Thursday 18 March 2021

BASHIR BADR.. GHAZAL.. GULABON KII TARAH DIL APNAA SHABNAM MEN BHIGOTE HAIN....

गुलाबों की तरह दिल अपना शबनम में भिगोते हैं।
मोहब्बत करने वाले ख़ूबसूरत लोग होते हैं।
Like roses, with dew drops,  hearts they soak.
Those who love are really so beautiful folk. 

किसी ने जिस तरह अपने सितारों को सजाया है। 
ग़ज़ल के रेशमी धागों में यूँ मोती पिरोते हैं। 

The way someone's  decorated these stars. 
With silk, poet weaves pearls in ghazal cloak. 

पुराने मौसमों के नाम- ओ-नामी मिटते जाते हैं।
कहीं पानी कहीं शबनम कहीं आँसू से धोते हैं।

The remains of old weathers slowly fade.
At places with water, dew and tears I stroke. 

यही अंदाज़ है मेरा समंदर फ़तह करने का। 
मिरी काग़ज़ की कश्ती में कई जुगनू भी होते हैं।

That's how I conquer the ocean at large. 
On my paper boat, glow-worms too stoke.

सुना है 'बद्र' साहब महफ़िलों की जान होते थे। 
बहुत दिन से वो पत्थर हैं न हँसते हैं न रोते हैं।

It's said 'Badr' saheb was life of poetic meets.
Neither laughs nor cries, is just a stone bloke. 

No comments:

Post a Comment