Tuesday 18 August 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. KHWAB IN ANKHON SE AB...

ख़्वाब इन आँखों से अब कोई चुरा कर ले जाय।
क़ब्र के सूखे हुए फूल उठा कर ले जाय। 
Dreams from my eyes, let someone steal. 
Remove flowers from grave, their dry feel. 
मुंतज़र फूल में, ख़ुशबू की तरह हूँ कबसे।
कोई झोंके की तरह आए, उड़ा कर ले जाय।
Waiting like incense in flower since long.
Let gust of wind take all along it's zeal.
ये भी पानी है, मगर आँख का ऐसा पानी।
जो हथेली से रची मेंहदी, छुड़ा कर ले जाय। 
I am also water but that of the eyes.
Which from hennaed hands can colour steal. 
मैं मुहब्बत से महकता हुआ ख़त हूँ मुझको। 
ज़िन्दगी अपनी किताबों में छुपा कर ले जाय। 
I am a sweet smelling letter of love, so. 
Let life hide me in the books beyond feel. 
ख़ाक इंसाफ़ है, नाबीना बुतों के आगे। 
रात थाली में चिराग़ों को, सजा कर ले जाय।
What silly justice, before blind idols. 
Night sets lamps on a plate of steel. 
उस से कहना कि मैं पैदल नहीं आने वाला। 
कोई बादल मुझे काँधे पे बिठा कर ले जाय। 
Tell her that I will not come on foot. 
Let a cloud give me shoulder's feel. 

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