रवि मौन की मधुशाला - १२
दुःख से मुक्ति मिलेगी, ऐसा सोच उठाया था प्याला।
और सांत्वना बन्धुजनों सी, दे देगी साक़ी बाला।
आर्तनाद ही प्रणय-निवेदन में परिवर्तित होता है।
उर के छालों से खींची है हाला तूने मधुशाला।।
दुःख से मुक्ति मिलेगी, ऐसा सोच उठाया था प्याला।
और सांत्वना बन्धुजनों सी, दे देगी साक़ी बाला।
आर्तनाद ही प्रणय-निवेदन में परिवर्तित होता है।
उर के छालों से खींची है हाला तूने मधुशाला।।