Sunday 12 June 2022

SAHIR HOSHIARPURI.. GHAZAL.. BAS FARQ IS QADAR HAI GUNAAH-O-SAWAAB MEN

बस फ़र्क़ इस क़दर है गुनाह ओ सवाब में 
पीरी में वो रवा है ये जाएज़ शबाब में 

This is the difference between reward and sin.
A bit in old age, permitted to the young grin. 

तासीर-ए-जज़्ब-ए-शौक़ का ये सेहर देखिए 
ख़ुद आ गए हैं वो मिरे ख़त के जवाब में 

This is the efficacy of my fascination. 
Replying my letter, she has appeared in skin. 

आख़िर तड़प तड़प के ये ख़ामोश हो गया। 
दिल को सुकून मिल ही गया इज़्तिराब में।

It kept writhing to become silent at last. 
The heart gained peace from anxiety within. 

आँखें मिला के या तो इनायत हो एक जाम। 
या ज़हर ही मिला दो हमारी शराब में। 

Either make eye contact 'n offer winecup. 
Otherwise, let my drink be poisoned within. 

रुख़ आफ़ताब, होंट कँवल, चाल हश्र-ख़ेज़ ।
किस शय की अब कमी है तुम्हारे शबाब में ? 

Sunny face, lotus lips and doomsday moves. 
Now what's missing in your youth din ? 

दुनिया में ढूँढते रहे हम राहतें अबस। 
दुनिया की राहतें तो हैं तेरे इताब में। 

Futile was my search for comforts in world. 
Worldly ease is there in your temper within. 

'साहिर' अजीब शै है मोहब्बत का दर्द भी। 
दिल मुब्तला है एक मुसलसल अज़ाब में।

O 'Sahir' ! The sorrow of love is so strange. 
Heart is afflicted with constant agony within. 

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