Saturday 25 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 12

रवि मौन की मधुशाला - १२  

दुःख से मुक्ति मिलेगी, ऐसा सोच उठाया था प्याला। 
और सांत्वना बन्धुजनों सी, दे देगी साक़ी बाला। 
आर्तनाद ही प्रणय-निवेदन में परिवर्तित होता है। 
उर के छालों से खींची है हाला तूने मधुशाला।। 

Thursday 23 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 11

रवि मौन की मधुशाला - ११ 

करतल ध्वनि मैं कर न सकूँगा जब तक रिक्त मेरा प्याला। 
शायद मान जाय सुंदरता का बखान सुन कर बाला। 
जिस विधि से भी हो, मुझको तो अपनी प्यास बुझानी है। 
तुम से हो या हाला से, यह निर्णय लेगी मधुशाला।।


I can't clap with empty cup in hand. 
A tale of her beauty may alter barmaid 's stand. 
I just want to quench my thirst. 
Drink or dame, whoever comes first. 



Tuesday 21 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 10

रवि मौन की मधुशाला - १० 

प्याला है, या कटि प्रदेश है तेरा यह साक़ी बाला। 
जितना मधु छलकाने वाला, उतना तरसाने वाला। 
लालायित हैं, इसे पकड़ कर होंठों से छू लेने को। 
पीने वाले इसी आस में,  नित आते हैं मधुशाला।।    

Sunday 19 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 9

रवि मौन की मधुशाला - ९ 

कब तक रहूँ प्रतीक्षारत मैं, कर में रिक्त लिए प्याला।
जाने कब डालेगी मुझपर कृपादृष्टि साक़ीबाला।   
कब तक मैं उपहास सहूँगा साथी पीने वालों का।
कुछ विचार तो करना होगा मुझ पर भी हे मधुशाला।। 

Friday 17 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 8

रवि मौन की मधुशाला - ८ 

कभी दाल कर दो बूँदें ही चल देती साक़ीबाला।
प्यास बढ़ा कर नैनों से ही हाय बींध मुझको डाला।
प्याला ले कर खड़ा रहा पर आज मुझे संताप नहीं।
साक़ी अधिक नशीली मधु से, सर्वाधिक है मधुशाला।। 

Wednesday 15 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 7

रवि मौन की मधुशाला - ७ 

भग्न हृदय यह मानव का है, कह न इसे टूटा प्याला।
प्रमुदित हो कर इंगित करती अभी गई साक़ीबाला।
कितने मतवालों ने इससे अपनी प्यास बुझाई थी।
टूटा गया यह, फिर भी इसकी ऋणी रहेगी मधुशाला।।



Monday 13 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 6

रवि मौन की मधुशाला - ६

यह तो मानव की क्षमता है, जो पी जाता है ज्वाला।
संचित उसकी शक्ति कर रही है सुन्दर साक़ी बाला।
जब भी साहस डगमग  करता चंचल चितवन दिखलाती।
जिसे देख कर पीने वाला ही बन जाता मधुशाला।।



Saturday 11 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 5

रवि मौन की मधुशाला - ५ 

चार दिनों का जीवन है यह, कहता है इक मतवाला।
दो दिन बीत गए अन्वेषण जब तक कर पाया प्याला।
नित नूतन साक़ी के नखरे, चलने के अंदाज़ नए।
हाय प्रथम से क्यों न पा सका जीवन में यह मधुशाला।।     

Thursday 9 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 4

रवि मौन की मधुशाला - ४   

धीरे- धीरे समझूँगा अंदाज़ लिपटने के बाला।
धीरे- धीरे समझूँगा आनंद चूमने के हाला।
धीरे- धीरे भूल सकूँगा मैं जग की दुत्कार सभी।
धीरे- धीरे अंकित होगी हृदय पटल में मधुशाला।। 

Tuesday 7 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 3

रवि मौन की मधुशाला - ३  

तुझको चिंता क्या मेरी, तू रटता रह साक़ीबाला।
अविरल ढलने वाले मधुघट, अविरल भर आता प्याला।
अविरल पीने वाले मतवालों का यह समूह साथी।
तेरे जीवन की चिंताएं हर लेगी यह मधुशाला।। 

Sunday 5 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 2

रवि मौन की मधुशाला - २  

मदिरालय में प्यासे हैं सब, मैं, मेरा आधा प्याला।
हाथ पकड़ने वाली साक़ी, डगमग पग पीने वाला।
मधु विक्रेता भी प्यासा है, हानि-लाभ के फेरे में।
प्यासी रहती नहीं कभी भी, केवल मेरी मधुशाला।   

Friday 3 June 2016

Ravimaun ki Madhushala - 1

रवि मौन की मधुशाला - १ 

सड़े हुए चावल से निकली सृष्टि, यही इनकी हाला।
दबे हुए मिट्टी में मधुघट, मिट्टी का ही यह प्याला।
पूरे पैसे रखवा कर मधु विक्रेता देता इसको।
यहाँ कहाँ दिखता है साक़ी, यह अलबेली मधुशाला।