Tuesday 24 May 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL. AAYAA HI NAHIN HAM KO AAHISTA GUZAR JAANA....

आया ही नहीं हम को आहिस्ता गुज़र जाना। 
शीशे का मुक़द्दर है टकरा के बिखर जाना। 

I could never learn how to slowly pass ? 
To collide and scatter is the fate of glass. 

तारों की तरह शब के सीने में उतर जाना। आहट न हो क़दमों की इस तरह गुज़र जाना। 

To slide like stars in the chest of night. 
Without sound of footfall, so gently pass. 

नश्शे में सँभलने का फ़न यूँ ही नहीं आता। 
इन ज़ु़ल्फ़ों से सीखा है लहरा के सँवर जाना। 

I have learnt from tress to get set after swing. 
To keep balance when drunk is no mean class. 

भर आएँगे आँखों में आँचल से बँधे
 बादल। 
याद आएगा जब गुल पर शबनम का बिखर जाना। 

Remembering scattering of dew on flowers. 
Clouds of hem knot will, in the eyes pass. 

 हर मोड़ पे दो आँखें हम से यही कहती हैं। 
जिस तरह भी मुमकिन हो तुम लौट के घर आना। 

Whichever way possible, come back home.
Two eyes convey it to me at each cross. 

पत्थर को मिरा साया आईना सा चमका दे। 
जाना तो मिरा शीशा यूँ दर्द से भर जाना। 

Let my shadow shine a stone like glass. 
If you leave, then with grief, fill my glass. 

ये चाँद सितारे तुम औरों के लिए रख लो।
हम को यही जीना है हम को यहीं मर जाना। 

Spare for others, the moon and stars. 
I have to survive here and then pass. 

जब टूट गया रिश्ता सर-सब्ज़ पहाड़ों से। 
फिर तेज़ हवा जाने किस को है किधर जाना। 

When kinship with green hills is no more. 
Let gale decide, which way who 'll pass. 

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