Thursday 31 December 2015

रिन्द सब जा चुके लुढ़के हुए पैमाने हैं...

रिन्द सब जा चुके लुढ़के हुए पैमाने हैं
मेरे और साक़ी के कुछ अनलिखे अफ़साने हैं

आस जब टूट चुकी हो हर इक, डर लगता है
बंद कमरे में ना सावन का महीना आ जाए

एक जज़्बा है जिसे इश्क़ कहा करते हैं
कौन कह सकता है हममें भी वही न आ जाए

- रवि मौन
#Ravimaun

Saturday 19 December 2015

URDU COUPLET ABOUT THORNS.. UNKNOWN POET

कभी पाओं में पड़ते हैं, कभी दामन पकड़ते हैं। 
कोई मेहमाँ - नवाज़ी सीख ले ख़ार-ए-बयाबाँ से।

They are crushed by feet, yet they cling to your dresses. 
Thorns teach honouring guests, their courtship impresses.

-अनुवादक रवि मौन 
Translated by Ravi Maun 
#Ravimaun

(original poet unknown - please write in comments if you know the poet)

Monday 14 December 2015

चश्मे तर बैठे हैं हम तुम रूबरू।
हाय वो आँसू जो यूँ ही बह गए।।

- रवि मौन

সামনে বসে আমরা চোখ ভরে আচি।
দুঃখ হয়ে অশ্রু যে এমনি ই ঝরলেন।।
- রবি মৌন

(अनुवादक - रवि मौन)
Translated by Ravi Maun 
# Ravimaun
दास्ताने इश्क़ वो भी कह गए।
शर्म से आँखें झुकी चुप रह गए।।
- रवि मौन

প্রেমের কথা গুলো উনি ও তো বললেন।
পায়ে দিকে তাকালেন আর চুপ রইলেন।।

- রবি মৌন

(अनुवादक - रवि मौन)
Translated by Ravi Maun 
# Ravimaun
  

Saturday 12 December 2015

रिन्द और साक़ी... नज़्म .. रवि मौन

किसको गुमराह किया है कभी मैंने कह दो
जो भी आता है यहाँ अपने लिए आता है।
 
कोई आता है यहाँ गम को भुलाने के लिए
और कोई खुशियाँ मनाने के लिए आता है।
 
मुफ़्त बदनाम है मैख़ाना, पयाला ,साक़ी
कोई अहसास है जो इनको यहाँ लाता है।

मै डुबो देती है ग़म को भी ख़ुशी को भी मगर
सिर्फ़ अहसास ही फिर तैर के आ जाता है।

रिन्द और साक़ी का रिश्ता भी अजब रिश्ता है। 
कोई चाहत, न सहारा, न कोई  नाता है।।

- रवि मौन
Ravi Maun

चकबस्त के अश'आर.. गर्दो ग़ुबार याँ का ख़िल'अत है अपने.... 16



गर्दो ग़ुबार याँ का ख़िल'अत है अपने 
तन को। 
मर कर भी चाहते हैं ख़ाके वतन 
कफ़न को। 
The dust of this place, is a prized dress in hand. 
On my coffin too, I want the soil of motherland.

उलझ पड़ूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं। 
वोह फूल हूँ जो किसी के गले का हार नहीं।। 

Getting stuck to any hem, I am not such a thorn.
I am such a  flower, that would no garland adorn. 

जिस गोशए दुनिया में परस्तिश हो वफ़ा की ।
काबा है वही और वही बुतख़ाना है मेरा ।

Any corner of world where loyalty is paid heed. 
That site is my Kaaba and my temple indeed. 

ज़िन्दगी क्या है? अनासिर का ज़हूरे तरतीब। 
मौत क्या है? इन्हीं अजज़ा का परेशाँ होना।। 

It's life, when elements organise. 
It's death, when these disorganise.

इस को नाक़दरिये आलम का सिला कहते हैं। 
मर गये हम तो जमाने ने बहुत याद किया।। 

Well, this is the ultimate way of universal disregard. 
After death, I was showered with memories 'n regard. 

बादे फ़ना फ़िज़ूल है, नामो निशाँ की फ़िक्र। 
जब हम नहीं रहे, तो रहेगा मज़ार क्या? 

After death, why care for name or fame.
When I left, how long will stay the tomb' s name.

ये माना दूर की निस्बत है फिर भी इक त'आल्लुक है। 
हरम वालों की याद आई तो बुतख़ाना चले आए।

Some relation exists though a distance stands. 
I pray in a temple for my muslim friends. 

अगर दर्द-ए-मोहब्बत से न इंसाँ आश्ना होता। 
न कुछ मरने का ग़म होता न जीने का मज़ा होता। 


To the agonies of love if human heart didn't train. 

There'd be no pleasure in life and in death no pain. 

 वतन की ख़ाक से मर कर भी हम को उन्स बाक़ी है। 
मज़ा दामान - ए-मादर का है इस मिट्टी के दामन में। 

Even after death, there remains love for dust of land. 

There's pleasure of mother's lap in the hem of this sand. 

गुनहगारों में शामिल हैं गुनाहों से नहीं वाक़िफ़। 
सज़ा को जानते हैं हम ख़ुदा जाने ख़ता क्या है। 

I'm one among the criminals, unaware of my crime. 

I know the punishment, sin known to God sublime. 

इक सिलसिला हवस का है इंसाँ की ज़िन्दगी। 
इस एक मुश्त-ए-ख़ाक को ग़म दो जहाँ के हैं। 

Human life is a perpetual chain of lusty desires at hand. 

There are sorrows of two world's for this fistful of sand. 

एक साग़र भी इनायत न हुआ याद रहे। 
साक़िया जाते हैं महफ़िल तिरी आबाद रहे

Remember! Not a wine cup was offered to survive. 

O bar girl I leave, let this party keep alive. 

मज़ा है अहद-ए-जवानी में सर पटकने का। 
लहू में फिर ये जवानी रहे, रहे न रहे। 

Bang your head while young in pleasure 'n pain. 

This flow of blood may or may not remain. 

ये कैसी बज़्म है और कैसे उस के साक़ी हैं। 
शराब हाथ में है और पिला नहीं सकते। 

What a party, the bar girls' n what nerve! 

There is wine in hand and can't serve. 

किया है फ़ाश पर्दा कुफ़्र-ओ-दीं का इस क़दर मैं ने। 
कि दुश्मन है बरहमन और अदू शैख़-ए-हरम मेरा। 

I've so unveiled believers 'n non- believers of Islam. 

Chief of Kaaba is my rival and enemy who chants psalm. 

तेरी इक मुश्त ख़ाक के बदले। 
लूँ न सारा अगर बहिश्त मिले। 

In exchange of a fistful of your sand
I won't take heaven, given first hand. 




Friday 11 December 2015

Wedding Anniversary wishes

सुन्दर तेरे अंग सब, लम्बे काले बाल।
मनमोहक तेरी हँसी, मतवाली है चाल।
कल की सी ही बात है, मिले जब प्रथम रैन।
लोगों को ये भरम है, बीत गए कुछ साल।।

-रवि मौन (Ravi Maun)

Wednesday 9 December 2015

अभी यक़ीं है मुझे.... अज्ञात कवि

 अभी यक़ीं है मुझे अपनी पारसाई का।
अभी शराब रहे और दौरे जाम रहे।
Still I hold the belief tbe pious.
Let there be cups 'n wine in motion.
वो आदमी तो , फरिश्तों में हो गया शामिल। 
गुनाह जितने भी थे, सिर्फ मेरे नाम रहे ।
That man has joined the file of angels. 
All sins are mine, so runs the notion. 

Tuesday 8 December 2015

An ode to Goddess Kali

দুষ্ট আছি, জানি আমি, তুমি ই আমার ত্রাতা।
আমার মুণ্ড কেউ মাগ মালায় গাঁথ মাতা ।।
মাযের বুকের স্পর্শ পাবো আর কি আমি চাই।
জীবনে পাই নি আমি, মরেই জেনু পাই।।

-রবি মৌন

I know I am bad, you raise my soul
Bead my head in your garland o mother.
My head swings and zooms on thy bosom
What death'll provide, with joy I shudder.

- Ravi Maun
(Dated 14-Aug-2008)

Monday 7 December 2015

FAIZ.. GHAZAL.. DONON JAHAAN TERI MUHABBAT...

 दोनों जहान, तेरी मुहब्बत में हार के। 
वो जा रहा है कोई, शबे ग़म गुज़ार के। 
Losing both worlds in your love, he has gone. 
Having passed a life full of sorrows alone. 
इक फ़ुर्सते गुनाह मिली, वो भी चार दिन। 
देखे हैं हमने हौसले, परवर दिगार के।
A mere four days were granted for sin. 
This was the courage, Almighty has shown!
वीराँ है मैकदा, ख़ुमो साग़र उदास हैं।
तुम क्या गए, कि रूठ गए दिन बहार के। 
The bar is deserted, jug 'n cups are sad. 
You left and with you the spring had gone. 
दुनिया ने तेरी याद से, बेगाना कर दिया। 
तुझ से भी दिलफरेब हैं, ग़म रोज़गार के। 
This world has taken your memory's toll. 
It's sorrows entice more, than your own. 
भूले से मुस्करा तो दिए थे वो आज 'फ़ैज़'। 
मत पूछ वलवले दिले नाकर्दा कार के। 
Today she happened to smile O 'Faiz'. 
Unused to turmoil, what heart has undergone! 


यकीं

अभी यकीं है मुझे अपनी पारसाई का।
अभी शराब रहे और दौरे-जाम रहे।।

I hold the belief to be pious still
Let there be cups of wine in motion
वो आदमी तो फरिश्तों में हो गया शामिल 
गुनाह जितने भी थे सिर्फ़ मेरे नाम रहे। 
That man has joined the file of angels. 
All sins are mine so runs the notion. 
सुबह होती है शाम होती है। 
उम्र यूँ ही तमाम होती है।    मीर
 Morning came and the evening went. That is how this life is spent.   
सावन के बादलों की तरह से भरे हुए। 
ये वो नयन हैं जिनसे कि जंगल हरे हुए।   सौदा
Filled like dark rain clouds are seen 
These eyes poured to turn jungles green. 

बदनाम होगे, जाने भी दो इम्तिहान को
रक्खेगा कौन तुमसे अज़ीज़ अपनी जान को।     मीर
You will get a bad name, just bypass the game 
Well dearer than you, who will his life claim. 
  जब नाम तिरा लीजिए तब चश्म भर आवे। 
इस ज़िन्दगी करने को कहाँ से जिगर आवे।   मीर
When ever your name is taken,with tears my eyes get filled. 
For this life to pass, where from to have courage instilled. 
थे चाक गरीबान गुलिस्ताँ में गुलों के। 
निकला है मगर खोले हुए बंद ए क़बा तू। 
In garden is tattered each flower 's dress. 
While you come out with open bands of dress. 
रौशन है इस तरह दिले वीराँ में दाग़ एक। 
उजड़े नगर में जैसे जले है चिराग़ एक।     मीर
In my deserted heart a spot glows in a way. 
In a deserted city one lamp emits ray. 

Saturday 5 December 2015

FAIZ.. GHAZAL.. WAFA E VAADA NAHEEN...

वफ़ा ए वादा नहीं, वादा ए दिगर भी नहीं।
वो मुझ से रूठे तो थे,लेकिन इस क़दर भी नहीं। 
No fulfilment of promise, promises of 'morrow elude. 
She was angry with me but then this attitude. 
बरस रही है हरीमे हवस में दौलतेहुस्न। 
गदाए इश्क़ के कासे में एक नज़र भी नहीं। 
There is a shower of beauties in the house of lust. 
From the lover' s pot even looks exclude. 
न जाने किस लिए उम्मीदवार बैठा हूँ। 
इक ऐसी राह पर, जो तेरी राहगुज़र भी नहीं। 
I don't know why I keep waiting still. 
A lane that doesn't your stroll include. 
निगाहे शौक़ ! सरे बज़्म बेहिजाब न हो। 
वो बेख़बर ही सही, इतने बेख़बर भी नहीं। 
She may look unaware but is not so much. 
O look, in this gathering, don't be nude. 
ये अहदे तर्के मुहब्बत है किसलिए आख़िर। 
सुकूने क़ल्ब इधर भी नहीं , उधर भी नहीं। 
What for is this promise of parting in love? 
No peace of mind on either side, is the mood. 




Tuesday 23 June 2015

ਪ੍ਰੇਮ ਨਾਲ ਮਤ੍ਥੇ ਲਗੀਂ ਦਾਤਾ ਦੇ ਦਰਬਾਰ
ਜਦ ਹੋਵੇ ਰੱਬ ਦੀ ਮੇਹੇਰ,ਲੌ ਲੱਗੇ ਓਂਕਾਰ
- ਰਵਿ ਮੌਨ

Prem naal  matthe lageen daataa de darbaar.

Jad hovey Rabb dee meher, lou laggey Onkaar.


- Ravi Maun
#Ravimaun

Monday 13 April 2015

फ़िराक़ के अश'आर..16. थी यूँ तो शाम-ए-हिज्र

थी यूँ तो शाम-ए-हिज्र मगर पिछली रात को
वो दर्द उठा फ़िराक़ कि मैं मुस्कुरा दिया।

- फ़िराक़ गोरखपुरी

On the eve of departure in late night hours
So severe was the pain that it made 'Firaaq' smile.

मुतरिब से कहो, आज इस अंदाज़ से गाए।
 हर दिल पे लगे चोट सी, हर आँख भर आए।।
Tell the singer to sing in such a fine style. 
That hurts every heart 'n in eyes tears pile.


बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं। 
तुझे ऐ ज़िन्दगी! हम दूर से पहचान लेते हैं।।
Quite early do I recognise your footfall. 
O life! I know you from a far, after all. 


आधी से ज़्यादा शबे ग़म काट चुका हूँ।
अब भी अगर आ जाओ तो ये रात बड़ी है।। 
I have passed more than half of this painful night. 
If you come even now, enough is left in the night.


अब यादे रफ़्तगाँ की भी हिम्मत नहीं रही। यारों ने इतनी दूर बसाई हैं बस्तियाँ।।
 Old memories have lost the desire to persist. 
So far have chums made homes to exist. 

रंग-ए-जहाँ बदल गया, शान-ए-अदम बदल गई। 
दुखते दिलों से पिछली रात आई है वो सदा कि बस। 

There was a change in colours of this world 'n those of divine. 
Last night from  troubled souls emenated such sounds in line. 

ये माना ज़िन्दगी है चार दिन की 
बहुत होते हैं यारो चार दिन भी। 

I agree life is a four days slot. 
Chums ! Four days are quite a lot. 

दिल थामता कि चश्म पे रखता तिरी निगाह ? 
साग़र को देखता कि मैं शीशा संभालता? 

Could I hold my heart or your eyes behold ? 
Could I look at the goblet or glass on hold ? 

तारीकियाँ चमक गयीं आवाज़-ए-दर्द से
मेरी ग़ज़ल से रात की ज़ुल्फ़ें सँवर गईं। 

The darkness by pain sounds got bright. 
My ghazal groomed the tresses of night.

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई हमें

और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं

Since long, you are not on my memory tract. 

But that I have forgotten you, is not a fact.  

 कोई समझे तो एक बात कहूँ

इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं

  • टैग्ज़ : इश्क़ 
    मौत का भी इलाज हो शायद

ज़िंदगी का कोई इलाज नहीं

  • टैग्ज़ May be, for death, there is a cure. 
  • There's none for life, I am sure. 
  • तारा टूटते सबने देखा
  • ये ना देखा एक नए भी। 
    किसकी आँख से आँसू टपका किसका सहारा छूट गया। 

    All have seen a shooting star, none observed the things at par. 
    From whose eye has dropped a tear, who has lost support O dear ? 
  •  
  •  

तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो

तुम को देखें कि तुम से बात करें

इस शे’र में एक तरह की दिलचस्प उलझन भी है और इस उलझन में लज़्ज़त भी है। लुत्फ़ की बात ये है कि शायर का महबूब उससे बात भी करता है और उसके पास बैठा भी है। यानी मिलन की स्थिति है। मगर उलझन इस बात की है कि शायर अपने महबूब से बात करे कि वो उसको देखता रहे। यानी वह एक ही समय में तीनों बातों का आनंद उठाना चाहता है। वो अपने महबूब के निकटता भी चाहता है। उसकी बातें सुनके आनंद भी उठाना चाहता है और जब ये कहा कि तुमसे बात करें तो यह स्पष्ट हुआ कि वो अपने महबूब से अपने दिल की बात भी कहना चाहता है। मगर उसे असली खुशी तो महबूब को देखने से ही मिलती है।

You are addressing me from so near. 

Should I talk with , or look at you, dear ? 

ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की

What in love, could I achieve ? 

You could at least deceive ! 

  • कोई वा'दा कोई यक़ीं कोई उमीद

मगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था

Neither there was promise,  assurance, nor any hope. 

But waiting for you was all within  my scope. 

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मैं हूँ दिल है तन्हाई है

तुम भी होते अच्छा होता

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ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन दोस्त

वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में

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शाम भी थी धुआँ धुआँ हुस्न भी था उदास उदास

दिल को कई कहानियाँ याद सी के रह गईं

Smoky was the eve' , sad was the eve. 

Some stories, memory could perceive. 

तारा टूटते सबने देखा, ये न देखा एक नए भी। 

किस की आँख से आँसू टपका, किस का सहारा छूट गया ? 

All have seen a shooting star, none observed the things at par. 

From whose eye has dropped a tear, who has lost support O dear ? 

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तेरे आने की क्या उमीद मगर

कैसे कह दूँ कि इंतिज़ार नहीं

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आए थे हँसते खेलते मय-ख़ाने में 'फ़िराक़'

जब पी चुके शराब तो संजीदा हो गए

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कम से कम मौत से ऐसी मुझे उम्मीद नहीं

ज़िंदगी तू ने तो धोके पे दिया है धोका

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अब तो उन की याद भी आती नहीं

कितनी तन्हा हो गईं तन्हाइयाँ

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बहुत दिनों में मोहब्बत को ये हुआ मा'लूम

जो तेरे हिज्र में गुज़री वो रात रात हुई

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जो उन मासूम आँखों ने दिए थे

वो धोके आज तक मैं खा रहा हूँ

  • टैग्ज़ : आँख 
    और 2 अन्य
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ज़िंदगी क्या है आज इसे दोस्त

सोच लें और उदास हो जाएँ

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कुछ पूछो 'फ़िराक़' अहद-ए-शबाब

रात है नींद है कहानी है

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    ज़रा विसाल के बाद आइना तो देख दोस्त

    तिरे जमाल की दोशीज़गी निखर आई

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    रात भी नींद भी कहानी भी

    हाए क्या चीज़ है जवानी भी

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    किसी का यूँ तो हुआ कौन उम्र भर फिर भी

    ये हुस्न इश्क़ तो धोका है सब मगर फिर भी

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    इक उम्र कट गई है तिरे इंतिज़ार में

    ऐसे भी हैं कि कट सकी जिन से एक रात

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    मैं मुद्दतों जिया हूँ किसी दोस्त के बग़ैर

    अब तुम भी साथ छोड़ने को कह रहे हो ख़ैर

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      लहू वतन के शहीदों का रंग लाया है

      उछल रहा है ज़माने में नाम-ए-आज़ादी

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      देख रफ़्तार-ए-इंक़लाब 'फ़िराक़'

      कितनी आहिस्ता और कितनी तेज़

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      साँस लेती है वो ज़मीन 'फ़िराक़'

      जिस पे वो नाज़ से गुज़रते हैं

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      खो दिया तुम को तो हम पूछते फिरते हैं यही

      जिस की तक़दीर बिगड़ जाए वो करता क्या है

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      सुनते हैं इश्क़ नाम के गुज़रे हैं इक बुज़ुर्ग

      हम लोग भी फ़क़ीर इसी सिलसिले के हैं

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        तुझ को पा कर भी कम हो सकी बे-ताबी-ए-दिल

        इतना आसान तिरे इश्क़ का ग़म था ही नहीं

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        कोई आया आएगा लेकिन

        क्या करें गर इंतिज़ार करें

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        तबीअत अपनी घबराती है जब सुनसान रातों में

        हम ऐसे में तिरी यादों की चादर तान लेते हैं

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        आने वाली नस्लें तुम पर फ़ख़्र करेंगी हम-असरो

        जब भी उन को ध्यान आएगा तुम ने 'फ़िराक़' को देखा है

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        मैं देर तक तुझे ख़ुद ही रोकता लेकिन

        तू जिस अदा से उठा है उसी का रोना है

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          रोने को तो ज़िंदगी पड़ी है

          कुछ तेरे सितम पे मुस्कुरा लें

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            जिस में हो याद भी तिरी शामिल

            हाए उस बे-ख़ुदी को क्या कहिए

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            तिरे पहलू में क्यूँ होता है महसूस

            कि तुझ से दूर होता जा रहा हूँ

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              सर-ज़मीन-ए-हिंद पर अक़्वाम-ए-आलम के 'फ़िराक़'

              क़ाफ़िले बसते गए हिन्दोस्ताँ बनता गया

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              आज बहुत उदास हूँ

              यूँ कोई ख़ास ग़म नहीं

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                पर्दा-ए-लुत्फ़ में ये ज़ुल्म-ओ-सितम क्या कहिए

                हाए ज़ालिम तिरा अंदाज़-ए-करम क्या कहिए

                • टैग्ज़ : अदा 
                  और 1 अन्य
                •  
                •  
                •  

                देवताओं का ख़ुदा से होगा काम

                आदमी को आदमी दरकार है

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                कह दिया तू ने जो मा'सूम तो हम हैं मा'सूम

                कह दिया तू ने गुनहगार गुनहगार हैं हम

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                  कौन ये ले रहा है अंगड़ाई

                  आसमानों को नींद आती है

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                  कहाँ इतनी ख़बर उम्र-ए-मोहब्बत किस तरह गुज़री

                  तिरा ही दर्द था मुझ को जहाँ तक याद आता है

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                    शक्ल इंसान की हो चाल भी इंसान की हो

                    यूँ भी आती है क़यामत मुझे मा'लूम था

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                      असर भी ले रहा हूँ तेरी चुप का

                      तुझे क़ाइल भी करता जा रहा हूँ

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                      आँखों में जो बात हो गई है

                      इक शरह-ए-हयात हो गई है

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                      शामें किसी को माँगती हैं आज भी 'फ़िराक़'

                      गो ज़िंदगी में यूँ मुझे कोई कमी नहीं

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                      तुम इसे शिकवा समझ कर किस लिए शरमा गए

                      मुद्दतों के बा'द देखा था तो आँसू गए

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