Sunday 9 August 2020

BASHIR BADR.. GHAZAL.. SHE'R MERE KAHAAN THE.....

शे'र मेरे कहाँ थे किसी के लिए।
मैंने सब कुछ लिखा है तुम्हारे लिए। 
My couplets were for none, was known. 
All I wrote, was for you alone.
अपने सुख दुख बहुत ख़ूबसूरत रहे।
हम जिए भी तो इक दूसरे के लिए। Beautiful were our pleasure and pain.
We lived for one another alone. 
हमसफ़र ने मेरा साथ छोड़ा नहीं। 
अपने आँसू दिए रास्ते के लिए। 
Gave me tears for company on way. 
Cotraveller did not leave me alone. 
ज़िन्दगी और मैं दो अलग तो नहीं। 
मैंने सब फूल काँटे इसी से लिए। 
Life and I are not apart. 
Had flowers and thorns trom it alone. 
ज़हन में तितलियाँ उड़ रही हैं बहुत। 
कोई धागा नहीं बाँधने के लिए। 
Many butterflies flutter in the mind. 
. No thread is handy to tie with stone. 
एक तस्वीर ग़ज़लों में ऐसी बनी। 
अगले पिछले ज़मानों के चेहरे लिए। 
A sketch has formed in my ghazals. 
Where part of past and present are shown..... 

। 

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