Wednesday 24 February 2016

Ganeshji Doha

जिनके सुमिरन से मिटें, जनम जनम के क्लेश।
हे मोदक प्रिय मुदित हों रखिये कृपा विशेष।। 

Tuesday 23 February 2016

आँगन

खेल का आँगन धरा है, वक्ष माँ का है बिछौना। 
गोद में आकर स्वयं शिशु ,लग रहा नन्हा खिलौना ।।

- रवि मौन   

Friday 19 February 2016

Title :GHAZAL..Jo lk gharhi ke...

जो इक घड़ी के लिए उसने मुझसे प्यार किया।
मेरे दिमाग पर, दिल पर भी अख़्तियार किया।।
फ़साने सुनते थे फ़रहाद के, मजनूँ के कभी।
हाँ, आज भी तो ज़माने ने हमको ख़्वार किया।।
 ख़ुशी मिली तो मिली जितनी देर साथ रहे।
बिछड़ गए जो, तो दुनिया ने ज़ार-ज़ार किया ।।
बराहे करम जो अश्कों को शोख़ ने पोंछा।
पलट के अपने ही दामन को तार तार किया।।
मिटी ग़रीब की बस्ती कहीं तो ये जानो।
मिला अमीर सियासत से 'मौन' वार किया ।।

-रवि मौन 

Monday 15 February 2016

राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।
भज ले हरि को भज ले थोड़ी सी ज़िंदगानी है।

धन के पीछे पीछे भागा। चैन गँवाया, रातों जागा।
यहीं पड़ा रह जाते देखा, बात पुरानी है।
राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

यह सुन्दर कंचन सी काया।  जिसने तुझको है भरमाया।
युँही ख़ाक में मिले, ख़ाक किसने पहचानी है।
राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

जिनके पीछे हरि को भूला।  फिरता निस दिन फूला फूला।
इसी जनम के नाते हैं सब, नई कहानी है।
राम - राम भज ऐ मन मेरे, जीवन फ़ानी है।

- रवि मौन
१४-०२-१९९० 

Wednesday 10 February 2016

मैं समझाता हूँ अश्कों को...

मैं समझाता हूँ अश्कों को तुम्हारी याद आने पर।
यूँ दिल को छोड़ कर आँखों में आ जाया नहीं करते।।

ज़माना क्या कहेगा क्यूँ हमें परवाह हो इसकी।
हमारे ज़ख्म आकर लोग सहलाया नहीं करते।।

न मय जब छोड़ पाए तो कहा ये हमसे उस बुत ने।
कि हम बुज़दिल को अपने ख़्वाब में लाया नहीं करते।।

यूँ ख़ुश्बू की तरह फैले तुम्हारे हुस्न के चर्चे।
हमें डर है सभी अम्बर सा सरमाया नहीं करते।।

-रवि मौन
०९-०१-२०१५
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प्रेरणा:
 यही काँटे तो कुछ खुद्दार हैं सहने गुलिस्ताँ में।
जो शबनम के लिए दामन को फैलाया नहीं करते।।
(-अनजान)

Tuesday 9 February 2016

प्रभु मोहे उतराई मत दीजे।

प्रभु मोहे उतराई मत दीजे।
मात मेरो तनिक मान रख लीजे।

दीनानाथ, दयानिधि, सियवर, तीन लोक के स्वामी।
मैं हूँ मूरख जनम-जनम को, तुम तो अन्तर्यामी।
सेवा सुख से मन की गागर भरी... न रीती कीजे।
प्रभु मोहे उतराई मत दीजे।
मात मेरो तनिक मान रख लीजे।

स्वारथ के हित मैंने स्वामी, गंगा पार कराई।
भवसागर के पार मुझे, करवा देना रघुराई।
देना ही है तो हे दाता, फिर से दर्शन दीजे।
प्रभु मोहे उतराई मत दीजे।
मात मेरो तनिक मान रख लीजे।


-रवि मौन 
१२-०१-१९९० एवं ०३-०९-१९९१ 

Tuesday 2 February 2016

दादी का लाड़ला...

चुनरी चढाँवा दादी, गजरो पहरावाँ दादी, म्हे दादी का लाड़ला।।
गुण थारा गाँवा दादी, झुंझुणू मैं जावाँ दादी, म्हे दादी का लाड़ला।।

मावस में मेलो लागै, दर्शन से क़िस्मत जागै, व्है दादी का लाड़ला।।
थारा भजन जो गावै, गुण सारा ऊँ मैं आवैं, व्है दादी का लाड़ला।।

दादी का दर्शन करके, तन मन धन अर्पण करकै, व्है दादी का लाड़ला।।
भादों मावस को मेलो, भक्ताँ को आवे रेलो, ये दादी का लाड़ला।।    

दादी की महिमा न्यारी, दादी है सबनै प्यारी, सै दादी का लाड़ला।।
मंगल कर आरति गाओ, दादी का दर्शन पाओ, सै दादी का लाड़ला।।



-रवि मौन
२२-५-२००२