Sunday 16 July 2023

NAASIR KAAZMI.. GHAZAL.. THODI DER KO JI BAHLAA THA....

थोड़ी देर को जी बहला था 
फिर तिरी याद ने घेर लिया था 

याद आई वो पहली बारिश 
जब तुझे एक नज़र देखा था 

हरे गिलास में चाँद के टुकड़े 
लाल सुराही में सोना था 

चाँद के दिल में जलता सूरज 
फूल के सीने में काँटा था 

काग़ज़ के दिल में चिंगारी 
ख़स की ज़बाँ पर अँगारा था 

दिल की सूरत का इक पत्ता 
तेरी हथेली पर रक्खा था 
शाम तो जैसे ख़्वाब में गुज़री 
आधी रात नशा टूटा था 

शहर से दूर हरे जंगल में 
बारिश ने हमें घेर लिया था 

सुब्ह हुई तो सब से पहले 
मैं ने तेरा मुँह देखा था 

देर के बा'द मिरे आँगन में 
सुर्ख़ अनार का फूल खिला था 
देर के मुरझाए पेड़ों को 
ख़ुशबू ने आबाद किया था 

शाम की गहरी ऊँचाई से 
हम ने दरिया को देखा था 

याद आईं कुछ ऐसी बातें 
मैं जिन्हें कब का भूल चुका था 

    

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