Friday 13 May 2022

MUSAHAFI... GHAZAL.. RAAT PARDE SE ZARAA MUNH JO KISU KA NIKLAA......

रात पर्दे से ज़रा मुँह जो किसू का निकला। 
शोला समझा था उसे मैं प भभूका निकला। 

Uncovered at night when a face became.
What I thought cinder was in fact a flame.

महर-ओ-मह उस की फ़बन देख के हैरान रहे।
जब वरक़ यार की तस्वीर-ए-दो-रू का निकला।

Surprised eith her beauty were sun 'n moon.
As double faced picture page of my love came. 

ये अदा देख के कितनों का हुआ काम तमाम। 
नीमचा कल जो टुक उस अरबदा-जू का निकला।

Many got perished by seeing that style.
For a while out dagger of the shouter came.

मर गई सर्व पे जब हो के तसद्दुक़ क़ुमरी।
उस से उस दम भी न तौक़ अपने गुलू का निकला।

As dove-bird was gifted 'n died for Sarv.
Her necklace wasn't out even for name.

' मुसहफ़ी'हम तो ये समझे थे कि होगा कोई ज़ख़्म।
तेरे दिल में तो बहुत काम रफ़ू का निकला। 

O' Mushafi' I had thought there was some tear. 
In your heart, there was a lot to stitch 'n claim. 

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