Saturday 15 October 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +9 COUPLETS

आँख से दूर सही दिल से कहाँ जाएगा
जाने वाले तू हमें याद बहुत आएगा 
..... उबैदुल्ला रहीम..... 

May be far from eyes, where 'll you go from heart ? 
You 'll visit my memory, though you may depart. 

हर पत्ती बोझल हो के गिरी सब शाख़ें झुक कर टूट गईं 
उस बारिश ही से फ़स्ल उजड़ी जिस बारिश से तय्यार हुई 
..... फ़रहत अहसास..... 

Each leaf got heavy to break, all twigs bent to break. 
The rain that raised the harvest,razed it in it's stake. 

शायद वो दिन पहला दिन था यूँ पलकें बोझल होने का 
मुझ को देखते ही जब उस की अंगड़ाई शर्माई है..... जौन एलिया..... 

Probably it was the first day, when your eyelashes dropped. 
Looking at me, in shame, when her twisting limbs stopped. 

दिल हिज्र के दर्द से बोझल है अब आन मिलो तो बेहतर हो 
इस बात से हम को क्या मतलब ये कैसे हो ये क्यूँकर हो..... इब्न-ए-इंशा..... 

Heart is heavy with pain of departure,now it's better to meet, not torture. 
What's there in it of my concern, how 'n why are for you to  discern. 

किसी कली किसी गुल में किसी चमन में नहीं 
वो रंग है ही नहीं जो तिरे बदन में नहीं 
..... फ़रहत अहसास..... 

In garden, it exists in no bud, no flower. 
 There's no colour that's not in my lover. 

खिलना कम कम कली ने सीखा है 
उस की आँखों की नीम-ख़्वाबी से 
..... मीर तक़ी मीर..... 

The bud has learnt how to open with grace. 
From her half closed eyes, to a little trace. 

गुल के होने की तवक़्क़ो पे जिए बैठी है। हर कली जान को मुट्ठी में लिए बैठी है 
..... मह लक़ा चंदा..... 

With the hope to bloom, she lives in mist. 
Each bud is gripping her life  within fist. 

रात दिन गर्दिश में हैं सात आसमाँ 
हो रहेगा कुछ न कुछ घबराएँ क्या 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

All seven skies are revolving day and night. 
Why worry, what 's to happen, will happen, alright. 

तेरे पैमाने में गर्दिश नहीं बाक़ी साक़ी 
और तिरी बज़्म से अब कोई उठा चाहता है..... परवीन शाकिर..... 

There's no movement O wine girl, in your cup. 
From your meeting, now one wants to get up. 

इक तो हम को अदब आदाब ने प्यासा रक्खा 
उस पे महफ़िल में सुराही ने भी गर्दिश नहीं की..... अहमद फ़राज़..... 

I was kept thirsty by my  mannered ways. 
There was also no round of goblet that sways. 

 ऐ शख़्स मैं तेरी जुस्तुजू से 
बे-ज़ार नहीं हूँ थक गया हूँ 
..... जौन एलिया.....

O dear one! In your pursuit.
 I am not vexed, but tired O cute! 

दुश्मनी का सफ़र इक क़दम दो क़दम 
तुम भी थक जाओगे हम भी थक जाएँगे 
..... बशीर बद्र..... 

Journey of enmity is a step or two. 
You will get tired and me too. 

इस सफ़र में नींद ऐसी खो गई 
हम न सोए रात थक कर सो गई 
..... राही मासूम रज़ा..... 

In this journey, the sleep was so lost. 
Night got tired 'n slept not me at any cost. 

अजब चराग़ हूँ कि दिन रात जलता रहता हूँ 
मैं थक गया हूँ हवा से कहो बुझाए मुझे 
..... बशीर बद्र.... 

I am a strange lamp, day 'n night being aflame. 
I am tired, ask the wind, to 
put out the flame. 





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