँखों में आँसू आए

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                            मैं यूँ भी एहतियातन उस गली से कम गुज़रता हूँ

                            कोई मासूम क्यूँ मेरे लिए बदनाम हो जाए

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                              उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं

                              ये मोतियों की तरह सीपियों में पलते हैं

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                              • टैग्ज़: आँख 
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                              यारो नए मौसम ने ये एहसान किए हैं

                              अब याद मुझे दर्द पुराने नहीं आते

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                              कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते

                              किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते

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                              चराग़ों को आँखों में महफ़ूज़ रखना

                              बड़ी दूर तक रात ही रात होगी

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                                कई साल से कुछ ख़बर ही नहीं

                                कहाँ दिन गुज़ारा कहाँ रात की

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                                मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा

                                परिंदा आसमाँ छूने में जब नाकाम हो जाए

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                                ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं

                                तुम ने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा

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                                  वो इत्र-दान सा लहजा मिरे बुज़ुर्गों का

                                  रची-बसी हुई उर्दू ज़बान की ख़ुश्बू

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                                  किसी ने चूम के आँखों को ये दुआ दी थी

                                  ज़मीन तेरी ख़ुदा मोतियों से नम कर दे

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                                  • टैग्ज़: आँख 
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                                  वो बड़ा रहीम करीम है मुझे ये सिफ़त भी अता करे

                                  तुझे भूलने की दुआ करूँ तो मिरी दुआ में असर हो

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                                  हयात आज भी कनीज़ है हुज़ूर-ए-जब्र में

                                  जो ज़िंदगी को जीत ले वो ज़िंदगी का मर्द है

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                                  महलों में हम ने कितने सितारे सजा दिए

                                  लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया

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                                    मैं तमाम तारे उठा उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ

                                    वो जो एक रात को आसमाँ का निज़ाम दे मिरे हाथ में

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                                      ये ज़ाफ़रानी पुलओवर उसी का हिस्सा है

                                      कोई जो दूसरा पहने तो दूसरा ही लगे

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                                      वो अब वहाँ है जहाँ रास्ते नहीं जाते

                                      मैं जिस के साथ यहाँ पिछले साल आया था

                                      पहचान अपनी हम ने मिटाई है इस तरह

                                      बच्चों में कोई बात हमारी आएगी

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                                        दिल उजड़ी हुई एक सराए की तरह है

                                        अब लोग यहाँ रात जगाने नहीं आते

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                                        कमरे वीराँ आँगन ख़ाली फिर ये कैसी आवाज़ें

                                        शायद मेरे दिल की धड़कन चुनी है इन दीवारों में

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                                        जिस को देखो मिरे माथे की तरफ़ देखता है

                                        दर्द होता है कहाँ और कहाँ रौशन है

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                                          ग़ज़लों ने वहीं ज़ुल्फ़ों के फैला दिए साए

                                          जिन राहों पे देखा है बहुत धूप कड़ी है

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                                            फूलों में ग़ज़ल रखना ये रात की रानी है

                                            इस में तिरी ज़ुल्फ़ों की बे-रब्त कहानी है

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                                              यूँ तरस खा के पूछो अहवाल

                                              तीर सीने पे लगा हो जैसे

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                                              सुनाते हैं मुझे ख़्वाबों की दास्ताँ अक्सर

                                              कहानियों के पुर-असरार लब तुम्हारी तरह

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                                                सुना के कोई कहानी हमें सुलाती थी

                                                दुआओं जैसी बड़े पान-दान की ख़ुशबू

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                                                RECITATION

                                                aah ko chahiye ek umr asar hote takSHAMSUR RAHMAN FARUQI