Friday 4 August 2023

SAHIR LUDHIYANVI.. GHAZAL. MEIN ZINDAGI KA SATH NIBHATA CHALA GAYA...

मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया 

हर फ़िक्र को धुएँ में उड़ाता चला गया 

बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था 

बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया 

जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया 

जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया 

ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहाँ 

मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया

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