Monday 17 August 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. BEWAFA RASTE BADALTE.....

बेवफ़ा रास्ते बदलते हैं।
हमसफ़र साथ साथ चलते हैं। 
Disloyals change their way. 
Co travellers go along way.
किस के आँसू छुपे हैं फूलों में। 
चूमता हूँ, तो होंठ जलते हैं। 
Whose tears are there in flowers. 
On kissing, lips burn all the way. 
उस की आँखों को ग़ौर से देखो। 
मंदिरों में चिराग़ जलते हैं। 
Look at her eyes with care. 
Lamps in temples glow away.
 दिल में रह कर नज़र नहीं आते।
ऐसे काँटे कहाँ निकलते हैं। 
Not seen while still in heart. 
Such thorns are there to stay. 
एक दीवार वो भी शीशे की। 
दो बदन पास पास जलते हैं।
Parting wall is made of glass. 
Bodies nearby, burn this way.
 वो सितारे मिरे सितारे हैं।
जो भरी धूप में निकलते हैं। 
Those stars are truly mine. 
As they shine in mid day. 
काँच के, मोतियों के, आँसू के। 
सब खिलौने ग़ज़ल में ढलते हैं। 
Glass, pearls and tears. 
For ghazal toys, all are clay. 

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