Tuesday 4 October 2022

REKHTA.. TODAY'S 5 +13 COUPLETS 4.10.'22.

ज़रा सी चाय गिरी और दाग़ दाग़ वरक़ 
ये ज़िंदगी है कि अख़बार का तराशा है 
..... आमिर सुहैल..... 

A little tea spilt 'n spotted 
pages of book . 
Is it life or a chiselled  newspaper, I took? 

उफ़ वो मरमर से तराशा हुआ शफ़्फ़ाफ़ बदन 
देखने वाले उसे ताज-महल कहते हैं
..... क़तील शफ़ाई..... 

O this crafted marble body
 with dusk glow ! 
Those who see , call her Taj mahal on show. 

एक पत्थर की भी तक़दीर सँवर सकती है 
शर्त ये है कि सलीक़े से तराशा जाए 
..... मंज़ूर नदीम बालापुरी..... 

The fate of even a stone, can be drafted. 
Condition is, in a style it needs  be crafted. 

भूले हैं रफ़्ता रफ़्ता उन्हें मुद्दतों में हम 
क़िस्तों में ख़ुद-कुशी का मज़ा हम से पूछिए..... ख़ुमार बारहबंकवी..... 

I forgot her in lots of time that's gone. 
For suicide in instalments, ask me alone. 

रफ़्ता रफ़्ता सब तस्वीरें धुँदली होने लगती हैं 
कितने चेहरे एक पुराने एल्बम में मर जाते हैं..... ख़ुशबीर सिंह शाद..... 

All pictures get faded with times of past. 
How many faces in old album die fast ? 

नई सुब्ह पर नज़र है मगर आह ये भी डर है 
ये सहर भी रफ़्ता रफ़्ता कहीं शाम तक न पहुँचे..... शकील बदायूनी..... 

I look at new morn', but fear  persists as well. 
This dawn may be gone with the evening spell. 

रेल देखी है कभी सीने पे चलने वाली। 
याद तो होंगे तुझे हाथ हिलाते हुए हम। 
..... नौमान शौक़..... 

Have you ever seen a train moving on chest? 
My waving hand to you, in memories at best! 

कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से 
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो..... बशीर बद्र... 

None will even shake hand, if suddenly you embrace. 
It's a city of new mood, always keep some space. 

तुम तकल्लुफ़ को भी इख़्लास समझते हो 'फ़राज़' 
दोस्त होता नहीं हर हाथ मिलाने वाला 
..... अहमद फ़राज़..... 

Even formality is sincerity, 'Faraz' you understand. 
Every one who shakes hand, 
is not a friend. 

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा 
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

O God! Who won't die for this simplistic stand? 
She is fighting and there's no sword in her hand ! 

मैं भी हैरान हूँ ऐ 'दाग़' कि ये बात है क्या? 
वादा वो करते हैं आता है तबस्सुम मुझको।..... दाग़ देहलवी..... 

O Daagh ! I am surprised about the case. 
She promises 'n there's smile on my face. 

इश्वा भी है शोख़ी भी तबस्सुम भी हया भी 
ज़ालिम में और इक बात है इस सब के सिवा भी..... अकबर इलाहाबादी..... 

She is a beauty, naughty, mild smile and grace. 
And there's something else in that cuel face. 

हर मुसीबत का दिया एक तबस्सुम से जवाब 
इस तरह गर्दिश-ए-दौराँ को रुलाया मैं ने 
..... फ़ानी बदायूनी..... 

Every trouble was answered by one mild smile. 
This way, I made cruel world cry for a while. 

इतना सच बोल कि होंटों का तबस्सुम न बुझे 
रौशनी ख़त्म न कर आगे अँधेरा होगा 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Speak enough truth not to slip, smile from your lip. 
Don't let the light flip, 'cos it' ll be darkness to dip. 

बड़ा मज़ा हो जो महशर में हम करें शिकवा 
वो मिन्नतों से कहें चुप रहो ख़ुदा के लिए 
..... दाग़ देहलवी..... 

On doomsday my laments, will be a pleasure to take.
She' ll request 'n say, please be quiet for God's sake. 

महशर में इक सवाल किया था करीम ने 
मुझ से वहाँ भी आप की तारीफ़ हो गई 
..... अब्दुल हमीद अदम..... 

A question was asked by God  on doomsday. 
I had only your praise there also to say. 

हमें मालूम है हम से सुनो महशर में क्या होगा 
सब उस को देखते होंगे वो हम को देखता होगा..... जिगर मुरादाबादी..... 

Listen, I 'll tell you what' ll happen on doomsday. 
All will be looking towards 
her, she 'll look my way. 

देख दामन-गीर महशर में तिरे होवेंगे हम। 
ख़ूँ हमारा अपने दामन से न ऐ क़ातिल छुड़ा !..... आरिफ़ुद्दीन आज़िज़..... 

On the doomsday, I will be falling on your hem. 
O murderer ! Don't scrub my blood off your hem. 








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