Saturday 29 August 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. DIL KI DAHLEEZ PE YADON......

दिल की दहलीज़ पे यादों के दिए रखे हैं।
आज तक हमने ये दरवाज़े खुले रखे हैं। 
There are lamps of memories on footsteps of heart.
Till date, I have kept open the gates of heart.
इस कहानी के वो किरदार कहाँ से लाऊँ? 
वही दरिया है, वही कच्चे घड़े रखे हैं। 
Where from to get those characters of story? 
Same is sream and unflamed 
pitchers in the part. 
हम पे जो गुज़री, बताया न बताएँगे कभी। कितने ख़त अब भी, तेरे नाम लिखे रखे हैं। 
Neither I have told nor tell what I suffered. 
Many letters addressed to you are kept from start. 
आप के पास ख़रीदारी की क़ूव्वत है अगर। 
आज सब लोग दुकानों में सजे रखे हैं। 
If you have got the guts to purchase. 
Today everyone is dressed up in the mart. 


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