Friday 4 March 2022

REKHTA COUPLETS FROM ISTEYAARE KI TALAASH MEN BY DHEERENDRA SINGH 'FAIYAAZ'

अब भी है साहिलिय्यत-ए-जान-ओ-बदन वही
दरिया में उसके साथ उतरने के बावजूद

फ़रहत एहसास

Despite entering together, inside the stream. 
She is still shore-fond in full esteem 

न कोई दाग़ न धब्बा न हरारत न तपिश
चाँद-सूरज से भी ये माह-जबीं अच्छे हैं
मुज़्तर ख़ैराबादी.

There's no unclean spoot, no vissisitude, not hot.
Better than sun 'n moon are lovers, quite a lot.

बिन खिले मुरझा गईं कलियाँ चमन में किस क़दर
ज़र्द-रू किस दर्जा हाए माह-पारे हो गए
गुलज़ार देहलवी

Buds wilted, unbloomed, within the garden this way. 
How yellow,  moon - face idols turned, what to say ? 


या रब मिरी उस बुत से मुलाक़ात कहीं हो
जिस बात को जी चाहे है वो बात कहीं हो
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी

O Almighty ! Let me with that idol meet. 
What I want to tell her, with that I greet. 


ज़ुल्फ़ घटा बन कर रह जाए आँख कँवल हो जाए
शायद उन को पल भर सोचें और ग़ज़ल हो जाए
क़ैसर- उल जाफ़री

Tress be cloud so dark, eyes be lotus in a water park. 
Well, think about her for a moment 'n soon' ll ghazal spark.

माँ की आँखें चराग़ थीं जिस में
मेरे हम-राह वो दुआ भी थी
अमजद इस्लाम अमजद

Mother's eyes were lamps, so bright.
Gave company, prayed, showed light. 

मैं ने जिन आँखों में देखे थे समन्दर मौजज़न
उन में जो भी डूबने वाला मिले प्यासा मिले
सादिक़ नसीम

The eyes in which I had seen, oceans had wavy been. 
Whoever dives in those eyes, 
be always thirsty, keen. 


मिस्ल-ए-अब्र-ए-करम हम जहाँ भी गए दश्त के दश्त गुलज़ार बनते गए
ज़र्द चेहरे थे झुलसे हुए धूप से ताज़गी पा के गुलनार बनते गए
मुजीब ख़ैराबादी

As a cloud wherever I went, 
Became gardens deserts spent. 
Yellow faces wilted with sun, 
Got fresh 'n blooming begun. 

सहरा को बहुत नाज़ है वीरानी पे अपनी
वाक़िफ़ नहीं शायद मिरे उजड़े हुए घर से
ख़ुमार बाराबंकवी

Very proud of its solitude is the stretch of desert. 
Probably, unaware of my unoccupied home in dirt. 

जंगल की वीरानी में
ख़ामोशी से गूँजा मैं
ख़ुर्शीद रब्बानी

In forest lonely expanse. 
I echoed in silence ! 


अगर वो गुल-बदन दरिया नहाने बे-हिजाब आवे
तअज्जुब नईं कि सब पानी सती बू-ए-गुलाब आवे
अब्दुल वहाब यकरू

If that flower-body enters a stream sans veil.
No wonder, rosy fragrance in water 'll prevail !

आ मिरे चाँद रात सूनी है
बात बनती नहीं सितारों से
यूसुफ़ ज़फ़र

O my moon ! Come, so lonely is night.
It isn't enough to say, stars are bright. 

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