Friday 2 February 2024

QATEEL SHAFAAI.. GHAZAL.. YAARO KAHAAN TAK AUR MOHABBAT NIBHAOON MEIN

यारो कहाँ तक और मोहब्बत निभाऊँ मैं
दो मुझ को बद-दुआ' कि उसे भूल जाऊँ मैं
 
दिल तो जला किया है वो शो'ला सा आदमी
अब किस को छू के हाथ भी अपना जलाऊँ मैं
 
सुनता हूँ अब किसी से वफ़ा कर रहा है वो
ऐ ज़िंदगी ख़ुशी से कहीं मर न जाऊँ मैं
 
इक शब भी वस्ल की न मिरा साथ दे सकी
अहद-ए-फ़िराक़ आ कि तुझे आज़माऊँ मैं
 
बदनाम मेरे क़त्ल से तन्हा तू ही न हो
ला अपनी मोहर भी सर-ए-महज़र लगाऊँ मैं
 
उतरा है बाम से कोई इल्हाम की तरह
जी चाहता है सारी ज़मीं को सजाऊँ मैं
 
उस जैसा नाम रख के अगर आए मौत भी
हँस कर उसे 'क़तील' गले से लगाऊँ मैं

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