Friday 20 May 2022

REKHTA TODAY'S 5 COUPLETS

पहली बार नज़रों ने चाँद बोलते देखा ।
हम जवाब क्या देते खो गए सवालों में।
..... बशीर बद्र.....

My eyes had seen moon speaking for the first time. 
What could I reply, was lost in questions sublime.

हुस्न को भी कहाँ नसीब 'जिगर' ।
वो जो इक शय मिरी निगाह में है। 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

O ' Jigar' ! Even beauty doesn't have in  fate. 
That thing which  my vision can lustrate. 

दुश्मनों की दुश्मनी मेरे लिए आसान थी। खर्च आया दोस्तों की मेज़बानी में बहुत। 
..... मोहम्मद यूसुफ़ पापा..... 

Enmity of enemies was easy for me O Lord ! 
Hospitality of friends was so costly to afford. 

डूबने वाला था दिन शाम थी होने वाली। 
यूँ लगा मेरी कोई चीज़ थी खोने वाली। 
..... जावेद शाहीन..... 

The day was about to go and about to appear was eve'. 
It so appeared as if something of mine is going to leave. 

ऐ मौज-ए-हवादिस तुझे मालूम नहीं क्या? 
हम अहल-ए-मोहब्बत हैं, फ़ना हो नहीं सकते।..... असद भोपाली..... 

O wave of calamity, are not you aware ? 
We are people of love, death can't dare. 








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