Sunday 8 May 2022

FANAA KANPURI.. GHAZAL.. GHAM HAR IK AANKH KO CHHALKAYE ZAROORI TO NAHIIN....

ग़म हर इक आँख को छलकाए ज़रूरी तो नहीं। 
अब्र उठे और बरस जाए ज़रूरी तो नहीं।

It's not essential that grief can spill every eye.
Rain shall not pour from each cloud roaring high. 

बर्क़ सैयाद के घर पर भी तो गिर सकती है। 
आशियाने पे ही लहराए ज़रूरी तो नहीं।

Electric spark can also fall on the captor's home. 
It's not essential that it 'll wave on the nests set high.

राहबर राह मुसाफ़िर को दिखा देता है। 
वही मंज़िल पे पहुँच जाए ज़रूरी तो नहीं। 
Guide can show the way to wayfarer. 
It isn't essential to reach goal in each try.

नोक-ए-हर-ख़ार ख़तरनाक तो होती है मगर।
सब के दामन से उलझजाए ज़रूरी तो नहीं ।

It's true that tip of each thorn is dangerous. 
These can't entangle every hem held high.

ग़ुंचे मुरझाते हैं और शाख़ से गिर जाने हैं। हर कोई फूल ही बन जाए ज़रूरी तो नहीं। 

Buds also shrivel and fall from twigs.
Each won't turn flower, it's true with a sigh. 

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