Monday 25 July 2022

SAAGHAR SIDDIQII.. GHAZAL..

साक़ी की इक निगाह के अफ़्साने बन गए 
कुछ फूल टूट कर मिरे पैमाने बन गए 

Many tales were made from barmaid's look. 
Some flowers shape of wine glass took. 

काटी जहाँ तसव्वुर-ए-जानाँ में एक शब 
कहते हैं लोग उस जगह बुत-ख़ाने बन गए 

Where I thought deep about
 my love. 
It's said those sites took temple look. 

जिन पर न साए ज़ुल्फ़-ए-ग़ज़ालाँ के पड़ सके 
एहसास की निगाह में वीराने बन गए 

Sites not shaded by darling's tress. 
These became deserts in feeling 's book. 

जो पी सके न सुर्ख़ लबों की तजल्लियाँ 
दुनिया के तजरबात से अनजाने बन गए 

One who didn't sip her red lips glow. 
Didn't get experience of world book

'साग़र' वही मक़ाम है इक मंज़िल-ए-फ़राज़ 
अपने भी जिस मक़ाम पे बेगाने बन गए

Saghar!  That's the high level 
of goal. 
Where our own also acquired  other 's look


रूदाद-ए-मोहब्बत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए 

दो दिन की मसर्रत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए 

जब जाम दिया था साक़ी ने जब दौर चला था महफ़िल में 

इक होश की साअत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए 

अब वक़्त के नाज़ुक होंटों पर मजरूह तरन्नुम रक़्साँ है 

बेदाद-ए-मशिय्यत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए 

एहसास के मय-ख़ाने में कहाँ अब फ़िक्र-ओ-नज़र की क़िंदीलें 

आलाम की शिद्दत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए 

कुछ हाल के अंधे साथी थे कुछ माज़ी के अय्यार सजन 

अहबाब की चाहत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए 

काँटों से भरा है दामन-ए-दिल शबनम से सुलगती हैं पलकें 

फूलों की सख़ावत क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए 

अब अपनी हक़ीक़त भी 'साग़र' बे-रब्त कहानी लगती है 

दुनिया की हक़ीक़त क्या कहिए कुछ याद रही कुछ भूल गए

साग़र सिद्दीक़ी
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तारों से मेरा जाम भरो मैं नशे में हूँ 
ऐ साकिनान-ए-ख़ुल्द सुनो मैं नशे में हूँ 

Fill my glass with stars, for I am drunk. 
Listen O heavenly beings for I am drunk. 

कुछ फूल खिल रहे हैं सर-ए-शाख़-ए-मय-कदा 
तुम ही ज़रा ये फूल चुनो मैं नशे में हूँ 

Some flowers are blooming in the tavern. 
You choose and pick these, I am drunk. 

ठहरो अभी तो सुब्ह का मारा है ज़ौ-फ़िशाँ 
देखो मुझे फ़रेब न दो मैं नशे में हूँ 

Wait, still he morning struck is aglow. 
Please don't deceive me, for I am drunk. 

नश्शा तो मौत है ग़म-ए-हस्ती की धूप में 
बिखरा के ज़ुल्फ़ साथ चलो मैं नशे में हूँ 

Being drunk is death in sun of life griefs. 
Join me with disheveled tress, I am drunk. 

मेला यूँ ही रहे ये सर-ए-रहगुज़ार-ए-ज़ीस्त 
अब जाम सामने ही रखो मैं नशे में हूँ 

Let this fair continue all along life. 
Keep wine cup in front, for I am drunk. 

पायल छनक रही है निगार-ए-ख़याल की 
कुछ एहतिमाम-ए-रक़्स करो मैं नशे में हूँ 

Anklets of thoughts are jingling afresh. 
Maintain dignity of dance for I am drunk. 

मैं डगमगा रहा हूँ बयाबान-ए-होश में 
मेरे अभी क़रीब रहो मैं नशे में हूँ 

I am unstable in the desert of sense. 
Just stay along with me for I  am drunk. 

है सिर्फ़ इक तबस्सुम-ए-रंगीं बहुत मुझे 
'साग़र' ब-दोश लाला-रुख़ो मैं नशे में हूँ 

Only a colourful youth is enough for me. 
'Saghar' on shoulder of red cheeks, I am drunk. 






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