Friday 17 June 2022

दोहे.. काव्य रूप.. रवि मौन

मौन से जो कह सकोगे, शब्द से होगा नहीं।
हृदय से जो दे सकोगे, हाथ से होता नहीं।

जिस से गहरा लगाव होता है।
उस से ही गहरा घाव होता है।

रिश्ते संभालने की तो कोशिश करी मगर।
ताली भी एक हाथ से बजती नहीं कभी।

शुक्रिया उन सब का जिन ने साथ छोड़ा था मेरा। 
हर मुसीबत से निपट लूँगा , भरोसा था उन्हें।

बहुत परेशाँ था मैं सब की कर कर के परवाह ।
चैन मिला उस दिन से जब मैं हो गया  लापरवाह।

रिश्ता रखना है तो अच्छाई बयान कर दे। 
तोड़ने की चाह है, सच्चाई बयान कर दे।

ज़िन्दगी ने ज़ख़्म इतने दे दिए मुझको यहाँ। 
जो छिड़क दें नमक उनको ढूंढने जाऊँ कहाँ ? 

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