Saturday 30 April 2022

REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS

किसे कहें कि रिफ़ाक़त का दाग़ है दिल पर।
बिछड़ने वाला तो खुल कर कभी मिला ही नहीं।...... असलम अंसारी.....

Whom to say that companion's stain is on heart. 
One who parted, had never met well from start.

हम जुदा हो गए आग़ाज़-ए-सफ़र  से पहले।
जाने किस सम्त हमें राह-ए-वफ़ा ले जाती
..... शहरयार.....

We parted before start of journey could make. 
Unaware, which way path of love could take. 

ज़िन्दगी गुल है, नग़्मा है, महताब है।
ज़िन्दगी को फ़क़त इम्तिहाँ मत समझ। 
..... मोहसिन भोपाली.....

Life is flower, song, moon at  best. 
Don't you think life is but one test. 

सहर के साथ चले रौसनी के साथ चले। 
तमाम उम्र किसी अजनबी के साथ चले।
..... ख़ुर्शीद अहमद ज़मी.....

I walked with break of day 'n with light.
Whole life with a stranger, I walked alright. 

मेहरबानी चारासाज़ों की बढ़ी। 
जब बढ़ा दरमाँ तो बीमारी बढ़ी। 
... .. मुबारक अज़ीमाबादी....

Affection of healers was on the rise. 
With rise of druge, did sickness rise. 

Friday 29 April 2022

REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS

कोई तितली निशाने पर नहीं है। 
मैं बस रंगों का पीछा कर रहा हूँ। 
..... ज़ुबैर अली ताबिश..... 

No butterfly is yet on aim. 
Following colours is my game. 

पहली सी लज़्ज़तें नहीं अब दर्द-ए-इश्क़ में। 
क्यूँ दिल को मैंने दर्द का ख़ूगर बना दिया ?....... सेहर इश्क़ाबादी..... 

Flavours in pain of love are not as before. 
Why did I make terror a habit to heart core ? 

हर लम्हा अगर गुरेज़-पा है। 
तू क्यूँ मिरे दिल में बस गया है ? 
..... अहमद नदीम क़ासमी..... 

If evasive is every moment. 
Why in my heart did you cement ? 

पुकारते हैं उन्हें साहिलों के सन्नाटे। 
जो लोग डूब गए कश्तियाँ बनाते हुए। 
..... सलीम कौसर..... 

Calling them are the silence of shores. 
Those who drowned in ship craft cores. 

जाने कैसा रिश्ता है रहगुज़र का क़दमों
 से ? 
थक के बैठ जाऊँ तो रास्ता बुलाता है। 
..... शकील आज़मी..... 

Relation is unknown between feet and route. 
Exhausted if I sat, the path called in pursuit. 





Thursday 28 April 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL.. SADIYON KI GATHARI SAR PAR LE JAATI HAI...

 सदियों की गठरी सर पर ले जाती है।
दुनिया बच्ची बन कर वापस आती है। 

With bale of centuries on head space. 
As a child world gets back at it's pace. 

मैं दुनिया की हद के बाहर रहता हूँ। 
घर मेरा छोटा है लेकिन ज़ाती है। 

I live outside bonds of world. 
Home is small but I own the place. 

दुनिया भर के शहरों का कल्चर यकसाँ। 
आबादी तन्हाई बनती जाती है। 

World city culture has one trace. 
Populace is solitude in it's face. 

मैं शीशे के घर में पत्थर की मछली। 
दरिया की ख़ुशबू मुझ में क्यों आती है ?

I am a stone fish in glass house. 
Why does fragrance of river grace ?

पत्थर बदला पानी बदला बदला क्या ?
इंसाँ तो जज़्बाती था जज़्बाती है। 

Stone changed, water changed, what has changed ?
Human beings were emotional, have still same trace.

काग़ज़ की कश्ती जुगनू झिलमिल झिलमिल। 
शोहरत क्या है, इक नदिया बरसाती है।

Paper boats, glow-worms, glittering away. 
Fame is a stream at rainy pace. 

REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS

कुछ दिनों दश्त भी आबाद हुआ चाहता है।
कुछ दिनों के लिए अब शहर को वीरानी दे।..... नदीम अहमद..... 

 Desert wants to be dwelt for a few days.
Let the city be deserted for a few days. 

 मालूम है वादे की हक़ीक़त। 
बहला लेते हैं अपने जी को। 
..... दत्तात्रेय कैफ़ी..... 

Reality of promise I know very well. 
Yet it consoles me in this spell. 

ये मो'जिज़ा हमारे ही तर्ज़-ए-बयाँ का था। उसने वो सुन लिया था जो हमने कहा न था।..... अख़्तर शाहजहांपुरी..... 

This was a miracle of how I said. 
He listened to what I had not said. 

ख़ुद अपने आप से मिलने की ख़ातिर। 
अभी कोसों हमें चलना पड़ेगा। 
..... सीमा ग़ज़ल..... 

In order to meet with me. 
On a long way I have to be. 

रोज़ के रोज़ बदलता हूँ मैं ख़ुद अपना जवाज़। 
जिंदगानी मैं तुझे हल नहीं होने देता। 
..... सईदुल्लाह क़ुरैशी..... 

Everyday, myself I change what's right. 
O life ! I don't let you solve it right. 



Wednesday 27 April 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL.. SAU KHULOOS BAATON MEN SAB KARAM KHAYAALON MEN....

सौ ख़ुलूस बातों में सब करम ख़यालों में।
बस ज़रा वफ़ा कम है शहर के ग़ज़ालों में। 
With sincerity in talks and thoughts with grace. 
Only faithfulness is little in city deer race. 

पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा।
हम जवाब क्या देते खो गए सवालों में।

For the first time, my eyes saw the moon talk. 
What could I answer, was lost in querry pace. 

  यूँ किसी की आँखों में सुब्ह तक अभी थे हम।
जिस तरह रहे शबनम फूल के पियालों में।

This way I was seated in someone's eyes.
As dew resides in flower cups with grace. 

रात तेरी यादों ने दिल को इस तरह छेड़ा।
जैसे कोई चुटकी ले नर्म नर्म गालों में। 

Your memories last night agitated my heart. 
As someone gently pinches soft cheeks in face. 

मेरी आँख के तारे अब न देख पाओगे।। रात के मुसाफ़िर थे, खो गए उजालों में।

Now you won't see the stars of my night. 
These were travellers of night, in light efface.

जैसे आधी शब के बाद चाँद नींद में चौंके। वो गुलाब की जुम्बिश उन सियाह बालों में।

As moon is startled in midnight sleep.
A gentle rosy shake in dark tress space. 

BASHIR BADR.. GHAZAL.. SANNAATA KYA CHUPKE CHUPKE KAHTAA HAI...

सन्नाटा क्या चुपके चुपके कहता है ?
सारी दुनिया किस का रैन बसेरा है ?

Silently, what silence spies ?
At night, where rest of world lies ?

आसमान के दोनों कोनों के आख़िर। 
एक सितारा तेरा है इक मेरा है। 

One star is mine, one yours. 
On two ends of the skies. 

आहिस्ता, आहिस्ता दिल पर दस्तक दो।
धीर-धीरे ये दरवाज़ा खुलता है।

Gently knock on the heart. 
Slowly this door openly shies. 

सूरज के घर से उसके घर तक जाना। 
कितना सीधा सादा धूप का रस्ता है। 

From home of sun to hers. 
Straight sunlight path lies.

सारी रात लिहाफ़ों में रोई आँखें। 
सब कहते थे रिश्ता-नाता झूठा है।

All night, within covers wept eyes.
People said, all relations are lies. 

BASHIR BADR.. GHAZAL.. DHOOP AATI HAI MUJHKO PHAILAANE.....

धूप आती है मुझको फैलाने।
शामियाना मिरा हवा ताने। 

Spreading me is sunlight. 
Wind keeps the canopy tight. 

झूमते फूल माँगते हैं दुआ। 
अब हवा आए हमको बिखराने। 

While swinging flowers pray. 
Let wind scatter with might. 

 रात बिलकुल बरहना लेटी है।
बिखरे हैं चाँद तारों के दाने। 

Undressed, is lying the night. 
Scattered moon 'n stars in sight.

फिर हवा में गिलास लहराए। 
दो सितारे उठे हैं टकराने। 

Glasses swung again in air.
Two stars collide with might. 

पत्ते मोती हथेलियों पे लिए। 
सुब्ह को दे रहे हैं नज़राने। 

Leaves with pearls on palm. 
Make offers to morning bright. 

Tuesday 26 April 2022

TODAY'S 5 COUPLETS

माज़ी-ए-मरहूम की नाकामियों का ज़िक्र छोड़।
ज़िन्दगी की फ़ुरसत-ए-बाक़ी से कोई काम ले।
सीमाब अकबराबादी

Let the talk about failures of dead past be set aside.
Upon waves of what's left at present, take a ride.

वो जो प्यासा लगता था सैलाब-ज़दा था।
पानी पानी कहते कहते डूब गया है।
अनीस मोइन

One who looked thirsty was really flood - struck.
Saying water, has to the river bottom struck.

बिखरे हुए थे लोग ख़ुद अपने वजूद में।
इंसाँ की ज़िन्दगी का अजब बंदोबस्त था।
इब्राहिम अश्क

Men were scattered in entities of their own.
Human life was thus settled in a strange tone.

हिज्र की शब नाला-ए-दिल वो सदा देने लगे।
सुनने वाले रात कटने की दुआ देने लगे।
साक़िब लखनवी

She started crying from heart on the parting night.
Those who heard just prayed for ending the night.

इक ख़ौफ़-ज़दा सा शख़्स घर तक।
पहुँचा कई रास्तों में बट कर।
इद्रीस बाबर

A fear-struck man on the way to home.
Has come fragmented on ways to home

Saturday 23 April 2022

TODAY'S 5 COUPLETS

मिरे वजूद के ख़ुशबू-निगार सहरा में।
वो मिल गए हैं तो मिल कर बिछड़ भी सकते हैं।..... जाज़िब क़ुरैशी.......

In the fragrant, beloved desert of my being. 
She can also part as she has been seeing.

है मेरा चेहरा सैकड़ों चेहरों का आईना। 
बेज़ार हो गया हूँ तमाशाइयों से मैं। 
..... अहमद ज़िया.....

My face is a mirror of hundreds of faces. 
I am sick of onlookers 'n their graces.

इश्क़ भी है किस क़दर बर-ख़ुद-ग़लत।
उनकी बज़्म-ए-नाज़ और ख़ुद्दारियाँ !
..... बिस्मिल सईदी..... 

Love is self-mistaken to such an extent.
Her coquettries' n vanity are all to comment !

दश्त जैसी उजाड़ हैं आँखें। 
इन दरीचों से ख़्वाब क्या झाँकें ?
..... सिराज फ़ैसल ख़ान.....

These eyes are, deserted, desolate, deep. 
From such windows how can dreams peep ?

कल जहाँ दीवार ही दीवार थी। 
अब वहाँ दर है, जबीं है, इश्क़ है। 
..... तौक़ीर तक़ी..... 

Where there was wall 'n wall ahead. 
Now there's love, door and forehead. 


Friday 22 April 2022

GHAZAL.. ALLAMA IQBAL.. NA TU ZAMIN KE LIYE HAI NA ASMAN KE LIYE.....

  न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए।
जहाँ है तेरे लिए तू नहीं जहाँ के लिए।

Neither you are for earth nor for sky are you.
You aren't meant for the world, world is for you. 

ये अक़्ल-ओ-दिल हैं शरर शोला-ए-मोहब्बत के।
वो ख़ार-ओ-ख़स के लिए है ये नीस्ताँ के लिए।

Mind and heart are sparks from chunk of love-fire.
That's for thorns' n husk, this for high green grass too.

मक़ाम-ए-परवरिश-ए-आह-ओ-लाला है ये चमन।
न सैर-ए-गुल के लिए है न आशियाँ के लिए।

Garden is for growth of sighs 'n spotted flowers.
It's neither to visit flowers, nor for residence too. 

निगह बुलंद, सुख़न दिलनवाज़, जाँ पुर-सोज़।
यही है रख़्त-ए-सफ़र मीर-ए-कारवाँ के लिए।

High sight, talks bright and a heart on fire. 
It's all that needs be kept by caravan' s leader too.

निशान-ए-राह दिखाते थे जो सितारों को।
तरस गए हैं किसी मर्द-ए-राह-दाँ के लिए।

Those who could show path even to stars. 
Now long for some man to guide route to you. 

ज़रा सी बात थी अंदेशा-ए-ग़म ने उसे।
बढ़ा दिया है फ़क़त ज़ेब-ए-दास्ताँ के लिए।

It was a little thing but the suspects of grief. 
Exaggerated it for the stretch of this tale too. 

Monday 18 April 2022

TODAY'S 5 COUPLETS

हाँ समंदर में उतर, लेकिन उभरने की भी सोच।
डूबने से पहले गहराई का अंदाज़ा लगा। 
..... अर्श सिद्दीक़ी.....

Well, enter in to sea, but also ponder getting out. 
Before sinking, it's depth needs  be learnt about. 

वो हम से ख़फ़ा हैं, हम उन से ख़फ़ा हैं।
मगर बात करने को जी चाहता है। 
..... शकील बदायूनी.....

She is angry with me 'n I with her. 
But still I wish to talk with her. 

ले गईं दूर, बहुत दूर हवाएँ जिस को। 
वही बादल था मिरी प्यास बुझाने वाला। 
..... इक़बाल अशहर..... 

One whom the winds carried far far away. 
That cloud could quench my thirst anyway. 

जो देखते तिरी ज़ंजीर-ए-ज़ुल्फ़ का आलम। 
असीर होने की आज़ाद आरज़ू करते। 
..... हैदर अली आतिश..... 

If glorious state of your tress-chains were seen. 
The desire in released, to be captive had been. 

गुल हुए ग़र्क़ आब-ए-शबनम में। 
देख उस साहिब-ए-हया की अदा। 
..... वली मोहम्मद वली..... 

The flowers got drowned in waters of dew. 
Look at style of dame - in- shame, it's new. 




Sunday 17 April 2022

CHOSEN TWENTY COUPLETS OF RAJENDRA MANCHANDAA 'BAANI'

वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था

कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए


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  • वो टूटते हुए रिश्तों का हुस्न-ए-आख़िर था 
कि चुप सी लग गई दोनों को बात करते हुए 

For breaking relations, it was a beautiful end. 
Silence had set in, during talks from each end. 

ऐ दोस्त मैं ख़ामोश किसी डर से नहीं था। 
क़ायल ही तिरी बात का अंदर से नहीं था। 
My friend, I was not silent out of fear. 
I was unconvinced inside,O my dear. 

ओस से प्यास कहाँ बुझती है ? 
मूसला-धार बरस मेरी जान ! 

How can dew quench the thirst ? 
O my love ! Let it be cloudburst. 

ढलेगी शाम यहाँ कुछ नज़र न आएगा। 
फिर इसके ब'अद बहुत याद घर की आएगी। 

As evening will set, here nothing will be in view. 
After that, home memories will be long overdue. 

ज़रा छुआ था कि बस पेड़ आ गिरा मुझ पर। 
कहाँ ख़बर थी कि अंदर से खोखला है बहुत। 

The tree fell upon me just by one little touch. 
How to know, it was filled with devoid so much ! 

'बानी' ज़रा संभल के मोहब्बत के मोड़ काट। 
इक हादसा भी ताक में होगा यहीं कहीं। 

O 'Baani' on love curve, drive with care. 
An awaiting accident will be somewhere. 

आज क्या लौटते लम्हात मयस्सर आए ? 
याद तुम अपनी इनायात से बढ़कर आए। 
 Were returning moments available in today's game ? 
Even beyond your kindness, your memories came. 

उदास शाम की यादों भरी सुलगती हवा। 
हमें फिर आज पुराने दयार ले आई। 

Memory filled burning air of a sad eve'. 
Brought us back at old site to relieve. 

दिन को दफ़्तर में अकेला, शब भरे घर में अकेला। 
मैं कि अक्स-ए-मुंतशिर एक एक मंज़र में अकेला। 

Alone at office in day, in night- filled home alone. 
I am a scattered reflection, in every scene, alone. 

इस क़दर ख़ाली हुआ बैठा हूँ अपनी ज़ात में। 
कोई झोंका आएगा जाने कहाँ ले जाएगा? 

I am seated so vacant within my own.
Breeze will take me away with it's own. 

तू कोई ग़म है तो दिल में जगह बना अपनी। 
तू इक सदा है तो एहसास की कमाँ से निकल। 

As a grief, get established within the heart. 
As a sound, from the bow of feeling, depart. 

न जाने कल हों कहाँ, साथ अब हवा के हैं। 
कि हम परिंदे मक़ामात-ए-गुम-शुदा के हैं। 
Where will we be tomorrow, are with the wimd now. 
Because we are the birds of lost goals, anyhow. 

हरी सुनहरी ख़ाक उड़ाने वाला मैं। 
शफ़क़ शजर तस्वीर बनाने वाला मैं। 

Unseating green golden dust, roaming free. 
I paint pictures of twilight as well as tree. 

वो हँसता खेलता इक लफ़्ज़ कह गया 'बानी'। 
मगर मिरे लिए दफ़्तर खुला मआनी का। 

'Baani' laughing, playing,  one word he said. 
For me, to an office of meanings, it lead. 

 कोई भूली हुई शय ताक़-ए-हर-मंज़र में रक्खी थी। 
सितारे छत पे रक्खे थे, शिकन बिस्तर पे रक्खी थी। 

 Some forgotten thing was placed in niche of every view. 
Stars were on the roof, on bed there was a crease in view. 

पैहम मौज-ए-इमकानी में ।
अगला पाँव नए पानी में। 

Continuous wave of possibility I see. 
Vey next step in new water, to be. 

कोई गोशा ख़्वाब का सा ढूँढ ही लेते थे हम। 
शहर अपना शहर 'बानी' बे-अमाँ ऐसा न था। 

Some dreamy site, 'Baani' could always search. 
City wasn't without refuge , there was some perch. 

चलो कि जज़्बा-ए-इज़हार चीख़ में तो ढला। 
किसी तरह इसे आख़िर अदा तो होना था। 

This feeling was shaped in a cry after all. 
Some how, it was to be expressed after all.

वही इक मौसम-ए-सफ़्फ़ाक था अंदर भी बाहर भी। 
अजब साज़िश लहू की थी अजब फ़ित्ना हवा का था। 

Same cruel season was outside and within. 
Strange bloody plan, strange trouble to win. 

थी कोई पाँव में जंजीर, बच गए, वर्ना। 
रम-ए-हवा का तमाशा यहाँ रहा है बहुत। 

I was saved by some chain of my feet. 
Or else, flight of breeze was sure to unseat. 




  
 

Saturday 16 April 2022

TODAY'S 5 COUPLETS

वो सूरत देख कर अपनी ये सूरत ही नहीं रहती।
तरस आए तो क्या आए उसे मेरी मुसीबत पर।
.. जलील मानिकपुरी...

Looking at her face, such isn't my state, O mate !
Why should she feel pity on my troubled state ?

ऐसा न हो कि दर्द बने दर्द-ए-ला-दवा।
ऐसा न हो कि तुम भी मुदावा न कर सको।
.. सूफ़ी तबस्सुम..

Let it not be so that pain becomes untreatable feat.
Let it not be so that even you are unable to treat.

इधर उधर के सुनाए हज़ार अफ़साने।
दिलों की बात सुनाने का हौसला न हुआ।
.. ख़ालिदा उज़्मा..

I narrated a thousand tales from here 'n there.
To tell what hearts felt,I just couldn't dare. 

किसी ग़रीब को ज़ख़्मी करें कि क़त्ल करें। 
निगाह-ए-नाज़ पे जुर्माने थोड़ी होते हैं ! 

Whether a poor is wounded or killed on call. 
The look of love is just not punished at all. 

बदल गया है ज़माना बदल गई दुनिया। 
न अब वो मैं हूँ मिरी जाँ न अब वो तू तू है। 
.. आसिम वास्ती.. 

Age has changed, world is not the same. 
My love ! Neither I nor you are the same.

Thursday 14 April 2022

TODAY'S 5 COUPLETS


जिन से मिल कर ज़िन्दगी से इश्क़ हो जाए वो लोग।
आप ने शायद न देखे हों मगर ऐसे भी हैं।
..... सुरूर बाराबंकवी.....

You fall in love with life meeting those people, have been.
Such people are there, though you may not have seen.

दिल से उठता है सुब्ह-ओ-शाम धुआँ।
कोई रहता है इस मकाँ में अभी।
..... अंजुम रुमानी.....

From heart, morn' O eve', smoke does spill.
Someone resides in this home, still.

 सफ़र में कोई किसी के लिए ठहरता नहीं।
न मुड़ के देखा कभी साहिलों को दरिया ने।
..... फ़ारिग़ बुख़ारी.....

During journey , none stops for another, scores.
River just roars, never looks back on shores.

ग़म से मंसूब करूँ, दर्द का रिश्ता दे दूँ।
ज़िन्दगी आ ! तुझे जीने का सलीक़ा स क़ा दे दूँ।
.अली अहमद जलीली.

Let me tag you with pain and grief instil.
Come O life ! I 'll give you living skill.

मंज़र को किसी तरह बदलने की दुआ दे।
दे रात की ठंडक को पिघलने की दुआ दे।
. शीन काफ़ निज़ाम.

For scene to change anyway, you simply do pray.
For the cold of night, to melt pray alright. 

Translated by Ravi Maun.

Tuesday 12 April 2022

TODAY'S 5 COUPLETS

मैं ज़िन्दगी के सभी ग़म भुलाए बैठा हूँ।
तुम्हारे इश्क़ से कितनी मुझे सहूलत है।
..... ज़ीशान साहिल........

I have forgotten all the troubles of life. 
What a comfort has your love given to life !

 और ही वो लोग हैं जिनको है यज़्दाँ की तलाश।
मुझको इंसानों की दुनिया में है इंसाँ की तलाश। 
........ नज़ीर सिद्दीक़ी.......

There are others, whose search to virtuous Lord extends. 
In this world of humans, my search, upto a man, ends. 

जो निगाह-ए-नाज़ का बिस्मिल नहीं।
दिल नहीं वो दिल नहीं वो दिल नहीं। 
....... मुबारक अज़ीमाबादी......

One who hasn't been wounded by love-look.
 Is not a heart, no heart by any love-book.

कैसे इस बात पर यक़ीं कर लूँ ?
तू हक़ीक़त है, कोई ख़्वाब नहीं !
....... संदीप कोल नादिम...... 

How can I believe it to any extreme ? 
You are a reality and not a dream ! 

रहती है साथ साथ कोई ख़ुशगवार याद। 
तुझसे बिछड़ के तेरी रिफ़ाक़त गई नहीं। 
...... ख़ालिद इक़बाल यासिर....... 

Some pleasant memory with me, remains. 
Even after parting, your company sustains. 

Monday 11 April 2022

TODAY'S 5 COUPLETS

लबों पर युँही सी हँसी भेज दे।
मुझे मेरी पहली ख़ुशी भेज दे। 
..... मोहम्मद अल्वी.....

Impart that smile, which for nothing, came.
Give my first pleasure, O Maker of game !

वो जो प्यासा लगता था, सैलाब-ज़दा था। पानी पानी कहते कहते डूब गया है।
..... आनिस मोइन.....

 One who looked thirsty, was a victim of flood water.
He has finally got drowned, saying "water, water !"

वरक़ वरक़ तुझे तहरीर करता रहता हूँ। 
मैं ज़िन्दगी तिरी तशहीर करता रहता हूँ। 
..... रईसुद्दीन रईस.....

I keep writing about you page after page. 
O life ! I popularise you at every stage.

 कोई दस्तक, कोई आहट, न शनासा आवाज़।
ख़ाक उड़ती है दर-ए-दिल पे बयाबाँ की तरह।
..... ज़हीर कश्मीरी.....

No knock, footfall, a voice known from start !
Dust storms, like desert  on the door of heart.

 कितनी दिलकश हैं तिरी तस्वीर की रानाइयाँ।
लेकिन ऐ पर्दा-नशीं ! तस्वीर फिर तस्वीर है !
..... शकील बदायूनी.....

How alluring are the beauties of your portrait !
But O veiled rachel ! Portrait is but a portrait ! 

Saturday 2 April 2022

[02/04, 05:44] 

 पतझड़ बिन आते नहीं नूतन,चिकने पात।
कठिनाई, संघर्ष से, निखरे मानव जात।

काव्य रूप.. रवि मौन..

औरों को कर सकोगे तब ही इसे‌ प्रदान।
दाता ! तेरे पास में जब होगा सम्मान।

काव्य रूप.. रवि मौन..

[नाप जोख कर मैंने अपनी अंगुली देखी।
पाया अ सम, तभी हरि तेरी रचना देखी।

काव्य रूप.. रवि मौन..

[02/04, 03:39]

 कल किसने देखा है, कहिए।
आज सत्य है,उस पर रहिए।
यही बात कह रही अमन से।
पर वो सुनता है बे मन से।
..... रवि मौन…..
[02/04, 03:47]

 पहले सब सुनते थे मेरी।
मात-पिता गृह की यह फेरी।
फेरी क्यों अंखियां साजन ने ?
कैसी हलचल मेरे मन में ?
 ‌
..... रवि मौन.....
[02/04, 03:54] 

 अपने मन की कहना हक़ है।
क्या नारी का सहना हक़ है?
प्रेम नदी में बहना हक़ है।
बहना से छुप रहना हक़ है।
..... रवि मौन.....
[02/04, 03:59] 

 बहना, सब से सब कह देगी।
वह न अमन को भी छोड़ेगी।
छेड़ेगी, जब जी चाहेगा।
जी उसका जब तब चाहेगा।
..... रवि मौन.....
[02/04, 04:06]

 मैं पगली हूं,वो पगली है।
प्रेम राह पतली सी गली है।
 मैं ‌औ' तुम हो, साथ राह में।
फिर किसकी परवाह चाह में ?
..... रवि मौन.....

[02/04, 04:14] 

 चाह, हृदय में ‌ बस तेरी है।
जगत ,युद्ध की रणभेरी है।
साथ मिले जब, मुझे सजन का।
हम कर लेंगे, अपने मन का।
..... रवि मौन.....

[02/04, 04:20] 

मन की कैसी बात चलाई ?
मन को सब कहते हरजाई।
शब्द, मन अमन हैं सौतेले।
किसे नकारे,किस से बोले ?

..... रवि मौन.....
[02/04, 04:25

्बोले से ही ,सुनते साजन।
इसे‌ समझ ले, ऐ मेरे मन।
तब तब बुद्धि तेरी‌ भरमाती।
जब जब उनकी याद सताती।hi
.. ‌... रवि मौन.....
[02/04, 04:33] 

 सता रहे क्यों मुझको साजन ?
मैं तेरी, तुम मेरे साजन।
बहुत गर्म है,लू चलती है।
बस आंखों में ही है सावन !
..... रवि मौन.....
[02/04, 04:42] 

सावन के‌ जब पड़ते झूले।
देह ,संग झूले के झूले।
अभी देर पी  के आने में।
पीहर से पी-घर जाने में।

..... रवि मौन.....

[02/04, 04:51] 

पीहर से पी,हर कर लाए।
अब न याद पीहर की आए।
चोर बसा है मेरे मन में।
और मगन हूं मैं,साजन में।
..... रवि मौन...

5.4. 03.30

देश भी मेरा, मेरा धर्म।
इसी निमित्त करूँ सब कर्म।
चाहे जग समझे, न समझे।
 हिंदू समझें इसका मर्म। 

..... रवि मौन..... 

मर्माहत है देश हमारा। 
सदियों से ही रहा बिचारा। 
अब तो गर्व सनातन पर कर। 
इस पर ही जी, इस पर ही मर। 

..... रवि मौन..... 

ये नेता तो अभिनेता हैं। 
 स्वयम् भाग्य भी लिख लेते हैं। 
जनता पर जो कुछ भी बीते। 
अपनी झोली भर लेते हैं। 

..... रवि मौन..... 


जब मिलती सुविधाएँ इनको। 
क्या कोई सांसद कहता है ? 
बस भी करो, न और अधिक लो। 
जनता का पैसा बहता है। 

..... रवि मौन..... 

कई पदों से मिलती पैंशन। 
पक्ष विपक्ष सभी मिल जाते। 
जब भी हों निज हित की बातें। 
सारे एक साथ हो जाते। 

..... रवि मौन..... 

इन्हें भूल जाते सब वादे। 
दीन हीन को जो दे डाले। 
वोट दे दिया है उन ने तो। 
विपदा अपनी आप सम्भाले। 

..... रवि मौन..... 

ये दे दूँगा, वो दे देंगे। 
कुछ तो अपनी पूँजी से दो। 
कर दाताओं के पैसे से। 
देकर, श्रेय स्वयं का ले लो। 

..... रवि मौन..... 

मुफ़्त नहीं कुछ भी मिलता है। 
चाहे बिजली हो या पानी। 
करदाताओं का पैसा है। 
जिस से अपनी शान बखानी। 

..... रवि मौन..... 

माल तुम्हारे पास बहुत है । 
कई पीढ़ियों तलक रहेगा। 
उस में से भी कुछ तो दे दो। 
देश पुण्य की कथा कहेगा। 

..... रवि मौन..... 

पर तुमने लेना सीखा है।
 देने की सुध जब भी आई। 
करदाताओं का पैसा ही।
 तुम को सदा पड़ा दिखलाई। 

..... रवि मौन.....

08. 04 . 04. 22

हे हरि ! तुम हो दीनाधार।
मैं  मूरख जनमों का, पर अब गही तेरी पतवार।
अब तो यह है तुम पर स्वामी, कैसे हूँगा पार।
चाहे पार लगाएँ साँवरा, या छोड़ें मँझधार।
 तुम पर ही छोड़ा है,तो मैं कैसे करूँ विचार।
हरि पर रख विश्वास बावरे, हो जाएगा पार।

.. . रवि मौन.....

08. 04..06. 11 

ग़लत लोगों से जो कीं उम्मीद, उससे आधे दुःख।
शक किए जो सच्चे लोगों पर, उसी से आधे दुःख।
गर न हो उम्मीद और शक ज़िन्दगी के भाल पर।
सारा जीवन ख़ुश रहोगे, छोटी सी इस चाल पर।

काव्य रूप.. रवि मौन..

[09/04, 04. 01
क्या लिखिए, लिखने को क्या है ?
पूर्ण जगत ही तो मिथ्या है। 
हरि से जब तक नेह न लागा। 
सारा जीवन व्यर्थ गया है। 

रवि मौन 

कौन सुनेगा कथा तुम्हारी ?
 कौन सुनेगा व्यथा तुम्हारी ? 
जो कहना है, हरि सुन लेंगे। 
आगे बढ़ कर, कर गह लेंगे। 

..... रवि मौन.....
[09/04, 04. 07
जब हरि ने कर गहा तुम्हारा।
सारा जगत लगे बेचारा।
अब फिर इसकी चाह किसे है ?
अब जग की परवाह किसे है ?

..... रवि मौन.....
[09/04, 04:12
हरि का वरद हस्त है जब तक।
यह मन तेरा मस्त है तब तक।
इसको चिंता नहीं सताती।
याद न इसको जग की आती।

..... रवि मौन.....

हरि के चरणन में मन लागा।
अब चिंता की बात नहीं है, अब मैं नहीं अभागा।
कोई तुलना नहीं किसी से, प्रीति राह पग पागा।
जूठन राम लला की खाने, मैं जन्मों का कागा।
मोह बंधनों में सुषुप्त था, राम-कृपा से जागा।
हरि का वरद-हस्त है सर पर, सोने बीच सुहागा।

..... रवि मौन.....

13 04 /03 37

मुनि मतंग का समय आ गया, शबरी को समझाया।
मैं तो चला अन्य लोकों में यह तन हुआ पराया।
किंतु तुम यहाँ रहना, इस पथ पर आएँगे राम।
उन्हें मिलाना है वानर दलसे, यह तेरा काम।
इस पर्वत पर ही रहता है सूर्य पुत्र सुग्रीव।
है हनुमान वहीं पर जो होगा भविष्य की नींव।
वालि न मार सके उस को, मैंने दे डाला श्राप।
इस पर्वत पर आ न सके रक्षा का था संताप। 
बनें मित्र सुग्रीव और रघुकुल भूषण श्रीराम।
तो आने वाले भविष्य का सुंदर हो परिणाम।

..... रवि मौन.....

देखने के तेरे अंदाज़ निराले हैं क्यों ?
अधखुले नैन तेरे मय के पियाले हैं क्यों ?
यूँ अचानक ही खुले बंद हुए तेरे नयन। 
यूँ लगे जैसे कि जंगल में ग़ज़ाले हैं, क्यों?
13.7.16....10.45  रात्रि

कव्वा बोला काँव काँव। बिल्ली बोली म्याँव म्याँव। 
बोला गदहा ढैंचू ढैंचू। धोबी कहे कान मैं खेंचूँ। 
सीधे-सीधे घर चल आज। करने मुझको कितने काज। 
तेरा दाना-पानी डालूँ। फिर मैं भी दो रोटी खालूँ। 
घर वाली से करलूँ प्यार। चाहे हो थोड़ी तकरार। 
हम तुम करते कितना काम। ले अपने मालिक का नाम। 
इससे चलता घर संसार। पर न मने कोई त्योहार।
पास गाँव में भोला के घर। देखा है एक लड़का जाकर। 
मुन्नी की है बात चलाई। इसी महीने लगी सगाई। 
शादी में तुझ को दे दूँगा। छोटू को पालूँ पोसूँगा। 
छः महने में काम करेगा। तेरे कुल का नाम करेगा।
ठाकुर के घर कर मज़दूरी। करूँ रक़म शादी की पूरी। 
वर्ना मेरा लड़का देगा। ठाकुर पैसे पूरे लेगा। 
मैंने भर बाप का कर्ज़। इसे समझ कर अपना फ़र्ज़। 
कब दहेज का भूत भगेगा ? कब मेरा ये देश जगेगा ?
11.10.16...5.30 शाम

Friday 1 April 2022

TETRADS A BHAJAN AND GHAZAL

निंदिया ! संग सजन के आजा।
वर्ना जिधर तेरे मन में, जा।
बिछुड़ी रह, तू भी साजन सम।
बन्द मिलें उन बिना, नयन मम।
..... रवि मौन.....

कल तक इच्छा थी, तू आए।
जब जाना, बलमा नहीं आए। 
कैसे तुझ को गले लगाऊँ ? 
निंदिया ! उनका स्थान दिखाऊँ ? 
..... रवि मौन..... 

मुझे देखना, रूठे कब तक ? 
साँस मेरी चलती है जब तक ! 
निर्मोही ! तब तक मत आना। 
चिंता का, बस बिंदु हटाना ! 
..... रवि मौन..... 

नैनम् को न एनम् , दिखना ! 
अर्थ शब्द का जी भर चखना। 
मैं आत्मा हूँ, तन तेरा है। 
मुझ से लेले, जो तेरा है ! 
..... रवि मौन..... 


किसे सताएगा फिर आकर ? 
अश्रु, आँख में किसके पाकर ? 
तू, यूँ ही मुस्करा सकेगा ? 
किसे, हृदय से लगा सकेगा ? 
..... रवि मौन..... 

जो तेरे मन में है, कर ले। 
अधर, अ धर ही मिरे रहेंगे। 
किस को अपनी व्यथा सुनाऊँ ? 
सुन लूँगी, जो लोग कहेंगे ! 
..... रवि मौन..... 

कर्ण न रण से कभी भगेगा ! 
प्राण त्याग देगा, न सुनेगा। 
सुनी न माँ की, ना भगवन् की। 
सुनी मित्र की, या फिर मन की ! 
..... रवि मौन..... 

तुम मेरे हो, हाँ, यह सच है। 
किंतु आयु ही देह-कवच है। 
इसे बीतने देने का फल। 
भोगेंगे हम दोनों प्रतिपल। 
..... रवि मौन.....

       ... एक भजन......... 

 [01/04, 04:52]

 भक्त भगवान को भूल जाएँ, भले।
 उनको भगवन् कभी भी भुलाते नहीं। 

 कब से नेहा लगाए हुआ हूँ, हरि।
पास अपने, मुझे क्यों बुलाते नहीं ? 

आज सोचा है, पूजन करूँगा तेरा। 
किस तरह तुम भला याद आते नहीं ? 

कोई विधि जानता ही नहीं मैं, विधि। 
बस सहज प्रेम है, कैसे आते नहीं ? 
.
मुझको दुनिया से क्या काम है, ये बता ?
मन में तू आ बसा, क्यों बसाते नहीं ?

जाने कैसी लगन, यह लगी है हरि ?
अब तो सुख-दुःख जगत के, सताते नहीं।

मन से करले मनन, तू रहेगा मगन।
दर पे दर्शन दिखाने, वो आते यहीं। 

..... रवि मौन.....

23 03.04.36.

लंबी लंबी रातें हैं। लंबी-लंबी बातें हैं। 

दुनिया से मत डर जाना। 
इसकी अपनी बातें हैं। 

मैं तेरा, तुम मेरे हो। ये ही प्यारी बातें हैं। 

परिवारों की भली कही।
 इनकी अपनी बातें हैं। 

तुमने दुनिया देखी है। 
इसकी छोटी बातें हैं। 

जब तक रहे अकेले तुम। 
डरने ही की बातें हैं। 

ताक़त मिल रहने में है।
 बाक़ी केवल बातें हैं। 

झुंड शेर पर भी भारी ! 
यह जंगल की बातें हैं ? 

किसने तुम को बहकाया ? 
क्या बचकाना बातें हैं ? 

ये जग की सच्चाई है। 
प्यार से बड़ी आँतें हैं ! 

कब तक डर कर भागोगे ? 
सभी ओर तो घातें हैं ! 

अनजाने से लगते हो। 
अपनों की सी बातें हैं।