Friday 28 October 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 COUPLETS

इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िंदगी 
इस एक मुश्त-ए-ख़ाक को ग़म दो जहाँ के हैं..... चकबस्त..... 

The human life is just a sequence of lust. 
Has pain of two worlds,
 this fistful of dust ! 

कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर 
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है 
..... मंज़ूर हाशमी..... 

At times on meeting an unknown man. 
Some very old sequence 
 come to scan. 

ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा 
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं..... जिगर..... 

Life is a mishap and what a mishap! 
Even death can't it's sequence cap. 

उस से हर-दम मोआ'मला है मगर 
दरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं 
..... जौन एलिया..... 

Always some contact is with her, still. 
In between, there's no sequence to fill. 

दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में 
इक आईना था टूट गया देख-भाल में 
..... सीमाब अकबराबादी..... 

What was capacity of heart in view of beauty? 
It was a glass, got shattered in upkeep of duty. 

ये और बात कि आँधी हमारे बस में नहीं 
मगर चराग़ जलाना तो इख़्तियार में है 
..... अज़हर इनायती..... 

It's one thing that storm isn't in our control. 
But lighting a lamp is well within our control. 

सख़्त काफ़िर था जिन ने पहले 'मीर' 
मज़हब-ए-इश्क़ इख़्तियार किया 
..... मीर तक़ी मीर..... 

O 'Mir'! That man was devoid of  faith. 
Who had first adopted the love faith. 

अब अपना इख़्तियार है चाहे जहाँ चलें 
रहबर से अपनी राह जुदा कर चुके हैं हम 
.... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़....

It's within my control to go any way. .
With the guide, I have parted my way.

ये किस मुकाम पे पहुँचा दिया ज़माने ने। 
कि अब हयात पे तेरा भी इख़्तियार नहीं 
..... साहिर लुधियानवी.... 

At what a stage, has thrown  the age? 
Life of your own, you don't
 even own. 

तफ़रीक़ हुस्न-ओ-इश्क़ के अंदाज़ में न हो
लफ़्ज़ों में फ़र्क हो मगर आवाज़ में न हो
..... मंज़र लखनवी..... 

Let there be no difference between style of beauty 'n love 
There may be difference in  words not in voice from above. 

दोस्तों और दुश्मनों में किस तरह तफ़रीक़ हो 
दोस्तों और दुश्मनों की बे-रुख़ी है एक सी 
..... जान कश्मीरी..... 

The friends and enemies, how to set apart? 
They are so similar when faces they part. 

हुस्न और इश्क़ दोनों में तफ़रीक़ है पर इन्हीं दोनों पे मेरा ईमान है 
गर ख़ुदा रूठ जाए तो सज्दे करूँ और सनम रूठ जाए तो मैं क्या करूँ 
..... ताबिश कानपुरी .....

Love and beauty are different, but on both these, faith I lay. What to do when lover is angry , for the Almighty I can pray. 

कोई आँखों के शोले पोंछने वाला नहीं होगा 
'ज़फ़र' साहब ये गीली आस्तीं ही काम आएगी..... ज़फ़र गोरखपुरी..... 

To wipe embers of eyes, none will be around. 
Zafar saheb! Only a wet sleeve will be found. 

क़रीब है यारो रोज़-ए-महशर छुपेगा कुश्तों का ख़ून क्यूँकर 
जो चुप रहेगी ज़बान-ए-ख़ंजर लहू पुकारेगा आस्तीं का 
.....फ़ैज़ अहमद फ़ैज़... ..

Drawing near is the doomsday, blood of ages to conceal which way. 
If from tongue you get reprieve,
will cry aloud the blood on sleeve. 

बहाना ढूँडते रहते हैं कोई रोने का 
हमें ये शौक़ है क्या आस्तीं भिगोने का 
..... जावेद अख्तर..... 

Always am in search of an excuse to weep. 
Why have I the hobby to let 
the sleeve seep? 

हमेशा ख़ून-ए-दिल रोया हूँ मैं लेकिन सलीक़े से
न क़तरा आस्तीं पर है न धब्बा ज़ैब-ओ-दामन पर..... साइल देहलवी..... 

 I shed bloody tears, but always with stylish grace. 
Not a drop on sleeve, no spot on veil to trace. 

मैं बताऊँ फ़र्क़ नासेह जो है मुझ में और तुझ में 
मिरी ज़िंदगी तलातुम तिरी ज़िंदगी किनारा..... शकील बदायूनी..... 

I can tell O preacher, difference between your life and mine. 
While your life is a shore, pining for the storms is mine. 

मोहब्बत को समझना है तो नासेह ख़ुद मोहब्बत कर 
किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता..... ख़ुमार बारहबंकवी..... 

O preacher! You love, for love to be understood. 
From shore,  what's storm, can't be understood. 

नासेह को बुलाओ मिरा ईमान सँभाले 
फिर देख लिया उस ने उसी एक नज़र से 
..... हफ़ीज़ जालंधरी..... 

Please call the priest to support faith anew. 
She has seen me again 
with the same view. 

ये कहाँ की दोस्ती है कि बने हैं दोस्त नासेह
कोई चारा आज़ होता कोई ग़म-गुसार होता..... ग़ालिब..... 

What's this friendship, that my friends are preachers. 
Some could console in pain, others could be healers. 

आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं 
सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं..... हैरत इलाहाबादी..... 

No one is aware about the time of death. 
A centurion setup , may not last next breath. 




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