Tuesday 18 August 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. SARE RAH KUCHH BHI KAHA.....

सरे राह कुछ भी कहा नहीं, कभी उसके घर में गया नहीं।
मैं जन्म जन्म से उसी का हूँ, उसे आज तक ये पता नहीं। 
Never visited her home, said nothing on the way.
Since lives, I am hers, she knows not till today. 
उसे पाक नज़रों से चूमना, भी इबादतों में शुमार है। 
कोई फूल लाख क़रीब हो, कभी मैंने उसको छुआ नहीं। 
Kissing her with pious looks, as written in holy books. 
Flower may be so near, but I didn't my hand lay. 
ये ख़ुदा की देन अजीब है, कि इसी का नाम नसीब है। 
जिसे तूने चाहा वो मिल गया, जिसे मैंने चाहा मिला नहीं। 
It is a God's gift, or call it fate so swift. 
You got whatever you asked, for me it was no way. 
इसी शहर में कई साल से, मिरे कुछ क़रीबी अज़ीज़ हैं। 
उन्हें मेरी कोई ख़बर नहीं, मुझे उनका कोई पता नहीं। 
In this city for years, are some near dears. 
Neither they are aware of me, nor I know their way. 


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