Monday 23 November 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. ANKHON MEN RAHA DIL....

आँखों से रहा दिल में उतर कर नहीं देखा।
किश्ती के मुसाफ़िर ने समन्दर नहीं देखा।

It stayed in the eyes, didn't get down to heart. 
Boat traveller didn't see the ocean from start. 

बे वक़्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे। 
इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा। 

All'll be surprised if I suddenly get in. 
Since long, home was not on day chart. 

जिस दिन से चला हूँ मिरी मंज़िल पे नज़र है। 
आँखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।

My eyes have not looked upon milestones. 
I have focused on goal from the day of start. 

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं। 
तुमने मिरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा। 

These flowers have just been inherited by me. 
You didn't gaze at thorns on my sleeping cart. 

पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला। 
मैं मोम हूँ उसने मुझे छू कर नहीं देखा। 

My lover states that I am a stone. 
I am wax, she hasn't touched from start. 

महबूब का घर हो कि बुज़ुर्गों की ज़मीनें। 
जो छोड़ दिया फिर उसे मुड़ कर नहीं देखा। 

Whether ancestral land or lover's lane. 
Never looked back what I left from heart. 


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