Wednesday 30 November 2022

KAIF BHOPAALI.. GHAZAL. TERAA CHEHRAA KITNAA SUHANAA LAGTAA HAI....

तेरा चेहरा कितना सुहाना लगता है
तेरे आगे चाँद पुराना लगता है

How pleasant is your face? 
Old moon has just  no place
 
तिरछे तिरछे तीर नज़र के लगते हैं
सीधा सीधा दिल पे निशाना लगता है

Slanted eye arrows are there.
Straight on heart finds place. 
 
आग का क्या है पल दो पल में लगती है
बुझते बुझते एक ज़माना लगता है

Fire takes a moment to arise. 
For dousing takes time space. 
 
पाँव ना बाँधा पंछी का पर बाँधा है
आज का बच्चा कितना सियाना लगता है

Today 's child has lot of sense. 
Tied wing, not foot in place. 
 
सच तो ये है फूल का दिल भी छलनी है
हँसता चेहरा एक बहाना लगता है

True, flower heart is shattered. 
An excuse is the smiling face. 
 
सुनने वाले घंटों सुनते रहते हैं
मेरा फ़साना सब का फ़साना लगता है

For hours people listen this tale
My tale belongs to all in place. 
 
'कैफ़' बता क्या तेरी ग़ज़ल में जादू है
बच्चा बच्चा तेरा दिवाना लगता है 

O 'Kaif'! Is your ghazal magical
Each child has a frenzied face. 
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था / मेराज फ़ैज़ाबादी
तेरे बारे में जब सोचा नहीं था
मैं तन्हा था मगर इतना नहीं था

तेरी तस्वीर से करता था बातें
मेरे कमरे में आईना नहीं था

समंदर ने मुझे प्यासा ही रखा
मैं जब सहरा में था प्यासा नहीं था

मनाने रूठने के खेल में हम
बिछड़ जाएँगे ये सोचा नहीं था

सुना है बंद कर लीं उसने आँखें
कई रातों से वो सोया नहीं था 

झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं / कैफ़ी आज़मी
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं
 
तू अपने दिल की जवाँ धड़कनों को गिन के बता
मिरी तरह तिरा दिल बे-क़रार है कि नहीं
 
वो पल कि जिस में मोहब्बत जवान होती है
उस एक पल का तुझे इंतिज़ार है कि नहीं
 
तिरी उमीद पे ठुकरा रहा हूँ दुनिया को
तुझे भी अपने पे ये ए'तिबार है कि नहीं 
फूलों की तरह लब खोल कभी / गुलज़ार
फूलों की तरह लब खोल कभी
ख़ुशबू की ज़बाँ में बोल कभी
 
अल्फ़ाज़ परखता रहता है
आवाज़ हमारी तोल कभी
 
अनमोल नहीं लेकिन फिर भी
पूछ तो मुफ़्त का मोल कभी
 
खिड़की में कटी हैं सब रातें
कुछ चौरस थीं कुछ गोल कभी
 
ये दिल भी दोस्त ज़मीं की तरह
हो जाता है डाँवा-डोल कभी


REKHTA.. TODAY'S 5 +15 COUPLETS

जिस पे न झुक जाए उसे दर नहीं कहते
हर दर पे जो झुक जाए उसे सर नहीं कहते..... बिस्मिल सईदी..... 

Where heads don't bow is  no door worth a show 
Bowing at each door, isn't head worth a score.

रास्ता सोचते रहने से किधर बनता है 
सर में सौदा हो तो दीवार में दर बनता है 
..... जलील आली.....

A route isn't secured by thinking alone.
Wall gives way with frenzy
 in head zone.

फ़ज़ा उदास है रुत मुज़्महिल है मैं चुप हूँ 
जो हो सके तो चला आ किसी की ख़ातिर तू..... अहमद फ़राज़..... 

Weather is sad, I am silent and bone tired . 
If possible, come for someone, get hired. 

मत बैठ आशियाँ में परों को समेट कर 
कर हौसला कुशादा फ़ज़ा में उड़ान का 
..... महफूज़- उर - रहमान आदिल.....

Don't pack your wings and sit in the nest rings. 
With courage on display, fly out come what may. 

खुली फ़ज़ा में अगर लड़खड़ा के चल न सकें 
तो ज़हर पीना है बेहतर शराब पीने से 
..... शहज़ाद अहमद.....

If in an open atmosphere, you  can't stagger and stear. 
It's better poison be sipped, than wine can be lipped.

इल्म में भी सुरूर है लेकिन 
ये वो जन्नत है जिस में हूर नहीं 
..... अल्लामा इक़बाल.....

In knowledge there's mild intoxication and delight.
In this heaven are no houries 
in accompanying flight.

चलती फिरती हुई आँखों से अज़ाँ देखी है 
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है माँ देखी है 
..... मुनव्वर राना.....

In her moving eyes, prayer I have  seen.
I haven't seen heaven, mother I 've seen. 

हम को जन्नत की फ़ज़ा से भी ज़ियादा है कि अज़ीज़ 
यही बे-रंग सी दुनिया यही बे-मेहर से लोग..... सेहर अंसारी..... 

I like these more than heaven weather core. 
These kindless men, colourless now and then. 

क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता है 
अब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है... हफ़ीज़ जालंधरी.... 

Why for the parting lament, why cry for pain 'n comment. 
This is what happens in love, have courage over and above. 

जुदाइयों के ज़ख़्म दर्द-ए-ज़िंदगी ने भर दिए 
तुझे भी नींद आ गई मुझे भी सब्र आ गया..... नासिर काज़मी..... 

The wounds of  parting have been healed by life in pain. 
You have also slept and peace me too could attain. 

उस गली ने ये सुन के सब्र किया 
जाने वाले यहाँ के थे ही नहीं 
..... जौन एलिया..... 

Street listened and had solace. 
Who left were not of this place

सब्र पर दिल को तो आमादा किया है लेकिन 
होश उड़ जाते हैं अब भी तिरी आवाज़ के साथ..... आसी उल्दनी..... 

I have given the solace, keeping heart in it's place. 
Still I lose my sense, listening your voice across fence. 

वो किसी को याद कर के मुस्कराया था उधर
और मैं नादान ये समझा कि वो मेरा हुआ 
..... इक़बाल अशहर..... 

Remembering someone, he had smiled that way. 
Out of innocence, I thought, I have had the last say. 

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम 
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए.... ख़ुमार बारहबंकवी..... 

Slowly I have forgotten her on my part. 
Got taste of scuicide in instalments from  start. 

चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ 
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ... साहिर... 

Plucking some buds of joy, for long, grief I enjoy. 
Your meeting pleases a lot, but fills grief in the slot. 

मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर 
अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो ख़ैर..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

I have lived without a friend  for a long long stretch. 
Now you also want to leave, what else is there to fetch. 

मोहब्बत एक तरफ़ से मज़ा नहीं देती 
कुछ इज़्तिराब तुझे हो कुछ इज़्तिराब मुझे..... जलील मानिकपुरी.... 

One sided love just can not  please. 
On both sides there be mental dis-ease. 

क्या क्या फ़रेब दिल को दिए इज़्तिराब में 
उन की तरफ़ से आप लिखे ख़त जवाब में..... अज्ञात..... 

I have deceived the heart in mental dis-ease.
On my own I wrote replies of letters with ease. 

है ज़िंदगी बग़ैर तुम्हारे इक इज़्तिराब 
दे दो इसे सबात मिरी बात मान लो
..... जमील उस्मान..... 

Life without you  is just  mental dis-ease.  
Give it stability, agree with me please. 

ज़मीं का आख़िरी मंज़र दिखाई देने लगा 
मैं देखता हुआ पत्थर दिखाई देने लगा
...... शाहीन अब्बास..... 

Last stretch of earth is now  seen. 
I looked till as a stone I was seen. 








COUPLETS ON SPRING... 20

ऐ दिल-ए-बे-क़रार चुप हो जा 
जा चुकी है बहार चुप हो जा 
..... साग़र सिद्दीकी...... 

O restless heart ! Keep quiet. 
The spring has left, keep quiet. 
 
मैं ने देखा है बहारों में चमन को जलते 
है कोई ख़्वाब की ताबीर बताने वाला 
..... अहमद फ़राज़..... 

I have seen in spring, the garden on fire. 
Who can tell meaning of
 the dream entire? 
  
बहार आए तो मेरा सलाम कह देना 
मुझे तो आज तलब कर लिया है सहरा ने 
..... कैफ़ी आज़मी..... 

Convey my salute to the spring stall. 
Today the desert has given me a call. 
  
मिरी ज़िंदगी पे न मुस्कुरा मुझे ज़िंदगी का अलम नहीं 
जिसे तेरे ग़म से हो वास्ता वो ख़िज़ाँ बहार से कम नहीं 
..... शकील बदायूनी..... 
.
Don't smile on my life, I just don't grieve for it. 
To one linked with your grief, autumn is spring each bit. 

मेरी आँखों में हैं आँसू तेरे दामन में बहार 
गुल बना सकता है तू शबनम बना सकता हूँ मैं ..... नुशूर वाहिदी..... 

Tears from my eyes spring, your stretch extends to spring. 
You can shape the flowers, 
dew drops I can bring. 

बहारों की नज़र में फूल और काँटे बराबर हैं 
मोहब्बत क्या करेंगे दोस्त दुश्मन देखने वाले ..... कलीम आजिज़..... 

Flowers and thorns are alike in the spring eyes. 
How can they love, who see enmity in friendly ties? 

शग़ुफ़्तगी-ए-दिल-ए-कारवाँ को क्या समझे 
वो इक निगाह जो उलझी हुई बहार में है 
..... शकील बदायूनी..... 

How well  can he chart, delicacy of caravan heart? 
The eye that's still tagged, 
can't look at spring apart. 

लुत्फ़-ए-बहार कुछ नहीं गो है वही बहार 
दिल ही उजड़ गया कि ज़माना उजड़ गया ..... अज़ीज़ लखनवी..... 

There's no charm in spring, though same is the spring. 
When heart is in ruins, 
whole world is in ruins. 
 
उस को ख़िज़ाँ के आने का क्या रंज क्या क़लक़ 
रोते कटा हो जिस को ज़माना बहार का 
..... जगत मोहन लाल रवाँ......

Why should one grieve for the arrival of autumn? 
One who has wept in spring from heart's bottom. 
  
अफ़्सुर्दगी भी हुस्न है ताबिंदगी भी हुस्न 
हम को ख़िज़ाँ ने तुम को सँवारा बहार ने 
...... इज्तिबा रिज़वी..... 

Dejection is beauty and beauty is it's glow. 
I was shaped by autumn,
 spring made you worth show. 
  
टुक देख लें चमन को चलो लाला-ज़ार तक 
क्या जाने फिर जिएँ न जिएँ हम बहार तक ..... मीर हसन..... 
 
Let's go towards daffodils, look how well the garden fills. 
Who knows till spring can arrive, whether or not you can thrive? 

न सैर-ए-बाग़ न मिलना न मीठी बातें हैं 
ये दिन बहार के ऐ जान मुफ़्त जाते हैं 
..... नाजी शाकिर..... 

Neither a garden walk, nor meeting or sweet talk. 
My love the spring is lost, 
at such a low level  cost. 

जब से छूटा है गुलिस्ताँ हम से 
रोज़ सुनते हैं बहार आई है 
..... जलील मानिकपुरी..... 
 
Since the garden and me are apart. 
It's heard, spring springs that part. 

मुझ को एहसास-ए-रंग-ओ-बू न हुआ 
यूँ भी अक्सर बहार आई है 
..... हबीब अहमद सिद्दीक़ी..... 

Neither I could see it's colour 
 nor smell 
This way too, has been the spring spell. 
 
ख़ुशी के फूल खिले थे तुम्हारे साथ कभी 
फिर इस के ब'अद न आया बहार का मौसम ..... सलाम संदेलवी..... 

Bloomed the flowers of joy, when together we could enjoy. 
After that time has gone, the spring has lost it's tone. 

ये सोचते ही रहे और बहार ख़त्म हुई 
कहाँ चमन में नशेमन बने कहाँ न बने 
..... असर लखनवी.... 

The tussle was on and spring  had gone. 
Where in garden the nest, will look it's best. 
 
तिनकों से खेलते ही रहे आशियाँ में हम 
आया भी और गया भी ज़माना बहार का 
..... फ़ानी बदायुनी..... 

While I was playing with straws in the garden. 
The spring was on and gone from the garden. 
 
ख़िज़ाँ का भेस बना कर बहार ने मारा 
मुझे दो-रंगी-ए-लैल-ओ-नहार ने मारा 
.... आरज़ू लखनवी..... 

In the garb of autumn, it was spring that hurt with might. 
I was eliminated by this  display of day and night. 

कहियो सबा सलाम हमारा बहार से 
हम तो चमन को छोड़ के सू-ए-क़फ़स चले ..... मोहम्मद रफ़ी सौदा..... 

O sweet  smelling breeze! Convey my salute to spring with ease.
It's a the garden that we leave, confines of jail 'll now receive. 
 
तेरे क़ुर्बान 'क़मर' मुँह सर-ए-गुलज़ार न खोल 
सदक़े उस चाँद सी सूरत पे न हो जाए बहार ..... क़मर जलालवी..... 

O' Qamar'I seek your pardon, don't  open your mouth in garden. 
May be on that moon face cling, the weather of this spring. 

इस तरफ़ से गुज़रे थे क़ाफ़िले बहारों के 
आज तक सुलगते हैं ज़ख़्म रहगुज़ारों के 
..... साहिर लुधियानवी..... 

Caravans of spring had crossed this track. 
Till now are afire the wounds
 of this track. 
  
ऐ ख़िज़ाँ भाग जा चमन से शिताब 
वर्ना फ़ौज-ए-बहार आवे है 
..... शैख़ ज़हूरूद्दीन हातिम..... 

O autumn ! Leave the garden fast. 
Or strings of spring appear at last. 
  
मिरी बहार में आलम ख़िज़ाँ का रहता है 
हुआ जो वस्ल तो खटका रहा जुदाई का 
..... जलील मानिकपुरी..... 

There's a touch of his autumn in my spring. 
With meeting, is attached parting with a string.

बहार आई कि दिन होली के आए 
गुलों में रंग खेला जा रहा है 
.... जलील मानिकपुरी..... 

Days of Holi and spring have come 
Flowers are splashed with colours by some. 
  
आज है वो बहार का मौसम 
फूल तोड़ूँ तो हाथ जाम आए 
.... जलील मानिकपुरी..... 

There's weather of spring today. 
Plucking flowers, hands may sway. 
And hold wine cup, while on way. 

शाख़ों से बर्ग-ए-गुल नहीं झड़ते हैं बाग़ में 
ज़ेवर उतर रहा है उरूस-ए-बहार का
..... अमीर मीनाई..... 

Flowers don't just fall from branches in a tide. 
Ornaments in garden are taken off spring bride. 

अजब बहार दिखाई लहू के छींटों ने 
ख़िज़ाँ का रंग भी रंग-ए-बहार जैसा था 
...... जुनैद हज़ीं लारी....

Drops of blood have imparted strange hue of spring. 
Autumn has also acquired the colours of spring. 
 
जो थी बहार तो गाते रहे बहार का राग 
ख़िज़ाँ जो आई तो हम हो गए ख़िज़ाँ की तरफ़ ..... जलील मानिकपुरी..... 

While in spring, I sang it's tunes. 
When autumn arrived, I sided dunes. 

गई बहार मगर अपनी बे-ख़ुदी है वही 
समझ रहा हूँ कि अब तक बहार बाक़ी है 
..... मुबारक अज़ीमाबादी..... 

The spring has gone but my frenzy is the same. 
That spring is still there, it stakes the claim. 
  
मैं उस गुलशन का बुलबुल हूँ बहार आने नहीं पाती
कि सय्याद आन कर मेरा गुलिस्ताँ मोल लेते हैं ..... हैदर अली आतिश..... 

I am nightingale of a garden, where spring has no role. 
The hunter comes and purchases garden as a whole
 
गुलों का दौर है बुलबुल मज़े बहार में लूट 
ख़िज़ाँ मचाएगी आते ही इस दयार में लूट 
..... हबीब मूसवी..... 

O nightingale! Flowers are in bloom, while in spring, share the room. 
While autumn will arrive O cute! In this region there will be loot. 
 
आमद आमद है ख़िज़ाँ की जाने वाली है बहार 
रोते हैं गुलज़ार के दर बाग़बाँ खोले हुए 
..... तअशशुक़ लखनवी..... 

The spring is about to leave, autumn is guest to receive. 
Gardeners are crying from far, keeping the garden gates ajar. 
 
बहार आते ही टकराने लगे क्यूँ साग़र - ओ - मीना 
बता ऐ पीर-ए-मय-ख़ाना ये मय-ख़ानों पे क्या गुज़री ..... जगन्नाथ आज़ाद..... 

When the spring arrives, clash between cups and jar thrives. 
Say O head of the tavern! How wine house takes the turn? 

तड़प के रह गई बुलबुल क़फ़स में ऐ सय्याद 
ये क्या कहा कि अभी तक बहार बाक़ी है 
..... बेताब अज़ीमाबादी..... 
 
O capturer! Nightingale got agitated behind the bar. 
Why did you say, spring this year stretched so far. 

बहार आई गुलों को हँसी नहीं आई 
कहीं से बू तिरी गुफ़्तार की नहीं आई 
..... कालीदास गुप्ता रज़ा..... 

Spring came but flowers did not smile. 
There's no fragrance of your talk awhile. 
  
उधर भी ख़ाक उड़ी है इधर भी ख़ाक उड़ी 
जहाँ जहाँ से बहारों के कारवाँ निकले 
..... साहिर लुधियानवी..... 

There's dust this side and dust over there. 
Where spring caravans have had an affair. 
  
ग़ुरूर से जो ज़मीं पर क़दम नहीं रखती 
ये किस गली से नसीम-ए-बहार आती है 
..... जलील मानिकपुरी..... 

It doesn't even step on the ground with pride.
From which lane spring breeze takes a ride? 

'अर्श' बहारों में भी आया एक नज़ारा पतझड़ का 
सब्ज़ शजर के सब्ज़ तने पर इक सूखी सी डाली थी 

O'Arsh'! In spring was a spectre of autumn to see. 
A dry twig was there on green  trunk of the tree. 
  
क्या ख़बर मुझ को ख़िज़ाँ क्या चीज़ है कैसी बहार 
आँखें खोलीं आ के मैं ने ख़ाना-ए-सय्याद में.. ... मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम..... 

I don't know what's spring, with autumn bear no grouse. 
I have opened my eyes inside the capturer's house. 

मिरे ख़याल की वुसअत में हैं हज़ार चमन 
कहाँ कहाँ से निकालेगी ये बहार मुझे 
.... शौक़ असर रामपुरी.... 

In the stretch of my thoughts a thousand gardens stare. 
O spring! From which place will you kick me out of there? 
 
चार दिन की बहार है सारी 
ये तकब्बुर है यार-ए-जानी हेच 
..... हक़ीर..... 

The spring will last only four days. 
O love! This pride'll flee many ways. 
  
नई बहार का मुज़्दा बजा सही लेकिन 
अभी तो अगली बहारों का ज़ख़्म ताज़ा है..... शफ़क़त काज़मी..... 

Good news of new spring is of course, right. 
Wounds of old springs are raw, within sight. 
 
अपने दामन में एक तार नहीं 
और सारी बहार बाक़ी है 
..... हबीब अहमद सिद्दीक़ी..... 

In my hem, there's not a string. 
And still exists an entire spring. 
 
क्या इसी को बहार कहते हैं 
लाला-ओ-गुल से ख़ूँ टपकता है 
..... सलाम संदेलवी..... 

Is it what people call by name of spring? 
From daffodils 'n flowers blood does spring. 
 
आएँगे वक़्त-ए-ख़िज़ाँ छोड़ दे आई है बहार 
ले ले सय्याद क़सम रख दे गुलिस्ताँ सर पर ..... ख़्वाज़ा मोहम्मद वज़ीर..... 

I' ll be back in autumn, let me go, it's spring. 
I swear by the garden, O my capturer king! 
 
ख़िज़ाँ रुख़्सत हुई फिर आमद-ए-फ़स्ल-ए-बहारी है 
गरेबाँ ख़ुद-बख़ुद होने लगा है धज्जियाँ मेरा .... मिर्ज़ा आसमान जाह अंजुम.... 

The autumn is over, it's spring harvest cover. 
My garb on it's own, is in tatters to moan. 
 
शगुफ़्ता बाग़-ए-सुख़न है हमीं से ऐ 'साबिर' 
जहाँ में मिस्ल-ए-नसीम-ए-बहार हम भी हैं ..... फ़ज़ल हुसैन साबिर.....

 Literary garden is flowery due to me. 
As spring breeze it's me worth a see. 
  
फूल पर गुलशन के गोया दाना-ए-शबनम नहीं 
आशिक़ों के हाल पर आँखें फिराती है बहार ..... अनंनद राम मुख़लिस..... 

As if there's no dew drop on garden dress. 
On the state of lovers, spring is out to impress. 

किया हंगामा-ए-गुल ने मिरा जोश-ए-जुनूँ ताज़ा 
उधर आई बहार ईधर गरेबाँ का रफ़ू टूटा 
..... मीर मोहम्मदी बेदार..... 

My frenzy did bring back the season of spring. 
My garb stitch ruptured, spring arrival captured . 
  
बहार चाक-ए-गिरेबाँ में ठहर जाती है 
जुनूँ की मौज कोई आस्तीं में होती है 
..... अज़ीज़ हामिद मदनी..... 

To the garb in tatters, spring stay really matters. 
The frenzy waves retrieve , when it's up in sleeve. 
 
  

Tuesday 29 November 2022

QATEEL SHAFAAI.. GHAZAL.. ANGDAAI PAR ANGDAAI LETII HAI RAAT JUDAAII KII.....

अंगड़ाई पर अंगड़ाई लेती है रात जुदाई की
तुम क्या समझो तुम क्या जानो बात मेरी तन्हाई की

The night of departure takes stretch after stretch. 
How can you know extent of my solitude stretch? 

कौन सियाही घोल रहा था वक़्त के बहते दरिया में
मैंने आँख झुकी देखी है आज किसी हरजाई की 

Who was inking the running stream of time? 
I have seen down cast eyes of a harlot sketch. 

वस्ल की रात न जाने क्यूँ इसरार था उनको जाने पर
वक़्त से पहले डूब गए तारों ने बड़ी दानाई की 

I know not why did she leave meeting night. 
Stars set before time, it was intelligent fetch

उड़ते-उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में डूब गया
रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की 

The mourner wept and wept till voice was sore. 
Bird of hope flew till it was lost on horizon stretch. 


REKHTA.. TODAY'S 5 +17 COUPLETS

 न जाने क्या कहा था डूबने वाले ने लहरों से
कि लहरें अब तलक सर मारती फिरती हैं साहिल से

What the drowning man told the waves isn't known.
Waves bang their heads against shore on their own.

इक समंदर के प्यासे किनारे थे हम अपना पैग़ाम लाती थी मौज-ए-रवाँ 
आज दो रेल की पटरियों की तरह साथ चलना है और बोलना तक नहीं 
..... बशीर बद्र.....

We were thirsty ocean shore, our message brought by waves on roar. 
Today like two lines of the train, we live together but even talks don't rain.

आँखें आँसू भरी, पलकें बोझल घनी, जैसे झीलें भी हों, नर्म साए भी हों
ये तो कहिए उन्हें कुछ हँसी आ गई, बच गए आज हम डूबते डूबते
..... बशीर बद्र.....

Eyes loaded with tear, dense eyelashes without peer, as if there are lakes in which shades appear
Today she simply happened to  smile on her own, I was saved from drowning by this act alone. 

न जाने आह कि उन आँसुओं पे क्या गुज़री? 
जो दिल से आँख तक आए, मिज़ाँ तक आ न सके

What befell those tears, I know not amidst sighs. 
Who didn't reach eyelashes, but left heart for eyes. 

लबों तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है 
फ़साना और होता है हक़ीक़त और होती है 

What doesn't reach lips, is love of a different kind. 
A story is separate from truth of a different mind. 

चश्म-ए-तर बैठे थे हम तुम रू-ब-रू
हाय वो आँसू जो यूँ ही बह गए ! 
..... रवि मौन..... 

We confronted each other with tear filled eyes. 
For tears simply shed, I grieve amidst sighs. 

कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहीं 
जा मय-कदे से मेरी जवानी उठा के ला 
..... अब्दुल हमीद अदम..... 

It's said age gone by, doesn't return. 
Go to bring my youth back from tavern. 

उड़ते उड़ते आस का पंछी दूर उफ़क़ में  डूब गया 
रोते-रोते बैठ गई आवाज़ किसी सौदाई की..... क़तील शफ़ाई...... 

Flying bird of hope, sank in horizon, couldn't cope. 
The griever wept and wept,
 till his voice too slept. 

पुराने साल की ठिठुरी हुई परछाइयाँ सिमटीं 
नए दिन का नया सूरज उफ़ुक़ पर उठता आता है..... अली सरदार जाफ़री..... 

Shivering in shadows of old year finally shrank. 
New sun of new day arises from horizon to thank. 

सूरज के उफ़ुक़ होते हैं मंज़िल नहीं होती 
सो ढलता रहा जलता रहा चलता रहा मैं 
..... सऊद उस्मानी..... 

There's horizon for the sun but there's no goal. 
I kept burning 'n sinking and was on roll. 

कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं 
ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

At least from death, I have no hope of retort. 
O life ! You have deceived me in every sort. 

इस उम्मीद पे रोज़ चराग़ जलाते हैं 
आने वाले बरसों ब'अद भी आते हैं 
..... ज़ेहरा निगाह..... 

In this hope, I keep lamps daily aglow. 
Even after years, return those who go. 

किस से उम्मीद करे कोई इलाज - ए-दिल की
चारागर भी तो बहुत दर्द का मारा निकला..... लुत्फ़ - उर-रहमान..... 

From whom to expect treatment of heart? 
Healer was seen towing 
pain laiden cart. 

दुश्मनों की जफ़ा का ख़ौफ़ नहीं 
दोस्तों की वफ़ा से डरते हैं 
..... हफ़ीज़ बनारसी..... 

I am not afraid of disloyal foe trends. 
I am very afraid of loyalty of friends. 

लर्ज़ां है किसी ख़ौफ़ से जो शाम का चेहरा 
आँखों में कोई ख़्वाब पिरोने नहीं देता 
..... प्रकाश फ़िक्री ..... 

Trembling with the fear is evening face.
 No dream can be weaved
 in eye place. 

चटक में  ग़ुंचे की वो सौत-ए-जां-फ़ज़ा तो नहीं 
सुनी है पहले भी आवाज़ ये कहीं  मैंने
..... अख़्तर अली अख़्तर..... 

Is breaking open of a bud, a co-wife of pleasant weather? 
I have  heard this sound elsewhere earlier together. 

न सताइश की तमन्ना न सिले की परवा
न सही गर मिरे अश'आर में मअ'नी न सही..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Neither I care for any reward nor praise. 
Immaterial if my couplets no meaning chase. 

मैं आप अपनी मौत की तय्यारियों में हूँ 
मेरे ख़िलाफ़ आप की साज़िश फ़ुज़ूल है 
..... शाहिद ज़की.....

I am  preparing for my death on my own. 
Your plan to harm me is better left alone. 

ये अंजुमन ये क़हक़हे ये महवशों की भीड़ 
फिर भी उदास फिर भी अकेली है ज़िंदगी
..... नक़्श लायलपुरी..... 

This gathering, guffaws, and moon faces crowd. 
Still  life is sad and solitary to be proud. 

वो क्या ज़िंदगी जिस में जोशिश नहीं  
वो क्या आरज़ू जिस में काविश नहीं
..... कृष्ण मोहन..... 

What's life without a fervour? 
What's desire without endeavour? 

इतनी काविश भी न कर मेरी असीरी के लिए 
तू कहीं मेरा गिरफ़्तार न समझा जाए 
..... सलीम अहमद..... 

Don't make efforts for being  captured by me. 
Let not people think, you are 
captured by me

तुझ को ऐ सय्याद काविश ही अगर मंज़ूर है 
तू चमन में छोड़ दे मुझ को मिरे पर तोड़ कर..... मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी..... 

O capturer if it's effort that you want to see. 
You break my wings, in garden set me free. 





Monday 28 November 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +10 COUPLETS

ऐ सनम जिस ने तुझे चाँद सी सूरत दी है
उसी अल्लाह ने मुझ को भी मोहब्बत दी है..... हैदर अली आतिश.....

My love! One who gave you a moon like face.
That God gave me love for
 it to trace.

तरब-ज़ारों पे क्या गुज़री सनम-ख़ानों पे क्या गुज़री? 
दिल - ए-नादाँ मिरे मरहूम अरमानों पे क्या गुज़री?..... साहिर लुधियानवी.....

What befell temples and on music places as a spell ?
O innocent heart ! What on
 my dead desires befell ? 

रह गया दर्द दिल के पहलू में 
ये जो उल्फ़त थी दर्द-ए-सर न हुई
..... अफ़ीफ़ सिराज.....

Pain remained by the side of heart. 
Love didn't sit on my head from start. 

नगरी नगरी फिरा मुसाफ़िर घर का रस्ता भूल गया 
क्या है तेरा, क्या है मेरा, अपना पराया भूल गया..... मीराजी..... 

The traveller went places lost track of his home. 
What's your 's, what's mine, he forgot while on roam. 

दिल दे तो इस मिज़ाज का परवर-दिगार दे
जो रंज की घड़ी भी ख़ुशी से गुज़ार दे
..... दाग़ देहलवी .... 

O Almighty! Give me this type of heart. 
Which bears time of joy' n pain on same cart. 

दिल की बस्ती भी शहर-ए-दिल्ली है 
जो भी गुज़रा है, उस ने लूटा है
..... बशीर बद्र..... 

Heart 'n Delhi city are equally booted. 
Who ever has traversed these,has looted. 

दिल के अक्सर फ़साने हाय' जमील'
आँसुओं में सुनाए जाते हैं 

O' Jameel'! Often  tales of heart. 
Are narrated in tears on their  part. 

दिल का क्या मोल है, शर्मिंदा न कीजे मुझ को
आप की चीज़ है, ले जाइए, क़ीमत कैसी? 

What's the price of heart? Don't put me to shame from  start. 
It's something of your own, there's  no price - tag on. 

ये तो इंसानों के टूटे हुए दिल  हैं साक़ी
हम से टूटे हुए साग़र नहीं देखे जाते। 

O wine girl! These are broken hearts of men. 
I can't watch broken jugs, now or then. 

दिल की बस्ती भी अजब बस्ती है
जो उजड़ने के बाद बस्ती है... मीर... 

Strange is this heart site. 
After ruins, gets set right. 

दिल टूटने से थोड़ी सी तकलीफ़ तो हुई 
लेकिन तमाम उम्र का आराम हो गया 

 When the heart broke, there was pain in that stroke. 
But then it also gave, peace 
of a lifetime O naive! 

जैसे वर्क-ए-गुल पर अंगारा कोई रख दे
यूँ दस्त-ए-हिनाई पर आँसू अभी टपका है
..... बशीर बद्र..... 

As an ember is placed on the petal of a flower. 
On hennaed palm trickled a tear from eye tower. 

आया ही था ख़याल कि आँखें बरस पड़ीं
आँसू किसी की याद के कितने क़रीब हैं 

As her thought came to mind, eyes rained simply blind. Someone's memory and a tear, are so nearby my dear. 

आँख से किस के आँसू टपका मौसम की बे-कैफ़ी पर
इतना बरसा टूट के बादल डूब चला मैख़ाना भी 

Whose eyes have shed tear, on joyless weather O dear! 
Clouds simply broke apart, sinking  tavern on their part. 

अब तो इतनी भी मयस्सर नहीं मैख़ाने में 
जितनी हम छोड़ दिया करते थे पैमाने में 
..... दिवाकर राही..... 

Now in the wine place, this little you can't trace. 
What the cup used to  receive, as a left over when I leave. 



  



Sunday 27 November 2022

TAALIB BAAGHPATI.. GHAZAL..

यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ 

ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ 

हर-चंद नहीं शौक़ को यारा-ए-तमाशा 
Although /joy/capacity to watch
ख़ुद को न सही मुझ को दिखाने के लिए आ 

ये उम्र, ये बरसात, ये भीगी हुइ रातें 

इन रातों को अफ़्साना बनाने के लिए आ 

जैसे तुझे आते हैं न आने के बहाने excuse

ऐसे ही बहाने से न जाने के लिए आ 

माना कि मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत 

चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ 
Emphasise
तक़दीर भी मजबूर है, तदबीर भी मजबूर 

इस कोहना अक़ीदे को मिटाने के लिए आ old beliefs

आरिज़ पे शफ़क़, दामन-ए-मिज़्गाँ में सितारे 

यूँ इश्क़ की तौक़ीर बढ़ाने के लिए आ 
Prestige 
'तालिब' को ये क्या इल्म, करम है कि सितम है 

जाने के लिए रूठ, मनाने के लिए आ

REKHTA.. TODAY'S 5 +20 COUPLETS

हवा-ए-ज़ुल्म सोचती है किस भँवर में है आ गई
वो इक दिया बुझा के हज़ारों दिए जला गया..... अहमद फ़राज़.....

The terror wind thinks, in which whirlpool it sinks. 
He put out a lamp, to keep alit thousands to stamp. 

दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है 
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है..... नुशूर वाहिदी..... 

The lamp is silent but alit is someone' s heart. 
As far as light is seen, you come on your part. 

इलाज ये है कि मजबूर कर दिया जाऊँ 
वगरना यूँ तो किसी की नहीं सुनी मैं ने 
..... जौन एलिया..... 

The only way to cure, is to compel me for sure. 
Or else I didn't care, for anyone here or there. 

शम'अ की तरह जलें बज़्मगह-ए-आलम में 
ख़ुद जलें दीद-ए-अग़यार को बीना कर दें

We should burn like a lamp, on world gathering leave a stamp. 
We should burn on our own,but should  light up other' s zone. 

ऐ शम'अ तिरी उम्र तबीई है एक रात
हँस कर गुज़ार या इसे रोकर गुज़ार दे

O lamp! Your age is defined, within a night it is  confined. 
You may cry or laugh it out, that's what it's all about. 

तुम ने किया न याद कभी भूल कर हमें 
हम ने तुम्हारी याद में सब कुछ भुला दिया..... बहादुर शाह ज़फ़र..... 

You didn't remember me,
 even by mistake didn't see. 
In your memory I forgot, 
the whole world or quite a lot. 

इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िंदगी 
इस एक मुश्त-ए-ख़ाक को ग़म दो जहाँ के हैं..... पंडित बृज किशोर चकबस्त..... 

It's a sequence of lust, for life of man a first. 
For this fistful of dust, pain of both worlds is a must. 

ज़िंदगी इक हादसा है और कैसा हादसा 
मौत से भी ख़त्म जिस का सिलसिला होता नहीं..... जिगर मुरादाबादी..... 

Life is a calamity and what a kind of calamity! 
It's sequence isn't over, even  with grave dust cover. 

कभी कभी तो किसी अजनबी के मिलने पर 
बहुत पुराना कोई सिलसिला निकलता है 
..... मंज़ूर हाशमी..... 

At times meeting a stranger, an old sequence goes further. 

उस से हर-दम मोआ'मला है मगर 
दरमियाँ कोई सिलसिला ही नहीं 
.... जौन एलिया..... 

With her, a contact always persists.
No sequence in between 
exists. 

न इब्तिदा की ख़बर है न इंतिहा मालूम 
रहा ये वहम कि हम हैं सो वो भी क्या मालूम..... फ़ानी बदायूनी..... 

Neither you are aware of it's start nor end. 
A doubt exists that I am, but 
it is off hand. 

क्या जाने उसे वहम है क्या मेरी तरफ़ से 
जो ख़्वाब में भी रात को तन्हा नहीं आता 
..... शैख़ इब्राहिम ज़ौक़..... 

I don't know about the doubt, from my side to her, about. 
Even when coming in dreams, at night no solitude gleams. 

इस वहम में वो 'दाग़' को मरने नहीं देते 
माशूक़ न मिल जाए कहीं ज़ेर-ए-ज़मीं और..... दाग़ देहलवी..... 

'Daagh' is not allowed to die with this doubt. 
May not find a dame under earth, near about. 

रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है 
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है 
..... राहत इन्दौरी..... 

There are daily some  bars, in exhibition of stars. 
Mad of course is the moon, travels in dark all so soon. 

उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो 
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है..... राहत इन्दौरी..... 

Her memories are here,  O breaths slowly move. 
Even heart throbs disturb,
 when prayer is in groove. 

बुलबुल के कारोबार पे हैं ख़ंदा-हा-ए-गुल 
कहते हैं जिस को इश्क़ ख़लल है दिमाग़ का..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Flowers don't regale, business of the nightingale. 
What people call by love name, is a disturbed mind game. 

इस वहम से कि नींद में आए न कुछ ख़लल
अहबाब ज़ेर-ए-ख़ाक सुला कर चले गए 
..... जोश मल्सियानी..... 

With a doubt that sleep might not be disturbed. 
My friends laid me under  earth, with soil disbursed. 

मिलने की तरह मुझ से वो पल भर नहीं मिलता 
दिल उस से मिला जिस से मुक़द्दर नहीं मिलता..... नसीर तुराबी..... 

The way one should meet, not for a moment does he meet. 
The heart has set a date, with whom meeting isn't in fate. 

जो मिल गया उसी को मुक़द्दर समझ लिया 
जो खो गया मैं उस को भुलाता चला गया 
..... साहिर लुधियानवी..... 

Whatever was found, I took it as fate bound. 
Whatever I had lost, I forgot at every cost. 

ज़ख़्म ही तिरा मुक़द्दर है दिल तुझ को कौन संभालेगा 
ऐ मेरे बचपन के साथी मेरे साथ ही मर जाना..... ज़ेब गौरी..... 

O heart wound is your fate, Who'll look after you O mate? 
O my childhood friend!  With me this life you end. 

दिल पागल है रोज़ नई नादानी करता है 
आग में आग मिलाता है फिर पानी करता है..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

The heart is simply mad, with  a new folly is daily clad. 
It mingles fire with fire,  then waters it in entire. 

जुस्तुजू करनी हर इक अम्र में नादानी है 
जो कि पेशानी पे लिक्खी है वो पेश आनी है..... इमाम बख़्श नासिख़..... 

To keep making search, is a folly on hope perch. 
Whatever is written in fate, will come forward on date. 

इक मोहब्बत ही पे मौक़ूफ़ नहीं है 'ताबिश' 
कुछ बड़े फ़ैसले हो जाते हैं नादानी में 

O'Taabish' not only with love are these settled. 
Some big decisions are just innocently rattled. 

हाए वो नग़्मा जिस का मुग़न्नी 
गाता जाए रोता जाए...हफ़ीज़ मेरठी... 

The song whose singer brings. 
Only tears while he sings! 

यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ 
ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ
..... तालिब बाग़पती..... 

Of course it's your favour, you just come to go. 
But some day O friend! Just come 'n don't go. 


















Saturday 26 November 2022

ZAIB GHOURII.. GHAZAL..WO AUR MOHABBAT SE MUJHE DEKH RAHAA HO.....

वो और मोहब्बत से मुझे देख रहा हो 
क्या दिल का भरोसा मुझे धोका ही हुआ हो 

He and looking at me with love all the while. 
How to believe this heart, may be it's a guile. 

होगा कोई इस दिल सा भी दीवाना कि जिस ने 
ख़ुद आग लगाई हो बुझाने भी चला हो 

Will someone be a fanatic like heart who has
Set afire on his own, then put out in a while. 

इक नींद का झोंका शब-ए-ग़म आ तो गया था 
अब वो तिरे दामन की हवा हो कि सबा हो 

There was sleep relief, in night laiden with grief. 
Was it wind of your hem or breeze, I can't reconcile

दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता 
शायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो 

Never from your memory is bereft this heart. 
May be sometime I remembered you for a while. 

'ज़ेब' आज है बे-कैफ़ सा क्यूँ चाँद न जाने 
जैसे कोई टूटा हुआ पैमाना पड़ा हो

'Zaib' why does moon look unconscious today?
As if a broken wine glass is lying for a while. 

REKHTA.. TODAY'S 5 +19 COUPLETS

उसी को जीने का हक़ है जो इस ज़माने में 
इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए..... वसीम बरेलवी..... 

In this world only he has the living right. 
Who appears to be of left but 
is really right. 

मुझे दोस्त कहने वाले ज़रा दोस्ती निभा दे 
ये मुतालबा है हक़ का कोई इल्तिजा नहीं है..... शकील बदायूनी..... 

Just justify the friendship, you who call me friend. 
It's not a request but demand of right from this end. 

बोलते क्यूँ नहीं मिरे हक़ में 
आबले पड़ गए ज़बान में क्या 
..... जौन एलिया..... 

Why not speak in my favour? 
On tongue, is there a blister? 

ये ऐसा क़र्ज़ है जो मैं अदा कर ही नहीं सकता 
मैं जब तक घर न लौटूँ मेरी माँ सज्दे में रहती है..... मुनव्वर राना..... 

This is a debt that I can't pay back even by chance. 
Till I return home, my mom is
 in a state of trance. 

मिट्टी की मोहब्बत में हम आशुफ़्ता-सरों ने 
वो क़र्ज़ उतारे हैं कि वाजिब भी नहीं थे 
..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

In love of the land, from frenzied men's end. 
Such debts were paid, which weren't truly laid. 

कभी साया है कभी धूप मुक़द्दर मेरा 
होता रहता है यूँ ही क़र्ज़ बराबर मेरा 
..... अतहर नफ़ीस..... 

At times a shady fate, at times a sunny state. 
This is the only way, does my debt state sway. 

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे 
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Speak a little truth for beauty of lips to remain. 
There will be darkness ahead, so let light remain. 

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता 
दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Even if enmity is intense, don't finish relation sense. 
Even if hearts don't meet, let handshake be in street. 

जम्अ' हम ने किया है ग़म दिल में 
इस का अब सूद खाए जाएँगे 
..... जौन एलिया..... 

We have assembled grief in heart. 
Now we will get interest from start. 

अदा हुआ न क़र्ज़ और वजूद ख़त्म हो गया 
मैं ज़िंदगी का देते देते सूद ख़त्म हो गया 
..... फ़रियाद आज़र..... 

The debt was not yet paid, while my life was laid. 
My life was thus spent, paying interest on sum lent. 

कोई तो सूद चुकाए कोई तो ज़िम्मा ले 
उस इंक़लाब का जो आज तक उधार सा है..... कैफ़ी आज़मी..... 

Let someone pay interest, let someone pay the rest. 
Of that revolutionary fervour, which is yet in debt order. 

इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है 
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है..... जिगर मुरादाबादी..... 

About this word love trail, it's a very small tale. 
When confined it's lover's heart,when stretched world falls short. 

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं 
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

World doesn't have the grace, to erase even my face. 
The world is from my end, to
 it I don't extend. 

ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा था 
हमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते 
..... साक़िब लखनवी..... 

World was listening with fervour the gist.
 I slept reciting the tale in
 it's midst. 

न समझोगे तो मिट जाओगे ऐ हिन्दोस्ताँ वालो 
तुम्हारी दास्ताँ तक भी न होगी दास्तानों में..... अल्लामा इक़बाल..... 

If you don't understand, you  indians won't stand. 
Your tale won't be there, among those the people care. 

कहानी लिखते हुए दास्ताँ सुनाते हुए 
वो सो गया है मुझे ख़्वाब से जगाते हुए 
..... सलीम कौसर..... 

While telling me a tale, writing stories to regale. 
Awakening me from dream, he slept in self esteem. 

ग़ज़ब किया तिरे वअ'दे पे ए'तिबार किया 
तमाम रात क़यामत का इंतिज़ार किया 
..... दाग़ देहलवी..... 

To believe in your promise was calamity indeed. 
Waiting night long for doom, was my own deed. 

मुझे ज़िंदगी की दुआ देने वाले 
हँसी आ रही है तिरी सादगी पर 
... गोपाल मित्तल..... 

Blessing for life on my behalf. How simple you are, I laugh. 

तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ 
मिरी सादगी देख क्या चाहता हूँ 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

Your extent of love is what I want. 
Look at my simplicity, what I want. 

तिरी अदाओं की सादगी में किसी को महसूस भी न होगा
अभी क़यामत का इक करिश्मा हया के दामन में पल रहा है
..... मुग़ीसुद्दीन फ़रीदी..... 

In your simple style, none will feel for a while. 
Within this shy guile, a deadly feat is to pile. 

आदमी जान के खाता है मोहब्बत में फ़रेब 
ख़ुद-फ़रेबी ही मोहब्बत का सिला हो जैसे..... इक़बाल अज़ीम..... 

Knowingly in love is deceived each man. 
Self deception is reward of what love can. 

ये क्या कि तुम ने जफ़ा से भी हाथ खींच लिया 
मिरी वफ़ाओं का कुछ तो सिला दिया होता..... अब्दुल हमीद अदम..... 

From faithlessness, why did you repeal? 
Some reward of faith was just my appeal. 

सुन रहा हूँ अभी तक मैं अपनी ही आवाज़ की बाज़गश्त 
यानी इस दश्त में ज़ोर से बोलना भी अकारत गया..... अब्बास ताबिश..... 

I am a still listening to echo of my own voice
In this desert was a waste, even raising my voice. 

मदहोशियों से काम लिया है कभी कभी 
हाथ उन का हम ने थाम लिया है कभी कभी..... राज़ लायलपुरी..... 

Perplexities I have used from time to time. 
I have held her hand from time to time. 













Friday 25 November 2022

NAZEER BENARASII.. GHAZAL.. YE INAAYATEN GHAZAB KII YE BALAA KII MEHERBAANII.....

ये इनायतें ग़ज़ब की ये बला की मेहरबानी 
मेरी ख़ैरियत भी पूछी किसी और की ज़बानी 

What a nice favour, what kindness by you. 
Asked my wellbeing from someone else by you. 

नहीं मुझ से जब तअल्लुक़ तो ख़फ़ा ख़फ़ा से क्यूँ हैं 
नहीं जब मिरी मोहब्बत तो ये कैसी बद-गुमानी 

मिरा ग़म रुला चुका है तुझे बिखरी ज़ुल्फ़ वाले 

ये घटा बता रही है कि बरस चुका है पानी 

तिरा हुस्न सो रहा था मिरी छेड़ ने जगाया 

वो निगाह मैं ने डाली कि सँवर गई जवानी 

मिरी बे-ज़बान आँखों से गिरे हैं चंद क़तरे 

वो समझ सकें तो आँसू न समझ सकें तो पानी 

है अगर हसीं बनाना तुझे अपनी ज़िंदगी को 

तो 'नज़ीर' इस जहाँ को न समझ जहान-ए-फ़ानी

REKHTA.. TODAY'S 5 +17 COUPLETS

अच्छा है दिल के साथ रहे पासबान-ए-अक़्ल 
लेकिन कभी कभी इसे तन्हा भी छोड़ दे 
..... अल्लामा इक़बाल.....

It's good to have guard of sense with heart. 
But let it roam alone at times from start. 

तसद्दुक़ इस करम के मैं कभी तन्हा नहीं रहता 
कि जिस दिन तुम नहीं आते तुम्हारी याद आती है..... जलील मानिकपुरी..... 

Charity be on you that I am never alone. 
When you don't come your memory is on. 

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा 
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा 
..... गुलज़ार..... 

This life was thus spent alone. 
In caravan too, I moved alone. 

जाने क्यूँ लोग मिरा नाम पढ़ा करते हैं 
मैं ने चेहरे पे तिरे यूँ तो लिखा कुछ भी नहीं..... प्रेम भंडारी..... 

I know not why people read my name in any case. 
I didn't inscribe anything at all on your face. 

उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा 
आसमाँ पे चाँद पूरा था मगर आधा लगा 
..... इफ़्तिख़ार नसीम..... 

Compared to her face it looked faded soon. 
In sky looked half, though it was full moon. 

हासिल-ए-कुन है ये जहान-ए-ख़राब 
यही मुमकिन था इतनी उजलत में 
..... जौन एलिया..... 

You have achieved a world so bad. 
That's what so bright could be had. 

इस तअल्लुक़ में नहीं मुमकिन तलाक़ 
ये मोहब्बत है कोई शादी नहीं 
..... अनवर शऊर..... 

In this relation, you can't divorce. 
It is love, not marriage of course. 

एक चेहरे में तो मुमकिन नहीं इतने चेहरे 
किस से करते अगर हम इश्क़ दुबारा करते..... ओबैदुल्लाह अलीम..... 

It's not possible to have many faces within one. 
If desired,  with whom love again could be done. 

मुसाफिरों से मोहब्बत की बात कर लेकिन 
मुसाफिरों की मोहब्बत का ए'तिबार
 न कर..... उमर अंसारी..... 

You can talk about love with passengers. 
But don't believe on love of passengers. 

मोहब्बत के लिए दिल ढूँढ कोई टूटने वाला
ये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता

For love, search for a breakable heart. 
Can't play this song on any music part. 

बैठ जाता हूँ जहाँ छाँव घनी होती है 
हाय क्या चीज़ ग़रीब-उल-वतनी होती है 
..... हफ़ीज़ जौनपुरी..... 

I sit where the shade is dense. 
That's how exile makes sense. 

डाल दे साया अपने आँचल का
नातवाँ हूँ कफ़न भी हो हल्का 

Give it your head cover shade. 
I am weak, light coffin be made

महरूमियों का अपनी न शिकवा हो क्यूँ हमें 
कुछ लोग पी के ही नहीं छलका के आए हैं..... रज़ा अमरोहवी..... 

Why on my deprivation shouldn't I lament. 
Wine wasn't only sipped but splashed and spent. 

इस महफ़िल-ए-कैफ़-ओ-मस्ती में इस अंजुमन-ए-इरफ़ानी में 
सब जाम-ब-कफ़ बैठे ही रहे हम पी भी गए छलका भी गए..... मजाज़..... 

In this frentic gathering  where knowledge was in creed. 
All had wine cups in hand, I drank 'n splashed in lead. 

ज़िंदगी इक आँसुओं का जाम था 
पी गए कुछ और कुछ छलका गए
..... शाहिद कबीर..... 

Life was a tears cup. 
Drank' n splashed it up. 

मर गए फिर भी त'आल्लुक़ है ये मैख़ाने से 
मेरे हिस्से की छलक जाती है पैमाने से 

I am dead but have concern with tavern
My share splashes with each glass turn. 

छूना मत, शराब है ! 
ये क्या किया, शराब थी! 

Don't you touch it, it is wine. 
What did you do, it was wine. 

ज़ाहिद शराब पीने दे मस्जिद में बैठ कर
या वो जगह बता दे जहाँ पर ख़ुदा न हो

O preacher! In mosque, let me sit and drink. 
Or tell where God isn't there, just think. 

क्या रात के आशोब में वो ख़ुद से लड़ा था 
आईने के चेहरे पे ख़राशें सी पड़ी हैं
..... आफ़्ताब इक़बाल शमीम..... 

In upheaval of the night, with himself did he fight. 
On the mirror 's face, there are scratches to  trace. 

रोज़ मिलने पे भी लगता था कि जुग बीत गए 
इश्क़ में वक़्त का एहसास नहीं रहता है
..... अहमद मुश्ताक़..... 

Even with daily meet, centuries seemed to fleet. 
In the times of love, time stops feeling above. 

हम तुम साथ हैं इस लम्हे में 
दुख सुख तो अपना अपना है
..... अहमद मुश्ताक़..... 

In this moment, we are together. 
Separate are our pain 'n pleasure. 

जो ग़म जलते हैं शे'रों की चिता में 
उन्हें फिर अपने सीने से लगाएँ
..... अहमद मुश्ताक़..... 

The griefs on fire, in couplets pyre. 
Let's reembrace, in chest we place. 












Thursday 24 November 2022

PARVEEN SHAKIR. GHAZAL.. KAMAAL-E-ZABT KO KHUD BHI TO AAZMAUNGII.....

कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी 
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी 

I'll try the quality of control on my own 
For him I will decorate  bride on my own. 

सुपुर्द कर के उसे चाँदनी के हाथों में 
मैं अपने घर के अँधेरों को लौट आऊँगी 

Handing him over in care of moonlight. 
I will  return to dark home of my own. 

बदन के कर्ब को वो भी समझ न पाएगा 
मैं दिल में रोऊँगी आँखों में मुस्कुराऊँगी 

He won't understand my body pain. 
I will weep at heart to smile in eyes of my own. 

वो क्या गया कि रिफ़ाक़त के सारे लुत्फ़ गए 
मैं किस से रूठ सकूँगी किसे मनाऊँगी 

All joys of friendship left with him. 
With whom will I agitate, whom to own. 

अब उस का फ़न तो किसी और से हुआ मंसूब 
मैं किस की नज़्म अकेले में गुनगुनाऊँगी

His skill  now belongs to someone else. 
Whose poem  will I hum when I am alone. 

वो एक रिश्ता-ए-बेनाम भी नहीं लेकिन 
मैं अब भी उस के इशारों पे सर झुकाऊँगी 

Now his relation has no name left. 
Still I 'll bow before guidance of his own. 

बिछा दिया था गुलाबों के साथ अपना वजूद 
वो सो के उट्ठे तो ख़्वाबों की राख उठाऊँगी 

I  had spread my entity with roses for him. 
On waking up, will gather ashes of my own. 

समाअ'तों में घने जंगलों की साँसें हैं 
मैं अब कभी तिरी आवाज़ सुन न पाऊँगी 

In silence are breaths of dense jungles. 
I won't  listen your voice for my own. 

जवाज़ ढूँड रहा था नई मोहब्बत का 
वो कह रहा था कि मैं उस को भूल जाऊँगी

He looked for justification of new love.
He was saying I will forget him on my own. 

REKHTA.. TODAY'S 5 +17 COUPLETS

सियह-बख़्ती में कब कोई किसी का साथ देता है 
कि तारीकी में साया भी जुदा रहता है इंसाँ से..... इमाम बख़्श नासिख़..... 

Who comes with you mate, when dark is the fate. 
When it's pitch dark, even your shade doesn't park. 

तारीकी में होता है उसे वस्ल मयस्सर 
परवाना कहाँ जाए शबिस्ताँ से निकल कर..... मुसहफ़ी ग़ुलामी हमदानी..... 

It's only in the dark, that meeting is in arc. 
Where can the moth go, out of harem to show. 

मैं रहा उम्र भर जुदा ख़ुद से 
याद मैं ख़ुद को उम्र भर आया 
..... जौन एलिया..... 

I was separated whole life with my own. 
Whole life I remembered my own. 

उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआ 
अब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ..... अहमद फ़राज़ .....

I have parted with her long time back. 
What to tell, this tale is stale, worth pack. 

इस से पहले कि बे-वफ़ा हो जाएँ 
क्यूँ न ऐ दोस्त हम जुदा हो जाएँ 
..... अहमद फ़राज़..... 

Becoming faithless, why not before it. 
Why not O friend ! Do we part
 a bit. 

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर 
अब किसे रात भर जगाती है 
..... जौन एलिया..... 

Whom does her memory these days? 
Night long keeps awake, in grip lays. 

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है 
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है..... हसरत मोहानी..... 

Silently shedding tears day and night. 
I still recollect the period of love plight. 

ज़बाँ ज़बाँ पे शोर था कि रात ख़त्म हो गई 
यहाँ सहर की आस में हयात ख़त्म हो गई..... महताब ज़फ़र..... 

Every tongue was saying that night is over. 
In the hope of morning this life is over. 

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी 
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

When will pain stop O heart, when night will end it's part.
It was rumoured she 'd come,it was said morning' d come. 

रात आ कर गुज़र भी जाती है 
इक हमारी सहर नहीं होती 
..... इब्न-ए-इंशा..... 

Night comes and gets over. 
Only I don't get morn' cover. 

ये दाग़ दाग़ उजाला ये शब-गज़ीदा सहर 
वो इंतिज़ार था जिस का ये वो सहर तो नहीं..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

This spotted light not so bright, this morning injured by the night. 
The morning we had longed for, it isn't that morn' so far. 

आँख रखते हो तो उस आँख की तहरीर पढ़ो 
मुँह से इक़रार न करना तो है आदत उस की..... शहज़ाद अहमद..... 

If you have got eyes, read what's written in eyes. 
Saying yes on her own, is not a habit of that clone. 

तहरीर से वर्ना मिरी क्या हो नहीं सकता 
इक तू है जो लफ़्ज़ों में अदा हो नहीं सकता..... वसीम बरेलवी..... 

What else can't be done by my written words. 
Only you can't be expressed in written words. 

ख़ुद ग़लत है जो कहे होती है तक़दीर ग़लत 
कहीं क़िस्मत की भी हो सकती है तहरीर ग़लत ..... इमाम बख़्श नासिख़..... 

He is wrong who says that fate is wrong. 
How can what's written in fate be wrong. 

इस तरह रहबर ने लूटा कारवाँ 
ऐ 'फ़ना' रहज़न को भी सदमा हुआ 
..... फ़ना निज़ामी कानपुरी ..... 

Guide looted caravan in a way. 
Even the robber was in dismay. 

हम से 'आबिद' अपने रहबर को शिकायत ये रही 
आँख मूँदे उन के पीछे चलने वाले हम नहीं..... आबिद अदीब..... 

For me the guide has this to complain. 
With closed eyes I can't follow his reign. 

रहबर भी ये हमदम भी ये ग़म-ख़्वार हमारे 
उस्ताद ये क़ौमों के हैं मे'मार हमारे 
..... अज्ञात..... 

He is guide, friend and reliever of pain. 
He is master and coloniser in the main. 

अपने किसी अमल पे नदामत नहीं मुझे 
था नेक-दिल बहुत जो गुनहगार मुझ में था..... हिमायत अली शायर..... 

I don't regret anyone of my act. 
Sinner in me was good hearted in fact. 

गुनाह कर के भी हम रिंद पाक-साफ़ रहे 
शराब पी तो नदामत ने आब आब किया 
..... जलील मानिकपुरी..... 

We drunkards remained pure even after sin. 
After the drinks, regret watered it thin. 

सच तो ये है कि नदामत ही हुई 
राज़ की बात किसी से कह के 
..... अब्दुल मजीद हैरत..... 

Truth is that a regret was in share.
 When a secret with someone 
did I share. 

बहुत शोर था जब समाअ'त गई 
बहुत भीड़ थी जब अकेले हुए
..... शहरयार..... 

A lot of noise was there when I couldn't hear. 
When I was alone, a huge crowd was near. 

कमाल-ए-ज़ब्त को ख़ुद भी तो आज़माऊँगी 
मैं अपने हाथ से उस की दुल्हन सजाऊँगी

The power of control I will try on my own. 
I will decorate his bride on my own. 














SAAGHAR SIDDIQII.. GHAZAL.. AGAR BAZM-E-HASTII MEN AURAT NA HOTII.....

अगर बज़्म-ए-हस्ती में औरत न होती 
ख़यालों की रंगीन जन्नत न होती 

If woman was not to exist. 
Heaven won't also persist. 

सितारों के दिलकश फ़साने न होते 
बहारों की नाज़ुक हक़ीक़त न होती 

No attractive tale of stars. 
Delicate spring won't exist. 

जबीनों पे नूर-ए-मसर्रत न खिलता 
निगाहों में शान-ए-मुरव्वत न होती 

No glow of joy on foreheads. 
No pleasant glimpse to persist

घटाओं की आमद को सावन तरसते 
फ़ज़ाओं में बहकी बग़ावत न होती 

Spring would long for clouds. 
No enmity in weather 'd exist. 

फ़क़ीरों को इरफ़ान-ए-हस्ती न मिलता 
अता ज़ाहिदों को इबादत न होती 

Saints not blessed with life. 
Prayer' n preacher not to exist. 

मुसाफ़िर सदा मंज़िलों पर भटकते 
सफ़ीनों को साहिल की क़ुर्बत न होती 

Travellers 'd roam near goal. Boats' n shore not to coexist. 

हर इक फूल का रंग फीका सा रहता 
नसीम-ए-बहाराँ में निकहत न होती 

Every flower be dull coloured. 
In spring breeze incense won't exist. 

ख़ुदाई का इंसाफ़ ख़ामोश रहता 
सुना है किसी की शफ़ाअत न होती 

Godly justice 'd be silent. 
No innovation' d exist. 

Wednesday 23 November 2022

COUPLETS ON EYES... 20

तुम्हारी आँखों की तौहीन है ज़रा सोचो 
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है 
..... मुनव्वर राना..... 

It's an insult of your eyes, just think. 
One who loves you goes for a drink. 
  
तेरी आँखों का कुछ क़ुसूर नहीं 
हाँ मुझी को ख़राब होना था 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

No fault your eyes had had. Well, I am wanted to be bad. 
 
तिरे जमाल की तस्वीर खींच दूँ लेकिन 
ज़बाँ में आँख नहीं आँख में ज़बान नहीं 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

I can sketch your beauty but even if I try. 
Eyes have no tongue, the tongue lacks eye. 
 
जो उन मासूम आँखों ने दिए थे 
वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

What was given by those eyes innocent. 
Till today those deceits i have each moment. 
 
इक हसीं आँख के इशारे पर 
क़ाफ़िले राह भूल जाते हैं 
..... अब्दुल हमीद अदम..... 

As directed by a beautiful eye. 
Caravans lose way with a sigh. 

लड़ने को दिल जो चाहे तो आँखें लड़ाइए 
हो जंग भी अगर तो मज़ेदार जंग हो 
..... लाला माधव राम जौहर..... 

If you are want to fight, let eyes have the delight. 
If it is to be at war, let the taste be at par. 
 
पैमाना कहे है कोई मय-ख़ाना कहे है 
दुनिया तिरी आँखों को भी क्या क्या न कहे है ..... अज्ञात.....

Some call it a tavern, others say it's glass. 
The world has labelled your eyes with class. 

उस की आँखों को ग़ौर से देखो 
मंदिरों में चराग़ जलते हैं 
..... बशीर बद्र..... 

Look at her eyes with care. 
Lamps are alit in temple 'n bare. 
 
आँख रहज़न नहीं तो फिर क्या है 
लूट लेती है क़ाफ़िला दिल का 
..... जलील मानिकपुरी...... 

If not a robber what else is an eye. 
Robs heart caravan without a try. 
 
 जब तिरे नैन मुस्कुराते हैं 
ज़ीस्त के रंज भूल जाते हैं 
..... अब्दुल हमीद अदम..... 

 When your eyes smile.
 Life forgets pain in a while. 
 
उन रस भरी आँखों में हया खेल रही है 
दो ज़हर के प्यालों में क़ज़ा खेल रही है 
..... अख़्तर शीरानी..... 

In these juicy eyes, shyness is playing it's part. 
In two poison cups, death is playing from start. 
 
कैफ़िय्यत-ए-चश्म उस की मुझे याद है 'सौदा' 
साग़र को मिरे हाथ से लीजो कि चला मैं 
..... मोहम्मद रफ़ी सौदा..... 

O 'Sauda' I remember the quality of her glance. 
Hold the wine jug , I
am out for a dance. 
 
हम मोहब्बत का सबक़ भूल गए 
तेरी आँखों ने पढ़ाया क्या है 
.... जमील मज़हरी..... 

The lesson of love I forgot. 
What have your eyes taught? 
 
आँखें न जीने देंगी तिरी बे-वफ़ा मुझे 
क्यूँ खिड़कियों से झाँक रही है क़ज़ा मुझे 
..... इमदाद अली बहर..... 

O faithless your eyes won't let me live. 
From windows death peeps out to give. 
 
दिलों का ज़िक्र ही क्या है मिलें मिलें न मिलें 
नज़र मिलाओ नज़र से नज़र की बात करो..... सूफ़ी तबस्सुम..... 

What to talk about hearts whether they meet or not. 
Let the eyes meet and talk, 
just give it a thought. 

अधर उधर मिरी आँखें तुझे पुकारती हैं 
मिरी निगाह नहीं है ज़बान है गोया 
..... बिस्मिल सईदी..... 

Lips call from one side and eyes from the other. 
Not a glance, but as if it's
 my tongue O brother. 
 
कहीं न उन की नज़र से नज़र किसी की लड़े 
वो इस लिहाज़ से आँखें झुकाए बैठे हैं 
..... नूह नारवी..... 

So that her glance doesn't be at war. 
She is sitting with eyes downcast, at par. 
 
आँख से आँख मिलाना तो सुख़न मत करना 
टोक देने से कहानी का मज़ा जाता है 
..... मोहसिन असरार..... 

When you tag eyes then don't talk. 
Pleasure of tale goes out for a walk. 
 
उस की आँखें हैं कि इक डूबने वाला इंसाँ 
दूसरे डूबने वाले को पुकारे जैसे 
..... इरफ़ान सिद्दीकी....

 Her eyes are as if a drowning man. 
Calls another for help if he can. 
   
हर एक आँख में होती है मुंतज़िर कोई आँख 
हर एक दिल में कहीं कुछ जगह निकलती है ..... अबरार अहमद..... 

In each eye there's a hopeful  eye that waits. 
In every heart some space surely emanates. 
 
 

PAINTED COUPLETS..

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया..... मजरूह सुल्तानपुरी.....

I had set all alone towards the goal. 
People  came 'n caravan took it's toll.

मैं फूल चुनती रही और मुझे ख़बर न हुई
वो शख़्स आ के मिरे शहर से चला भी गया.....परवीन शाकिर.....

I was gathering flowers and did not know.
That man came to my city and could go.

न जाने किस की हमें उम्र भर तलाश रही
जिसे क़रीब से देखा वो दूसरा निकला
..... ख़लील-उर-रहमान आज़मी.....

I know not whom I searched life long O dear.
He was different whom I had seen from near.

उसे ख़बर थी कि हम विसाल-ओ-हिज्र इक साथ चाहते हैं
सो उस ने आधा उजाड़ रक्खा है और आधा बना दिया है.... फरहत अहसास...

She knew that I wanted meeting 'n departure at a time. So she raised one half and grazed the other at a time

हाँ ठीक है मैं अपनी अना का मरीज़ हूँ 
आख़िर मिरे मिज़ाज में क्यूँ दख़्ल दे कोई
..... जौन एलिया.....

I am a patient of my ego, well  that is true.
But with my mood what someone else has to do?

तुम्हारा हिज्र मना लूँ अगर इजाज़त हो
मैं दिल किसी से लगा लूँ अगर इजाज़त हो..... जौन एलिया.....

Let me celebrate departure  if you so permit.
Tag my heart with someone if you so permit.

अपने सर इक बला तो लेनी थी
मैंने वो ज़ुल्फ़ अपने सर ली है
..... जौन एलिया.....

Some calamity I had to head.
Well, it's her tress that I led. 

क्या सितम है कि अब तिरी सूरत 
ग़ौर करने पे याद आती है
..... जौन एलिया.....

What a pity that now your face. 
Only when I try, can I trace.

कैसे इक लफ़्ज़ में  बयान करूँ
दिल को किस बात ने उदास किया 
..... कैफ़ भोपाली.....

How to express in one word on my part? 
What's it that has saddened the heart?

शायद किसी की याद का मौसम फिर आ गया
पहलू में दिल की तरह धड़कने लगी है शाम..... ओवैस अहमद दौराँ..... 

Probably weather of  one 's memory had a start. 
Evening is throbbing  by my side like the heart. 

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ 
अब मैं अक्सर मैं नहीं होता तुम हो जाता हूँ.... अनवर शऊर.....

Well seated, suddenly I get lost et all. 
Often I am not I but take your call. 

ये ज़िंदगी भी अजब कारोबार है कि मुझे 
ख़ुशी है पाने की कोई न रंज खोने का
..... जावेद अख्तर.....

This life is a strange business for me now. 
No joy in getting, no pain losing anyhow. 

जुस्तजू जिस की थी उस को तो न पाया हम ने
इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हम ने
..... शहरयार.....

I didn't get what I had searched for.
 By this excuse I could see the world far. 

मिरे सूरज आ ! मिरे जिस्म पे अपना साया कर
बड़ी तेज़ हवा है, सर्दी आज ग़ज़ब की है
..... शहरयार.....

Come my sun! Cover my body with your shade. 
Wind is swift, weather has winter to trade. 

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं किसी  बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....

When wounds of your  memory start getting healed. 
Under some excuse, these wounds are unsealed. 

ज़ुल्फ़ों में किया क़ैद न अबरू से किया क़त्ल 
तूने तो कोई बात न मानी मिरे दिल की 
.....इमाम बख़्श नासिख़..... 

Neither you captured in tress, nor murdered by eyebrows. 
You do not agree with anything that my heart throws. 

अबरू न सँवारा करो कट जाएगी उँगली 
नादान हो तलवार से खेला नहीं करते 
..... आग़ा शायर क़ज़लबाश..... 

Don't shape your eyebrows, your finger may get hurt. 
You are too young to play 
with sword in a spurt. 

पाँव साकित हो गए 'सरवत' किसी को देख कर 
इक कशिश महताब जैसी चेहरा-ए-दिलबर में थी..... सरवत हुसैन..... 

Seeing someone O Sarvat feet forgot to move. 
An intensity as moon was in her face to prove. 

अमाँ किसे थी मिरे साए में जो रुकता कोई 
ख़ुद अपनी आग में जलता हुआ शजर था मैं..... जमुना प्रसाद राही..... 

Who would feel secure in my shade to retire. 
I was a tree slowly burning in my own fire. 

तुझे सीने से लगा लूँ तुझे दिल में रख लूँ 
दर्द की छाँव में ज़ख़्मों की अमाँ में आ जा..... अज़ीज़ क़ैसी..... 

Let me embrace you, within the heart place you. 
Come in shade of pain, within wounds domain. 

मुझे तो ख़ैर वतन छोड़ कर अमाँ न मिली 
वतन भी मुझ से ग़रीब-उल-वतन को तरसेगा..... नासिर काज़मी..... 

I did not feel secure, leaving native land so pure. 
But nation too would grieve, for immigrant to receive. 





REKHTA.. TODAY'S 5 +23 COUPLETS

सारी दुनिया के ग़म हमारे हैं
और सितम ये कि हम तुम्हारे हैं 
..... जौन एलिया.....

All griefs of world are mine. 
It's sad, that I am still thine.

दिल ना-उमीद तो नहीं नाकाम ही तो है 
लम्बी है ग़म की शाम मगर शाम ही तो है 
...... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....

Heart isn't a success,but hasn't lost hope.
Long is painful eve' but an eve' you can cope.

अब तो ख़ुशी का ग़म है न ग़म की ख़ुशी मुझे 
बे-हिस बना चुकी है बहुत ज़िंदगी मुझे 
..... शकील बदायूनी.....

Neither I have grief of joy, nor joy of pain. 
I have become insensitive to all in life rain.

कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं 
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे 
..... जौन एलिया.....

How attractive you are, how attentive am I 
What a trouble that both of
 us will die. 

क्या सितम है कि अब तिरी सूरत 
ग़ौर करने पे याद आती है 
..... जौन एलिया.....

What a trouble that now your face. 
Only carefully I can trace. 

दिल आबाद कहाँ रह पाए उस की याद भुला देने से 
कमरा वीराँ हो जाता है इक तस्वीर हटा देने से..... जलील आली..... 

How can heart be inhabited if her memory is erased. 
A room becomes so vacant if 
a picture is displaced. 

दाएम आबाद रहेगी दुनिया 
हम न होंगे कोई हम सा होगा 
..... नासिर काज़मी..... 

Eternally world would be there. 
If not us, our likes will be there. 

दुनिया-ए-तसव्वुर हम आबाद नहीं करते 
याद आते हो तुम ख़ुद ही हम याद नहीं करते..... फ़ना कानपुरी..... 

I do not inhabit the world of mind. 
I don't remember, you come to mind. 

दर्द ऐसा है कि जी चाहे है ज़िंदा रहिए 
ज़िंदगी ऐसी कि मर जाने को जी चाहे है 
..... क़लीम आजिज़..... 

You feel like living, such is the pain. 
Life is such, you want to die again. 

ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में 
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Is life a poor man's robe in which. 
Every time you need  a painful stitch. 

दिल ही तो है न संग-ओ-ख़िश्त दर्द से भर न आए क्यूँ 
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ 

It's heart not a stone or brick, why won't fill with pain? 
I'll cry a thousand times, why someone troubles again? 

ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा 
क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा 
..... गुलज़ार..... 

Life was spent so alone
In caravan, I walked alone. 

ज़िंदगी किस तरह बसर होगी 
दिल नहीं लग रहा मोहब्बत में 
..... जौन एलिया..... 

How will this life be spent. 
Love in heart makes no dent. 

कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी 
सुनते थे वो आएँगे सुनते थे सहर होगी 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

When will the pain stop o heart, when will night be over. 
It was heard that she'd come, it 'd be morn',night be over. 

शब-ए-इंतिज़ार की कश्मकश में न पूछ कैसे सहर हुई 
कभी इक चराग़ जला दिया कभी इक चराग़ बुझा दिया... मजरुह सुल्तानपुरी...

In the tussle of waiting night, ask not how morn' was in sight
At times I lit one lamp, at times another lamp I stamp. 

ज़बाँ ज़बाँ पे शोर था कि रात ख़त्म हो गई 
यहाँ सहर की आस में हयात ख़त्म हो गई..... महताब ज़फ़र..... 

On every tongue was a sound that night end is around. 
With this morning hope, my life could not cope. 

दिल से जो बात निकलती है असर रखती है 
पर नहीं ताक़त-ए-परवाज़ मगर रखती है 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

What comes out of heart, makes an impact on it's part. 
It may not have the wings, but with power to fly it clings. 

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक 
कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

It takes a lifetime, for sigh to affect in prime. 
Who will live that long, for tress
bond so strong. 

इश्क़ की चोट का कुछ दिल पे असर हो तो सही 
दर्द कम हो या ज़ियादा हो मगर हो तो सही..... जलाल लखनवी..... 

For the hurt of heart, there be effect of some sort. 
Whether pain is less or more, it should reach the core. 

तेरी रूह में सन्नाटा है और मिरी आवाज़ में चुप 
तू अपने अंदाज़ में चुप है मैं अपने अंदाज़ में चुप..... अब्बास ताबिश..... 

There's silence in your soul, my voice has same goal. 
You are silent in your way, I am silent in my sway. 

उक़ाबी रूह जब बेदार होती है जवानों में 
नज़र आती है उन को अपनी मंज़िल आसमानों में..... इक़बाल..... 

When it is the hawk soul, alive in youth as a whole. 
They can see their goal, in yonder skies off pole. 

मिरी रूह की हक़ीक़त मिरे आँसुओं से पूछो 
मिरा मज्लिसी तबस्सुम मिरा तर्जुमाँ नहीं है..... मुस्तफ़ा ज़ैदी..... 

Ask the truth of my soul, from my tears on roll. 
Religious fervour that you see, it is not truely me. 

जवानी क्या हुई इक रात की कहानी हुई 
बदन पुराना हुआ रूह भी पुरानी हुई 
..... उबैदुल्ला अलीम..... 

What's this youth of a kind, story of one night grind. 
Body got old as a whole, so was the state of soul. 

फ़रिश्ते से बढ़ कर है इंसान बनना 
मगर इस में लगती है मेहनत ज़ियादा 
..... अल्ताफ़ हुसैन हाली..... 

More than an angel,is to be a man. 
Effort is more than what you can. 

कोई ख़ुद-कुशी की तरफ़ चल दिया 
उदासी की मेहनत ठिकाने लगी 
..... आदिल मंसूरी..... 

Someone took a suicidal role. 
Effort of sadness reached it's goal. 

मिरे बनाए हुए बुत में रूह फूँक दे अब
न एक उम्र की मेहनत मिरी अकारत कर
..... राजेंद्र मनचंदा बानी..... 

In this idol of mine, snuff soul let it shine. 
It's an effort of lifetime, don't  waste it in no time. 

अज़ाँ पे क़ैद नहीं बंदिश-ए-नमाज़ नहीं 
हमारे पास तो हिजरत का भी जवाज़ नहीं
..... अंजुम ख़याली..... 

There's no bar on azaan, no bar on prayer in lawn. 
Really I can't justify, going for religious travel and why? 

ख़ुदा के वास्ते चेहरे से टुक नक़ाब उठा
ये दरमियान से अब पर्दा - ए-हिजाब उठा
..... शाह नसीर..... 

For Almighty 's sake, from face veil off take. 
Now in between us, why this veil fuss? 









Tuesday 22 November 2022

AHMAD MUSHTAAQ.. GHAZAL.. BAHUT RUK RUK KE CHALTII HAI HAWAA KHAALII MAKAANON MEN.......

बहुत रुक रुक के चलती है हवा ख़ाली मकानों में 
बुझे टुकड़े पड़े हैं सिगरेटों के राख-दानों में 

Wind moves in empty houses in a mode of stay.
 Burnt out cigarette pieces are there in ash tray. 

धुएँ से आसमाँ का रंग मैला होता जाता है 
हरे जंगल बदलते जा रहे हैं कार-ख़ानों में 

Green jungles are turning into factories of late. 
Colour of sky by smoke is becoming gray. 

भली लगती है आँखों को नए फूलों की रंगत भी 
पुराने ज़मज़मे भी गूँजते रहते हैं कानों में 

Eyes like the colours of new grown flowers. 
Sound of old concerts in ears have a  stay. 


वही गुलशन है लेकिन वक़्त की पर्वाज़ तो देखो 
कोई ताइर नहीं पिछले बरस के आशियानों में 

Garden is same but with move of times. 
No bird  in last year nests make stay. 

ज़बानों पर उलझते दोस्तों को कौन समझाए 
मोहब्बत की ज़बाँ मुम्ताज़ है सारी ज़बानों में 

When 'll friends in language tussle learn?
Love language is the  sweetest of all to say. 

REKHTA.. TODAY'S 5 +9 COUPLETS

 ता-हद्द-ए-इम्कां कोई भी बस्ती न बयाबाँ
आँखों में कोई ख़्वाब दिखाई नहीं देता..... सैयद अमीन अशरफ़.....

To limit of possibility, there's  no dwelling, no desert.
 And in the eyes,there's no dream to insert. 

ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है 
ऐसी तन्हाई कि मर जाने को जी चाहता है..... इफ़्तिख़ार आरिफ़..... 

I feel like scattering as a dream. 
Such solitude, death 'll be easy to gleam. 

उठो ये मंज़र-ए-शब-ताब देखने के लिए 
कि नींद शर्त नहीं ख़्वाब देखने के लिए 
..... इरफ़ान सिद्दीक़ी..... 

It's rising to see a glow with the night. 
Sleep is no requisite for dream in sight. 

अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो 
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो..... मुनव्वर राना..... 

Now set my parting journey at ease. 
Don't come to disturb in sleep please.

दुनिया पे अपने इल्म की परछाइयां न डाल
ऐ रौशनी फ़रोश ! अंधेरा न कर अभी 
..... साक़ी फ़ारूक़ी..... 

Don't cast shades of your knowledge spell. 
O light seller!  Let there be no darkness to dispel. 

मोहब्बत के लिए कुछ ख़ास दिल मख़्सूस होते हैं 
ये वो नग़्मा है जो हर साज़ पर गाया नहीं जाता..... मख़्मूर देहलवी..... 

Some specific hearts are meant for love to retain. 
This song can't  every musical instrument sing 'n contain. 

वजूद-ए-ज़न से है तस्वीर-ए-काएनात में रंग 
इसी के साज़ से है ज़िंदगी का सोज़-ए-दरूँ..... इक़बाल..... 

Females impart colour to picture of universe. 
 It's instrument plays the sad tune in verse. 

ग़ज़ल उस ने छेड़ी मुझे साज़ देना 
ज़रा उम्र-ए-रफ़्ता को आवाज़ देना 
..... सफ़ी लखनवी..... 

Let me set to music, he has given ghazal call. 
To the times gone by, give a little bit of call. 

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा..... साहिर लुधियानवी..... 

A story which  can't reach a proper end. 
Is better  left giving a beautiful  bend. 

ख़मोशी मेरी मअनी-ख़ेज़ थी ऐ आरज़ू कितनी 
कि जिस ने जैसा चाहा वैसा अफ़्साना बना डाला..... आरज़ू लखनवी..... 

O Arzoo ! How meaningful was my silence. 
Anyone could shape a tale with some sense. 

शदीद प्यास थी फिर भी छुआ न पानी को 
मैं देखता रहा दरिया तिरी रवानी को 
..... शहरयार..... 

Even in intense thirst, I didn't touch the water. 
O stream! I looked at the flow of your water. 

पीता हूँ जितनी उतनी ही बढ़ती है तिश्नगी 
साक़ी ने जैसे प्यास मिला दी शराब में 
....., अज्ञात..... 

With the drink is on rise thirst of mine. 
Wine girl has mixed thirst with the  wine. 

होंटों को रोज़ इक नए दरिया की आरज़ू 
ले जाएगी ये प्यास की आवारगी कहाँ 
..... वसीम बरेलवी..... 

Daily there's a desire of new stream on lips. 
Where from will this vagabond thirst get tips? 

किताबों से न दानिश की फ़रावानी से आया है 
सलीक़ा ज़िंदगी का दिल की नादानी से आया है..... फ़सीह अकमल...... 

Neither from books nor abundance of knowledge it's there. 
Proper way of life has come from genuine, simple heart affair. 








Monday 21 November 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +26 COUPLETS

नहीं होती है राह-ए-इशक़ में आसान मंज़िल
सफ़र में भी तो सदियों की मसाफ़त चाहिए है
..... फरहत नदीम हुमायूं.....

Goal isn't easy in the path of love to be achieved. 
A distance of centuries needs be covered, believed. 

इस शहर-ए-फ़ुसूँ-गर के अज़ाब और, सवाब और 
हिज्र और तरह का है विसाल और तरह का..... ख़ालिद मोइन..... 

The rewards and torments of this magical city are different. 
Separation is of a different type and meeting is different. 

मेरी बर्बादियाँ दुरुस्त मगर 
तू बता क्या तुझे सवाब हुआ 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

My ruins are well in place. 
Where are your rewards to trace. 

शिरकत गुनाह में भी रहे कुछ सवाब की 
तौबा के साथ तोड़िए बोतल शराब की 
..... ज़हीर देहलवी..... 

Incorporate some reward in the sin deed. 
While breaking promise, break bottle  indeed. 

भूल जाना नहीं गुनाह उसे 
याद करना उसे सवाब नहीं 
..... जौन एलिया..... 

Neither it's a sin to forget her. 
Nor a reward to remember her. 

महरूम हूँ मैं ने ख़िदमत-ए-उस्ताद से 'मुनीर' 
कलकत्ता मुझ को गोर से भी तंग हो गया 
..... मुनीर शिकोहाबादी..... 

O'Muneer' from serving teacher I am deprived. 
Calcutta for me is more than grave compromised. 

है ख़याल-ए- हुस्न में हुस्न-ए-अमल का सा ख़याल 
ख़ुल्द का इक दर है मेरी गोर के अंदर खुला..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Realisation of beauty is in it's thought. 
A gate to heaven is in my grave sought. 

बुझने की दिल की आग नहीं ज़ेर-ए-ख़ाक भी 
होगा दरख़्त गोर पे मेरी चिनार का 
..... शैख़ इब्राहिम ज़ौक़..... 

With dust, fire of heart can't be put out. 
From my remains a Chinar tree 'll sprout. 

मैं वो सहरा जिसे पानी की हवस ले डूबी 
तू वो बादल जो कभी टूट के बरसा ही नहीं..... सुल्तान अख़्तर 

I am that desert decimated by water desire
You are that cloud which never emptied entire. 

हैरत से तकता है सहरा बारिश के नज़राने को 
कितनी दूर से आई है ये रेत से हाथ मिलाने को..... सऊद उस्मानी..... 

Surprised is the desert with gift of rain.
 How far has it come to meet the terrain. 

दिल के दो हिस्से जो कर डाले थे हुस्न-ओ-इश्क़ ने 
एक सहरा बन गया और एक गुलशन हो गया..... नूह नारवी..... 

Heart was divided in two parts by love and beauty. 
One part became desert, other took garden duty. 

एक ही तो हवस रही है हमें 
अपनी हालत तबाह की जाए 
..... जौन एलिया..... 

I have had only one desire. 
To destroy the self in entire. 

तीर खाने की हवस है तो जिगर पैदा कर 
सरफ़रोशी की तमन्ना है तो सर पैदा कर 
..... अमीर मीनाई..... 

If you have a desire for arrow, have a heart. 
For sacrifice grow a head of that sort. 

इतने घने बादल के पीछे 
कितना तन्हा होगा चाँद 
..... परवीन शाकिर..... 

Behind such a dense cloud zone. 
Moon must be feeling so alone. 

दूर तक छाए थे बादल और कहीं साया न था 
इस तरह बरसात का मौसम कभी आया न था..... क़तील शफ़ाई..... 

Clouds stretched afar and there was no shade. 
This way the rainy season had never made. 

इक डूबती धड़कन की सदा लोग न सुन लें 
कुछ देर को बजने दो ये शहनाई ज़रा और..... आनिस मुईन..... 

Let not people listen this sinking heart throb. 
Let clarion be played a little longer before mob. 

दूर बजती थी कहीं शहनाई 
रोया पीकर बहुत शराब कोई
..... जावेद अख्तर..... 

Clarion sound was coming from afar. 
He drank and cried a lot ajar. 

हर गली कूचे में रोने की सदा मेरी है 
शहर में जो भी हुआ है वो ख़ता मेरी है 
..... फरहत अहसास..... 

Crying sound is mine in each lane, each street . 
Whatever wrong is in city, has been my feat. 

क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ 
मैं जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Let me write another letter before messenger comes. 
I know what's the answer that through him comes. 

आती है बात बात मुझे बार बार याद 
कहता हूँ दौड़ दौड़ के क़ासिद से राह में 
..... दाग़ देहलवी..... 

I remember something new times and again. 
I say it to the postman on his route plain. 

कोई नाम-ओ-निशाँ पूछे तो ऐ क़ासिद बता देना 
तख़ल्लुस 'दाग़' है वो आशिक़ों के दिल में रहते हैं..... दाग़ देहलवी..... 

O 'Daagh' if someone asks my address and name. 
Tell that I am Daagh, lover's heart is my domain. 

आया न फिर के एक भी कूचे से यार के 
क़ासिद गया नसीम गई नामा-बर गया 
..... जलील मानिकपुरी..... 

No one returned from the lover's lane. 
Messenger and breeze when they left were sane. 

नसीम है तिरे कूचे में और सबा भी है 
हमारी ख़ाक से देखो तो कुछ रहा भी है 
..... मोहम्मद रफ़ी सौदा.....

In your lane there's breeze and also the wind. 
Just see if anything from my remains is behind. 

अभी सुमूम ने मानी कहाँ नसीम से हार 
अभी तो मअरका-हा-ए-चमन कुछ और भी हैं..... जज़्बी..... 

Still poisonous gases haven't accepted defeat from  breeze. 
Some issues of the  garden are not going to be still at ease. 

तू कहानी ही के पर्दे में भली लगती है 
ज़िंदगी तेरी हक़ीक़त नहीं देखी जाती 
..... अख़्तर सईद ख़ान..... 

You look good in only on the screen. 
O life your  reality isn't worth  being seen. 

हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन 
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

I am aware of the truth about heaven inside out. 
To keep the heart pleased, it's  nice to think about. 

इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा कर 
इतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं 
..... मेला राम वफ़ा..... 

Once she smiled and looked towards me. 
Only this is true, rest are tales to be.

ज़ुबाँ तक जो न आए वो मोहब्बत और होती है 
फ़साना और होता है हक़ीक़त और होती है..... वामिक़ जौनपुरी..... 

What is not lipped is love of a different kind.
Story is different and truth is different kind. 

ये खुले खुले से गेसू ये उड़ी उड़ी सी रंगत 
तिरी सुब्ह कह रही है तिरी रात का फ़साना..... अहसान दानिश..... 

This scattered tress, this colour in distress. 
Your morning recites, your night' blacks and whites. 

सुन तो सही जहाँ में है तेरा फ़साना क्या 
कहती है तुझ को ख़ल्क़-ए-ख़ुदा ग़ाएबाना क्या..... हैदर अली आतिश..... 

Just listen to what the world  says about you. 
Do the people call behind the scene as you. 

ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगा 
वक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा 
...... अज़हर लखनवी..... 

This story of love will also change. 
Along with time, world too 'll change.