Tuesday 25 January 2022

PUNDIT CHAKBAST.....26......... COUPLETS

जिस गोशा-ए-दुनिया में परस्तिश हो वफ़ा की।
काबा है वही और वही बुतख़ाना है मेरा। 

That part of world, who for being faithful pray. 
Is my Kaaba as well as my temple, so to say. 

जुनून-ए-हुब्ब-ए-वतन का मज़ा शबाब में है।
लहू में फिर ये रवानी रहे रहे न रहे। 

Craze for love of land, is in youth, a pleasure.
How long stays this flow in blood, a treasure .

 मिटने वालों को वफ़ा का ये सबक़ याद रहे।
बेड़ियाँ पैर में हों और दिल आज़ाद रहे। 

Let perishers for faith learn this lesson beyond reason. 
With chains in feet, heart should be out  of prison

चिराग़ क़ौम का रौशन है अर्श पर दिल के। 
इसे हवा के फ़रिश्ते बुझा नहीं सकते। 

The lamp of nation is alit in sky of heart.
 No storm angel can put it off even in part.

अहल-ए-हिम्मत मंज़िल-ए-मक़सूद तक आ ही गए।
बंदा-ए-तक़दीर क़िस्मत का गिला करते रहे।

While men of courage reached the desired goal. 
Those who followed fate, blamed it as a whole.

राहत से भी अज़ीज़ है राहत की आरज़ू। 
दिल ढूँढता है सिलसिला-ए-इंतिज़ार को।

Dearer than  happiness is to have it's desire.
It is perstent wait that heart wants to acquire.

कुछ दाग़ गुनाहों के हैं कुछ अश्क-ए-नदामत।
इबरत का मुरक़्क़ा है मेरे दामन-ए-तर में।

There are some stains of sin and of tears to repent.
My wet hem is a picture, a lesson with intent.

यह ग़लत है कि हमें तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ याद नहीं।
अब ये आलम है कि गुंजाइश-ए-फ़रियाद नहीं।

It is wrong that I forgot the style to weep. 
The state is, I don't want to pray for upkeep.

ज़िन्दगी क्या है अनासिर का निज़ाम-ए-तरतीब।
मौत क्या है इन्हीं अजज़ा का परेशाँ होना। 

Life is when constituent elements organise. 
When these disorganize, it is called demise. 

दुनिया से ले चला है जो तू हसरतों का बोझ। 
काफ़ी नहीं है सर पे गुनाहों का बार क्या

From world, why carry the load of desire ?
Isn't load of sins enough for you to tire ?

नया बिस्मिल हूँ मैं वाक़िफ़ ननहीं रस्म-ए-शहादत से।
बता दे तू ही ऐ ज़ालिम तड़पने की अदा क्या है ?

I am a new half-dead, am not  aware how to die ?
O tyrant! Why don't you tell me the style to cry ?

मुफ़लिसी मेरी मोहब्बत की कसौटी बन  गई। 
हिम्मत - ए-अहबाब के जौहर नुमाया हो गए।

Poverty became a touchstone of my love. 
It showed courage of friends over and above.

मेरे मज़हब में है वाइज़ तर्क - ए-मय-नोशी हराम।
छोड़ कर पीता हूँ फिर तौबा इसी का नाम है। 

O priest in my religion, leaving wine is a sin.
I leave to restart, to abstain is not dipping chin.

चमकता है शहीदों का लहू क़ुदरत के पर्दे में। 
शफ़क़ का हुस्न क्या है फूल की रंगीं क़बा क्या है ?

 Martyr's blood  in it's gale, glistens through nature's veil.
It's the twilight glow, coloured dress of a flower to show.

उलझ पड़ूँ किसी दामन से मैं वो ख़ार नहीं। 
वो फूल हूँ जो किसी के गले का हार नहीं। 
 Getting stuck with any hem, I am not such thorn. 
I am a flower unworthy of a garland since morn'.

 संतरी देख के इस जोश को शरमाएँगे।
गीत ज़ंजीर की झंकार पे हम गाएँगे। 

Guards'll be shy of our courage for long. 
On tinkling of chains we will sing song. 

क्या कहूँ कौन हवा सर में भरी रहती है। 
बे पिए आठ पहर बेख़बरी रहती है। 

What to say, which air is filling this head. 
Undrunk, all the time I am lost instead. 

अपने ही दिल का पियाला पिए मदहोश हूँ मैं। 
झूठी पीता नहीं मग़रिब की वो मयनोश हूँ मैं ।

Drawing from cup of my own heart, I am drunk. 
Used wine of west  isn't   choice of this drunk. 

आबरू क्या है, तमन्ना-ए-वफ़ा में मरना। 
दीन क्या है, किसी कामिल की परस्तिश करना। 

Regard is dying in desire to be a faithful man. 
Religion is to be of service to a learned man. 

दर-ए-तदबीर पर सर फोड़ना शेवा रहा अपना। 
वसीले हाथ ही आए न क़िस्मत आज़माई के। 

To bang head on the steps of effort is my style. 
I tested no fortune any time, even for a while. 

जब कोई ज़ुल्म नया करते हैं, फ़रमाते हैं 
"अगले वक्तों के हमें तर्ज़-ए-सितम याद नहीं"। 

With every new torture, this is what she has to say. 
"I neither recall earlier torture nor any earlier way. "

 मुफ़लिसी मेरी मोहब्बत की कसौटी बन गई। 
हिम्मत-ए-अहबाब के जौहर नुमायाँ हो गए। 

Touchstone  of love was my being poor. 
Courage of friends was  silent approver. 

शिरकत-ए-ग़म की अज़ीज़ों से तमन्ना क्या हो ? 
इम्तिहाँ इन की वफ़ा का मुझे मंज़ूर नहीं। 

Why desire for friends to share my pain ? 
I do not like to test their faith in vain. 

अब की तो शाम-ए-ग़म की सियाही कुछ और है। 
मंज़ूर है तुझे मेरे परवरदिगार क्या ? 

Different is darkness of grief this eve, it's accord. 
What's acceptable to you is what 'll happen O Lord ! 

मेरे अहबाब पेश आते हैं मुझ से बेवफ़ाई से। 
वफ़ादारी में शायद कर रहे हैं इम्तिहाँ मेरा। 

With faithlessness my relatives face. 
Probably testing my faith, in case. 

ज़िन्दगी नाम था जिसका उसे खो बैठे हम। 
अब उम्मीदों की फ़क़त जलवागरी बाक़ी है। 

We have lost what used to be life by name. 
Exhibition of desires still remains in game. 





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