Saturday 6 July 2024

अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः श्लोक संख्या ६

नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी ।
कैवल्यं इव सम्प्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम्।। ६।।
अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः ज्ञानाष्टक 
श्लोक संख्या ६

हिन्दी पद्यानुवाद.    रवि मौन 

न तो मैं शरीर हूँ न ये शरीर मेरा है। 
मैं विशुद्ध बोध हूँ यही निश्चय मेरा है। 
देह होते हुए भी विदेह यह सत्पुरुष का नूर। 
कृत अकृत को भुला कर आकांक्षा से दूर।। ६।।


Wednesday 3 July 2024

अष्टावक्र महागीता. एकादश प्रकरणः श्लोक संख्या ।। ३।।

आपदः सम्पदः काले दैवादेवेति निश्चयी।
तृप्तः स्वस्थेन्द्रियो नित्यं न वाञ्छति न शोचति।। ३।।

सम्पद आपद दैवयोग से मिलें समय अनुसार। 
जो जाने यह सत्य, वही हो पूर्ण तृप्त हर बार। 
जीते वह नर सभी इन्द्रियाँ, इच्छा रहे न एक। 
पाकर होय प्रसन्न न ,खो हों न विषाद अनेक।। ३।।

              हिन्दी पद्यानुवाद.... रवि मौन 

Saturday 29 June 2024

अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः ज्ञानाष्टक

नाहं देहो न मे देहो बोधोऽहमिति निश्चयी। 
कैवल्यं इव संप्राप्तो न स्मरत्यकृतं कृतम्।। 

अष्टावक्र महागीता एकादश प्रकरणः. ज्ञानाष्टक

हिन्दी पद्यानुवाद रवि मौन 

न तो मैं शरीर हूँ और न यह शरीर मेरा है। 
मैं तो विशुद्ध बोध हूँ यह सत्निश्चय मेरा है।
कृत-अकृत को भुला कर जब इच्छा हों दूर।
नर विदेह इस से बने रहे देह भरपूर।।