Friday 15 July 2022

रवि मौन... चतुष्पदी

हँसते हँसते दिन को काटो, सोते सोते रात।, 
जाने कब रोना पड़ जाए, हो जाए क्या बात?
जब जीवन पथ के पड़ाव पर, साथी से हो भेंट। 
जाने कितना प्रबल उठेगा, मन में  झंझावात? 

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