Wednesday 31 May 2023

ZAIB GHOURII.. GHAZAL.. VO AUR MOHABBAT SE MUJHE DEKH RAHAA HO...

वो और मोहब्बत से मुझे देख रहा हो 
क्या दिल का भरोसा मुझे धोका ही हुआ हो 

She and looking so lovingly at me ! 
Why believe heart, it could not see. 

होगा कोई इस दिल सा भी दीवाना कि जिस ने 
ख़ुद आग लगाई हो बुझाने भी चला हो 

Is there a lunatic as is my heart? 
Who lighted the fire 'n doused to see. 

इक नींद का झोंका शब-ए-ग़म आ तो गया था 
अब वो तिरे दामन की हवा हो कि सबा हो 

A spell of sleep was in night of gloom. 
Was it breeze or wave of your hem, see

दिल है कि तिरी याद से ख़ाली नहीं रहता 
शायद ही कभी मैं ने तुझे याद किया हो 

My heart isn't free of your memory . 
Do I ever remember you, I can't see

'ज़ेब' आज है बे-कैफ़ सा क्यूँ चाँद न जाने 
जैसे कोई टूटा हुआ पैमाना पड़ा हो

Why is moon languid today O 'Zaib' 
Or a broken wine-cup's there to see. 


No comments:

Post a Comment