Thursday 27 October 2022

FAMOUS URDU COUPLETS

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए..... बशीर बद्र....

Let the glow of your memories be ever with me. 
Who knows, which lane marks the eve of life? 
  
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा 
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़.....

Besides love, there are other griefs in the age. 
In comforts besides union,
 one can engage.

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ 
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ ..... अहमद फ़राज़..... 

Be it enmity, come to aggrieve my heart. 
Come to me that you can again depart. 
  
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन 
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है ..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....

About truth of heaven, I am very well aware. 
But it's a joyous thought for 'Ghalib' to care ! 

कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब 
आज तुम याद बे-हिसाब आए 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Of world griefs, I was keeping the track. 
Your memories today, came back to back. 
  
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
..... राहत इन्दौरी.....

Go slow breaths, her memories have come to stay. 
Even the heart throbs disturb, when you pray.

हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम 
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता 
..... अकबर इलाहाबादी..... 

Even when I sigh, there's a bad name. 
She murders yet it's no rumour game. 

इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया 
वर्ना हम भी आदमी थे काम के 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Love left 'Ghalib' a man without business. 
Otherwise, me too was one with busyness. 
  
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा 
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं
..... मिर्ज़ा ग़ालिब.....

For her simplicity, who won't die O Lord?
She fights in the arena, holding no sword !

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का 
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

There's no difference in love between life and death. 
You live for the faithless , who
 steals your breath ! 

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले 
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है..... अल्लामा इक़बाल..... 

Raise your self esteem to the level that before fate. 
Lord would ask the man, what to write on your plate? 

होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है 
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है ..... निदा फ़ाज़ली..... 

What's frenzy, those with senses, don't know. 
Love first, then what's life, 
you would know. 

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 
..... अहमद फ़राज़..... 

We may meet in dreams, if we depart now. 
Like dried flowers found in a book, somehow. 
  
न जी भर के देखा न कुछ बात की 
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की 
..... बशीर बद्र..... 

Neither I could talk nor heartily see.
What a wish was there for meeting to be!

अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे 
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे 
..... वसीम बरेलवी..... 

How to hide what's evident from the face? 
As per your wish, how to mould the face? 

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं 
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

Some more worlds beyond stars exist 
In love, some  tests, still persist. 

मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर 
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया..... मजरूह सुल्तानपुरी.....

I was alone while moving towards goal. 
People joined for caravan
 as a whole.

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले 
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

There are a thousand desires, each worth dying for. 
My many desires were fulfilled but still not that far. 

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ 
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ ..... अनवर श'ऊर..... 

While sitting, suddenly I get silent too. 
Often I am not me, but become you. 

माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं 
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

Agreed that it's true, I am'nt worth being seen by you. 
My hobby is there to see and how I wait for thee. 

चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है 
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है ..... हसरत मोहानी..... 

I remember shedding tears, silently day 'n night
 I do still recollect that period 
of my love plight. 

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा..... साहिर लुधियानवी..... 

 When you can't extend, a story to it's end. 
Then it's better to leave, after a lovely bend. 

कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी 
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता 
..... बशीर बद्र..... 

Some compulsions must have been. 
None is faithless just for scene. 

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें 
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

Since long, I didn't remember you.
 And it's not true, that I forgot you. 
 
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं 
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है 
..... बशीर बद्र..... 

  
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं 

तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं 

फ़िराक़ गोरखपुरी
टैग्ज़ : आहट और 1 अन्य 
  
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं 

हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं 

जिगर मुरादाबादी
टैग्ज़ : प्रेरणादायक और 2 अन्य

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