Saturday 15 October 2016

संस्कृत के श्लोक हिन्दी के दोहे

नमः पंकज नाभाय नमः पंकज  मालिने।
नमः पंकज नेत्राय नमस्ते पंकजांघ्रये। ।

पंकज नाल नाभि से निकले, पंकज की है माला।
पंकज श्री चरणों पर चित्रित, पंकज नयन विशाला।।

कराग्रे वसते लक्ष्मी कर मध्ये सरस्वती।
कर मूले तु गोविंदः प्रभाते कर दर्शनम्।।

अग्र हस्त में बसें लक्ष्मी, मध्य सरस्वति मात
मूल भाग में गोविंदा के, दर्शन करें प्रभात।।

समुद्र वसने देवी पर्वत स्तन मंडले।
विष्णु पत्नी नमस्तुभ्याम् पाद स्पर्श क्षमस्य मेव।।

वस्त्र समुद्र विष्णु पत्नी के, स्तन सब पर्वत माल
छुऊँ पाँव से, क्षमा करें माँ, नमन करूँ मैं भाल।।

वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः।

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। 


टेढ़ी सूँड महा काया है, कोटि सूर्य सम करें प्रकाश ।

कारज सब सम्पन्न करें मम, औ ' विघ्नों का करें विनाश ।।

अनुवादक-  रवि मौन

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