Saturday 20 August 2022

MAJROOH SULTANPURI.. GHAZAL.. HAM HAIN MATAA-E-KOOCH- DEEWAR KII TARAH

हम हैं मता-ए-कूचा-ओ-बाज़ार की तरह 
Market's capital
उठती है हर निगाह ख़रीदार की तरह 
Street of thirst
इस कू-ए-तिश्नगी में बहुत है कि एक जाम 
Unexpected wealth
हाथ आ गया है दौलत-ए-बेदार की तरह 

वो तो कहीं है और मगर दिल के आस-पास 
Eye of beloved
फिरती है कोई शय निगह-ए-यार की तरह 
Path of love 
सीधी है राह-ए-शौक़ पे यूँही कहीं कहीं 
Curved.... Tress of belived
ख़म हो गई है गेसू-ए-दिलदार की तरह 
Spade of eye... Path of those gone by
बे-तेशा-ए-नज़र न चलो राह-ए-रफ़्तगाँ 
Footprint.. Great
हर नक़्श-ए-पा बुलंद है दीवार की तरह 
Method of madness
अब जा के कुछ खुला हुनर-ए-नाख़ून-ए-जुनूँ 
Heart wounds.. Lips andcheeks
ज़ख़्म-ए-जिगर हुए लब-ओ-रुख़्सार की तरह 

'मजरूह' लिख रहे हैं वो अहल-ए-वफ़ा का नाम 
Culprit
हम भी खड़े हुए हैं गुनहगार की तरह 


No comments:

Post a Comment