चेहरा हर एक खिला हुआ है और सुरभित श्वास है।
है लाड़ली बिटिया अकेली दादी माँ की जान सी।
यह कुल का गौरव है हमारी जाति के अभियान सी।
हम क्यों न गर्वित हों हमारे कुल का आभूषण बने।
संस्कृति हमारे देश का मन, विश्व का स्पन्दन बने।
रक्षा करें इस बालिका की ईश चारों ओर से।
गणपति इसे वह ज्ञान दें उन्नति करे हर छोर से।
रवि मौन
No comments:
Post a Comment