Monday 24 January 2022

SOME COUPLETS.. SOME POETS....25.......

ख़फ़ा हैं फिर भी आकर छेड़ जाते हैं तसव्वुर में।
हमारे हाल पर कुछ मेहरबानी अब भी होती है।.......... अख़्तर शीरानी.......

She is angry but teases me still in dreams. 
On my state her kindness remains, it seems.

कोई तोहमत हो मिरे नाम चली आती है। 
जैसे बाज़ार में हर एक गली आती है। 
........... अंजुम ख़याली ............ 

Whatever be the blame, it seeks my name. 
As into market main, reaches every single lane. 

कमाल-ए-इश्क़ तो देखो वो आ गए लेकिन।
वही है शौक़ वही इंतिज़ार बाक़ी है। 
........ जलील मानिकपुरी ........

It's a feat of love that even after she came. 
I was waiting still, desires were same. 

उलझते रहने में कुछ भी नहीं थकन के सिवा। 
बहुत हक़ीर हैं हम तुम बड़ी है ये दुनिया। 
........... महबूब ख़िज़ाँ........

Entangling with it will exhaust our sheen.
So vast is the world, we are so mean. 

इश्क़ मुझको नहीं वहशत ही सही।
मेरी वहशत तिरी शोहरत ही सही। 

Not love but barbaric in name.
Let my wildness be your fame. 

रूठे लोगों को मनाने में मज़ा आता है। 
जान कर आप को नाराज़ किया है मैंने। 
............ फ़बाद अहमद.......... 

 It's a pleasure to make the angry at ease.
I knew  but to you I wanted to tease.

इश्क़ भी है किस क़दर बर-ख़ुद-ग़लत।
उन की बज़्म - ए-नाज़ और ख़ुद्दारियाँ।

How wrong is love within itself. 
Her gathering and a thought of self.

कितने नादाँ हैं तुझे भूलने वाले कि तुझे। 
याद करने के लिए उम्र पड़ी हो जैसे। 
............... अहमद फ़राज़...........

How innocent are those who want to forget you. 
They think a lifetime is enough to get you 

अब उन दरीचों पे गहरे दबीज़ पर्दे हैं।
वो ताँक झाँक का मासू़म सिलसिला भी गया।......... परवीन शाकिर.............

 Now there are thick, deep coloured curtains on windows. 
Gone are occasional innocent sequence of face shows.

तमन्ना जो न रखता हो झुकाए वो नज़र किस से। 
उसे शादी-ओ-ग़म किस से उसे सूद-ओ-ज़रर किस से।..... तस्वीर देहलवी.....

One who has no desire, why should his eyes down toss. 
With whom should he have pain, pleasure, interest, loss. 

 आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं।
सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं।..... हैरत इलाहाबादी.......

About time of his death, no human is aware. 
Make up for century, moment's notice isn't there.

फट पड़ा इक आसमाँ बुलबुल के दिल पर रात को। 
रख दिया फूलों पे मुँह शबनम ने जिस दम प्यार से।...... साक़िब लखनवी....

It was shock of life for nightingale that night. 
Dew drops lovingly lipping flowers in sight. 

गुलशन से उठ के मेरा मकाँ दिल में आ गया। 
इक दाग़ बन गया है नशेमन जला हुआ। 
........... साक़िब लखनवी.........

My home has shifted from garden to heart. 
That burnt out nest is a scar from start. 

बहारों में ये होश ही कब रहा था ?
कि जलती है क्या शै, कहाँ आशियाँ है? ...... मदहोश ग्वालियरी.......

In spring, who had sense at best ?
What is burning, where is nest?

उस साल फ़स्ल-ए-गुल में उजड़ा था बनते बनते।
रहता तो आशियाँ को अब एक साल होता।...... आसी लखनवी.........

Scattered while making in spring that year. 
Had it been, my nest would be year old dear ,!

जब मैं नहीं तो बाग़ में इसका मुक़ाम क्यों ?
अच्छा हुआ कि लग गई आग आशियाने में।..... साक़िब लखनवी...........

In my absence, why only that should survive ?
It's good that in fire, my nest didn't thrive.

तामीर-ए-आशियाँ से मैंने ये राज़ पाया।
अहल-ए-नवा के हक़ में बिजली है आशियाना।....... इक़बाल........

While making my home, I could find O lark !
That a singer's nest is within range of spark. 

हो गए बरसों कि आँखों की खटक जाती रही।
जब कोई तिनका उड़ा घर अपना याद आया मुझे।..... साक़िब लखनवी......

It's been years, in eyes irritants don't roam. 
When a straw got air bound I remembered home. 

गुलशन बहार पर था नशेमन बना लिया। 
मैं क्यों हुआ असीर मिरा क्या क़ुसूर था ?

I made my nest, in garden there was spring. 
Why was I imprisoned? For what ? Which thing ?

निशान-ए-बर्ग-ए-गुल तक भी न छोड़ इस बाग़ में गुलचीं।
तेरी क़िस्मत से रज़्म आराइयाँ हैं बाग़बानों में।.... इक़बाल......

O destroyer ! Don't leave a flower petal in the garden.
It's your luck that there are quarrels in the garden. 

मिरी क़ैद का दिल-शिकन माजरा था।
बहार आई थी, आशियाँ बन चुका था।

Being captured was a heart breaking thing. 
My nest was made and there was spring. 

हमीं नावाक़िफ़-ए-रस्म-चमन थे ऐ क़फ़स वालो।
फ़लक से अहद ले लेते तो फ़िक्र-ए-आशियाँ करते।.... आसी लखनवी...

O prison mates ! I knew not the garden customs well nigh.
I should have made the nest after  a promise from sky.

सियाह-बख़्त में कब कोई किसी का साथ देता है ?
कि तारीकी में साया भी जुदा होता है इंसाँ से।....... नासिख़........

When your fate is bad, none is on your side. 
In dark even your own shadow stands aside. 

दें ग़ैर दुश्मनी का हमारी ख़याल छोड़। 
याँ दुश्मनी के वास्ते काफ़ी हैं यार बस। 
........... हाली..........

Let rivals for enmity pay no heed.
My friends here 'll fulfill the need.

बहुत उम्मीद थी जिन से हुए वो मेहरबाँ क़ातिल। 
हमारे क़त्ल करने को बने ख़ुद पासबाँ क़ातिल। 

I was killed by those from whom I had hope. 
My murder was planned by guardians, what hope ? 

No comments:

Post a Comment