Sunday 15 November 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. SIYAHIYON MEN BANE....

सियाहियों में बने हर्फ़ हर्फ़ धोते हैं।
ये लोग रात में काग़ज़ कहाँ भिगोते हैं। 

Washing every word off it's yoke. 
Where at night, people papers soak. 

किसी की राह में दहलीज़ पर दिए न रखो
किवाड़ सूखी हुई लकड़ियों के होते हैं।

Don't keep alit the lamps on doorway. 
Doors are made of dry wood O bloke !

चराग़ पानी में मौजों से पूछते होंगे।
ये कौन लोग हैं जो कश्तियाँ डुबोते हैं।

Lamps ask waves while afloat. 
Who sink ship with one stroke.

 उन्हीं में खेलने आती हैं बेरया रूहें।
वो घर जो लाल हरी दफ़्तियों के होते हैं।

Pure souls come to play in these. 
Homes made of papery red green lights stock. 

क़दीम क़स्बों में कैसा सुकून होता है।
थके थकाए हमारे बुज़ुर्ग सोते हैं। 

How peaceful are our old towns!
Tired ancestors rest evoke. 

चमकती है कहीं सदियों में आँसुओं से ज़मीं ।
ग़ज़ल के शे'र कहाँ रोज़ रोज़ होते हैं। 

In centuries, this land glows with tears. 
Ghazal couplets daily do not stoke. 

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