Sunday 24 July 2022

रवि मौन.. प्रभु जी! मैं तो चाकर थारो...

प्रभु जी! मैं तो चाकर थारो।
भलो बुरो जैसो भी हूँ, थे अपणूँ समझ बिचारो।
बिषय बासना मिटी ना अभी, बीत्यो जीबन सारो।
खारा जल की नदी न कोई, पण यो सागर खारो।
थारी सरण आण बैठ्यो मैं, चौतरफाँ को मारो।
करम पोटली चरणाँ धर दी, अब ऐं मैं के म्हारो।
प्रभु जी! मैं तो चाकर थारो।।

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