Monday 21 November 2022

FAMOUS URDU COUPLETS

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए ..... बशीर बद्र..... 

Let the glow of your memories be ever with me. 
Who knows which lane marks the eve' of life? 
  
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा 
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Many griefs other than love exist. 
Reliefs other than meetings persist. 
 
रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ 
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ ..... अहमद फ़राज़..... 

Be it enmity, come to give some pain. 
Come in order to leave me alone again. 
  
हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन 
दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है ..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

I am aware of truth about heaven very well. 
'Ghalib' to keep heart happy, it's a nice spell. 
 
कर रहा था ग़म-ए-जहाँ का हिसाब 
आज तुम याद बे-हिसाब आए 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

I was maintaining world grief account. 
Today your memories came beyond count. 
  
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो 
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है ..... राहत इन्दौरी..... 

Her memories have arrived , O breaths go slow. 
Disturbance by heart throbs in prayers grow. 
  
हम आह भी करते हैं तो हो जाते हैं बदनाम 
वो क़त्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता 
..... अकबर इलाहाबादी..... 

Even with sighs I get a bad name. 
By murder none on her lays claim. 
  
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया 
वर्ना हम भी आदमी थे काम के 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Love made 'Ghalib' a useless man. 
Or else anything he too can. 
  
इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा 
लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

Who won't die on this simplicity O Lord. 
She is fighting without a hand on sword. 

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का 
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले ..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

There's no difference in love between life and death. 
The same infidel breathes life, stifles breath. 

ख़ुदी को कर बुलंद इतना कि हर तक़दीर से पहले 
ख़ुदा बंदे से ख़ुद पूछे बता तेरी रज़ा क्या है ..... अल्लामा इक़बाल..... 

Raise self esteem so much that before writing fate. 
God asks the man what to serve on his plate. 
  
होश वालों को ख़बर क्या बे-ख़ुदी क्या चीज़ है 
इश्क़ कीजे फिर समझिए ज़िंदगी क्या चीज़ है ..... निदा फ़ाज़ली..... 

About frenzy those with senses don't know. 
Love and then life senses would grow. 
 
अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 
..... अहमद फ़राज़..... 

If now we part, only in dreams we'll meet.
 Just like dried flowers in book paper sheet. 
  
न जी भर के देखा न कुछ बात की 
बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की 
..... बशीर बद्र..... 

Neither I could talk nor fully see
What a desire was with her to be. 
  
अपने चेहरे से जो ज़ाहिर है छुपाएँ कैसे 
तेरी मर्ज़ी के मुताबिक़ नज़र आएँ कैसे 
..... वसीम बरेलवी..... 

What's evident from face is hard to conceal. 
How to look the way, you like
  to reveal. 
  
सितारों से आगे जहाँ और भी हैं 
अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

The worlds beyond stars do exist. 
In love many tests yet persist. 
  
मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर 
लोग साथ आते गए और कारवाँ बनता गया ..... मजरूह सुल्तानपुरी..... 

Alone I started moving towards the goal. 
People are came and a caravan was on roll. 
  
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले 
बहुत निकले मिरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले ..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

A thousand desires each worth dying for. 
Many desires were fulfilled yet I longed for. 
  
अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ 
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ ..... अनवर शऊर .... 

While seated, at times I lose control. 
I am no longer me, just take your role. 
 
माना कि तेरी दीद के क़ाबिल नहीं हूँ मैं 
तू मेरा शौक़ देख मिरा इंतिज़ार देख 
..... अल्लामा इक़बाल..... 

It's true that I am, not worth an aim
You look at my zeal, my waiting feel. 
  
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है 
हम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है ..... हसरत मोहानी..... 

Silently shedding tears day in and day out. 
I still recall the  love period, it's delight. 
  
एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें 
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

Since long your memories were not in time frame. 
But  that I forgot you, is not a true claim. 

वो अफ़्साना जिसे अंजाम तक लाना न हो मुमकिन 
उसे इक ख़ूब-सूरत मोड़ दे कर छोड़ना अच्छा ..... साहिर लुधियानवी..... 

A story which can't  reach a proper end. 
It's good to leave it with a lovely bend. 
 
कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगी 
यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता 
..... बशीर बद्र....

Some compulsions must have been. 
None is faithless just for scene. 
 
ज़िंदगी तू ने मुझे क़ब्र से कम दी है ज़मीं 
पाँव फैलाऊँ तो दीवार में सर लगता है 
..... बशीर बद्र..... 

O life you allotted space lesser than grave bed. 
As I stretch my limbs, against wall bangs head. 
  
बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं 
तुझे ऐ ज़िंदगी हम दूर से पहचान लेते हैं 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

I recognise her footfall from afar. 
O life ! I can recognise you from far. 

हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहीं 
हम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं 
..... जिगर मुरादाबादी.....

To erase me is not a within the capacity of world. 
The world is in my control, not me in control of world. 
 
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के 
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Losing both the worlds in your love fight. 
He is leaving after pending a grief full night, 
  
किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम 
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ 
..... अहमद फ़राज़..... 

To how many persons can I tell reasons to part. 
If you are angry with me, come for their part. 
  
ज़िंदगी ज़िंदा-दिली का है नाम 
मुर्दा-दिल ख़ाक जिया करते हैं 
..... इमाम बख़्श नासिख़..... 

To be lively is life's name. 
Dead hearted can dust claim. 

जहाँ रहेगा वहीं रौशनी लुटाएगा 
किसी चराग़ का अपना मकाँ नहीं होता 
..... वसीम बरेलवी..... 

Where ever alit, it will emit light. 
No lamp is confined to a home tight. 
व्याख्या

इस शे’र में कई अर्थ ऐसे हैं जिनसे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वसीम बरेलवी शे’र में अर्थ के साथ कैफ़ियत पैदा करने की कला से परिचित हैं। ‘जहाँ’ के सन्दर्भ से ‘वहीं’ और इन दोनों के सन्दर्भ से ‘मकाँ’, ‘चराग़’ के सन्दर्भ से ‘रौशनी’ और इससे बढ़कर ‘किसी’ ये सब ऐसे लक्षण हैं जिनसे शे’र में अर्थोत्पत्ति का तत्व पैदा हुआ है।

शे’र के शाब्दिक अर्थ तो ये हो सकते हैं कि चराग़ अपनी रौशनी से किसी एक मकाँ को रौशन नहीं करता है, बल्कि जहाँ जलता है वहाँ की फ़िज़ा को प्रज्वलित करता है। इस शे’र में एक शब्द 'मकाँ' केंद्र में है। मकाँ से यहाँ तात्पर्य मात्र कोई ख़ास घर नहीं बल्कि स्थान है।

अब आइए शे’र के भावार्थ पर प्रकाश डालते हैं। दरअसल शे’र में ‘चराग़’, ‘रौशनी’ और ‘मकाँ’ की एक लाक्षणिक स्थिति है। चराग़ रूपक है नेक और भले आदमी का, उसके सन्दर्भ से रोशनी रूपक है नेकी और भलाई का। इस तरह शे’र का अर्थ ये बनता है कि नेक आदमी किसी ख़ास जगह नेकी और भलाई फैलाने के लिए पैदा नहीं होते बल्कि उनका कोई विशेष मकान नहीं होता और ये स्थान की अवधारणा से बहुत आगे के लोग होते हैं। बस शर्त ये है कि आदमी भला हो। अगर ऐसा है तो भलाई हर जगह फैल जाती है।

शफ़क़ सुपुरी
  
राह-ए-दूर-ए-इश्क़ में रोता है क्या 
आगे आगे देखिए होता है क्या 
..... मीर तक़ी मीर..... 

Love route is long, why do you cry. 
Just look at what comes ahead 'n why. 
  
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है 
जाने न जाने गुल ही न जाने बाग़ तो सारा जाने है ..... मीर तक़ी मीर.....

Each leaf and each plant, can my state of art chant. 
 Only the flower doesn't know,  garden knows in flow. 

ऐ मोहब्बत तिरे अंजाम पे रोना आया 
जाने क्यूँ आज तिरे नाम पे रोना आया 
..... शकील बदायूनी..... 

O love! On your dismal end I cry. 
I know not why in your name I cry. 
  
बड़े लोगों से मिलने में हमेशा फ़ासला रखना 
जहाँ दरिया समुंदर से मिला दरिया नहीं रहता ..... बशीर बद्र..... 

Keep a distance when  big wigs you meet. 
It loses it's name, when rivers sea meet. 

दिल में किसी के राह किए जा रहा हूँ मैं 
कितना हसीं गुनाह किए जा रहा हूँ मैं 
..... जिगर मुरादाबादी....

I am making inroads in some heart. 
What a lovely sin it is, on my part. 
  
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओ 
मिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है 
..... मुस्तफ़ा ज़ैदी..... 

If you can walk on these stones then roam. 
There's no galaxy enroute my home. 
  
सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ 
ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ ..... ख़्वाजा मीर दर्द..... 

Roam the world O unconscious, life is no more. 
Even if it's there, youth is no more. 
 
नहीं आती तो याद उन की महीनों तक नहीं आती 
मगर जब याद आते हैं तो अक्सर याद आते हैं ..... हसरत मोहानी..... 

When not in memory, it's for months at a stretch.
When she crowds memory, it's a usual sketch. 
  
ये इश्क़ नहीं आसाँ इतना ही समझ लीजे 
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है ..... जिगर मुरादाबादी..... 

Love isn't easy, just keep it in mind. 
It's a river afire, submerged you find. 
  
कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता 
कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता 
..... निदा फ़ाज़ली....

No one gets a world complete. 
Either earth or sky is deplete. 
  
मिलाते हो उसी को ख़ाक में जो दिल से मिलता है 
मिरी जाँ चाहने वाला बड़ी मुश्किल से मिलता है ..... दाग़ देहलवी..... 

You raze him to dust, who meets your heart first. 
My love the loving kind, is very difficult to find. 

ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होता 
अगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

A meeting with my love, well it was not so slated. 
Had I lived any longer, 'morrow was to be dated. 
  
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन 
दो आरज़ू में कट गए दो इंतिज़ार में 
..... सीमाब अकबराबादी..... 

I had simply borrowed a life of four days. 
Two were lost in desire, two in waiting ways. 
 
अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वो 
और ये भी देखते हैं कोई देखता न हो 
..... निज़ाम रामपुरी...... 

Inside the mirror, she looks at her own style. 
That none is looking, keeps tab all the while. 
 
हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी 
जिस को भी देखना हो कई बार देखना 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Within each man there are ten or twenty more. 
See several times, if you want to see the core. 
  
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नज़रों ने 
लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई 
..... मुज़फ़्फ़र रज़्मी....

The eyes of time have seen  such a force. 
For a moment 's fault, centuries suffered of course. 
  
वफ़ा करेंगे निबाहेंगे बात मानेंगे 
तुम्हें भी याद है कुछ ये कलाम किस का था ..... दाग़ देहलवी..... 

I' ll remain loyal, keep tags and always agree. 
Do you recollect, who served this degree? 
  
यहाँ लिबास की क़ीमत है आदमी की नहीं 
मुझे गिलास बड़े दे शराब कम कर दे 
..... बशीर बद्र..... 

People are here care not for man but his dress. 
You give me a big glass with a little wine to impress. 
  
तुम मुख़ातिब भी हो क़रीब भी हो 
तुम को देखें कि तुम से बात करें 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 

You are addressing me and are near. 
Should I talk or look at you my dear? 

व्याख्या

इस शे’र में एक तरह की दिलचस्प उलझन भी है और इस उलझन में लज़्ज़त भी है। लुत्फ़ की बात ये है कि शायर का महबूब उससे बात भी करता है और उसके पास बैठा भी है। यानी मिलन की स्थिति है। मगर उलझन इस बात की है कि शायर अपने महबूब से बात करे कि वो उसको देखता रहे। यानी वह एक ही समय में तीनों बातों का आनंद उठाना चाहता है। वो अपने महबूब के निकटता भी चाहता है। उसकी बातें सुनके आनंद भी उठाना चाहता है और जब ये कहा कि तुमसे बात करें तो यह स्पष्ट हुआ कि वो अपने महबूब से अपने दिल की बात भी कहना चाहता है। मगर उसे असली खुशी तो महबूब को देखने से ही मिलती है।

शफ़क़ सुपुरी


दोस्ती जब किसी से की जाए 
दुश्मनों की भी राय ली जाए 
..... राहत इन्दौरी..... 

When you want to make friends. 
From the enemies seek amends. 
 
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सा 
मुझ को ग़ुस्से पे प्यार आता है 
..... अमीर मीनाई..... 

You are angry on my love. 
Your anger is what I  love. 

मुसाफ़िर हैं हम भी मुसाफ़िर हो तुम भी 
किसी मोड़ पर फिर मुलाक़ात होगी 
..... बशीर बद्र....

You are a traveller and so am I. 
On some bend 'll meet again with a sigh. 
  
तुम ज़माने की राह से आए 
वर्ना सीधा था रास्ता दिल का 
..... बाक़ी सिद्दीक़ी..... 

You took the worldly route. 
Way to heart was straight O cute. 
 
वो बात सारे फ़साने में जिस का ज़िक्र न था 
वो बात उन को बहुत ना-गवार गुज़री है 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

A talk that was not a part of the tale. 
Has tormented her in it's trail. 

हमें भी नींद आ जाएगी हम भी सो ही जाएँगे 
अभी कुछ बे-क़रारी है सितारो तुम तो सो जाओ 
..... क़तील शफ़ाई..... 

 The sleep will come, me too will sleep. 
There's a little unease, O stars you sleep. 

वो आए घर में हमारे ख़ुदा की क़ुदरत है 
कभी हम उन को कभी अपने घर को देखते हैं 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब....

She has come to my home, what a blessing of God ! 
I look at times at her and
 then at my home O God ! 
  
गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौ-बहार चले 
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Instilling colours in flowers, the spring is on move. 
You come and let the garden business improve. 
  
ग़ैरों से कहा तुम ने ग़ैरों से सुना तुम ने 
कुछ हम से कहा होता कुछ हम से सुना होता ..... चराग़ हसन हसरत..... 

To others you hadsaid, from others you had heard. 
To me you could say, from me you could have heard. 

कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक से 
ये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो..... बशीर बद्र....

None will shake even hand, if suddenly you embrace. 
It's a city of new mood, keep some distance in place. 
  
पूछा जो उन से चाँद निकलता है किस तरह 
ज़ुल्फ़ों को रुख़ पे डाल के झटका दिया कि यूँ ..... आरज़ू लखनवी..... 

When I asked her, how moon appears in sky? 
Let tress loose on face, gave a jerk with a sigh. 

हम से क्या हो सका मोहब्बत में 
ख़ैर तुम ने तो बेवफ़ाई की 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी..... 
How could I conduct in love. 
You were faithless, exact in love. 
 
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है 
सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है 
..... जिगर मुरादाबादी..... 

Of the word love, a little story
 is on my part. 
Stretched over world,confined to lover's heart. 
  
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा 
कुछ ने कहा ये चाँद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा ..... इब्न-ए-इंशा..... 

Yester moon of fourteenth night, you were talked about all night
Some said that it was  moon, others said it was your face bright. 

तुम से बिछड़ कर ज़िंदा हैं 
जान बहुत शर्मिंदा हैं 
..... इफ़्तिख़ार आरिफ़....

Departed with you and alive.
 O dear! I am sorry to survive. 
 
कैसे आकाश में सूराख़ नहीं हो सकता 
एक पत्थर तो तबीअ'त से उछालो यारो 
..... दुष्यंत कुमार..... 

How won't  there be a hole in the sky? 
With fervour, throw a stone real high. 
 
झुकी झुकी सी नज़र बे-क़रार है कि नहीं 
दबा दबा सा सही दिल में प्यार है कि नहीं ..... कैफ़ी आज़मी....

A downcast glance, it's an uneasy stance. 
Whether partly repressed, is love expressed? 
  
कह रहा है शोर-ए-दरिया से समुंदर का सुकूत 
जिस का जितना ज़र्फ़ है उतना ही वो ख़ामोश है ..... नातिक़ लखनवी..... 

To stream on roar, says 
sea near shore. 
To capacity's extent, is the silence content. 
 
मकतब-ए-इश्क़ का दस्तूर निराला देखा 
उस को छुट्टी न मिले जिस को सबक़ याद रहे ..... मीर ताहिर अली रिज़वी..... 

A strange custom prevails in love school.
 Those who learn message can't leave school. 
 
बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब' 
कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब..... 

'Ghalib' senselessness isn't for nothing. 
In order to conceal  there is  something. 
  
उल्टी हो गईं सब तदबीरें कुछ न दवा ने काम किया 
देखा इस बीमारी-ए-दिल ने आख़िर काम तमाम किया ..... मीर तक़ी मीर..... 

All attempts were reversed, medicine failed to affect. 
Look how this heart disease brought a death effect. 
  
नाज़ुकी उस के लब की क्या कहिए 
पंखुड़ी इक गुलाब की सी है 
..... मीर तक़ी मीर..... 

What to say about her delicate lips?
 It's a petal of rose which flips. 

तिरे माथे पे ये आँचल बहुत ही ख़ूब है लेकिन 
तू इस आँचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था 
..... असरार-उल-हक़ मजाज़..... 

Your  head cover, looks so fine to a lover
If a flag was made, refuge 'd have stayed. 
 
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है 
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा..... अल्लामा इक़बाल..... 

Daffodil for a thousand years, cries that her looks bring tears.
It's a very difficult time, an observer comes to garden in prime. 

 
जब भी आता है मिरा नाम तिरे नाम के साथ 
जाने क्यूँ लोग मिरे नाम से जल जाते हैं 
..... क़तील शफ़ाई..... 

Whenever my name is annexed with your name. 
I know not why, they are inflamed with my name. 
  
आईना क्यूँ न दूँ कि तमाशा कहें जिसे 
ऐसा कहाँ से लाऊँ कि तुझ सा कहें जिसे 
..... मिर्ज़ा ग़ालिब....

Why not give a mirror that is called a show. 
How to have one, who can match you in show. 
  
ज़िंदगी क्या किसी मुफ़लिस की क़बा है जिस में 
हर घड़ी दर्द के पैवंद लगे जाते हैं 
..... फ़ैज़ अहमद फ़ैज़..... 

Is life the dress of a poor man in which?
Each time , is needed a pain patch stitch. 
 
मोहब्बत करने वाले कम न होंगे 
तिरी महफ़िल में लेकिन हम न होंगे 
..... हफ़ीज़ होशियारपुरी ..... 

 People who love, would not 
be less.
But to your gathering I won't address. 
  
कुछ तुम्हारी निगाह काफ़िर थी 
कुछ मुझे भी ख़राब होना था 
..... असरार-उल-हक़ मजाज़..... 

Some faithless glance you had. 
And me too, wanted to be 
 bad. 
  
हम हुए तुम हुए कि 'मीर' हुए 
उस की ज़ुल्फ़ों के सब असीर हुए 
..... मीर तक़ी मीर..... 

'Mir', you or me to address. 
All are captives of her tress. 
 
दिया ख़ामोश है लेकिन किसी का दिल तो जलता है 
चले आओ जहाँ तक रौशनी मा'लूम होती है..... नुशूर वाहिदी..... 

Lamp is silent but alit is the heart. 
As far as is light, move to be it's part. 
  
दिल अभी पूरी तरह टूटा नहीं 
दोस्तों की मेहरबानी चाहिए 
..... अब्दुल हमीद अदम..... 

Break of heart is not yet complete.
 Some kindness of friends 
'd meet. 
 
सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है 
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है ..... बिस्मिल अज़ीमाबादी..... 

A desire for sacrifice is in my heart now. 
Power of murderer' s arms 'll be seen somehow. 

अब तो जाते हैं बुत-कदे से 'मीर' 
फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया 
..... मीर तक़ी मीर..... 

' Mir' now leaves the temple estate. 
'll meet again if God wills O mate. 
  
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें 
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए 
..... निदा फ़ाज़ली..... 

Mosque is far from home, let's do. 
Make a crying child laugh here too. 
  
ग़रज़ कि काट दिए ज़िंदगी के दिन ऐ दोस्त 
वो तेरी याद में हों या तुझे भुलाने में 
..... फ़िराक़ गोरखपुरी.... 

O chum I have somehow spent life days. 
Whether to forget or remember you in ways. 
 
सुर्ख़-रू होता है इंसाँ ठोकरें खाने के बा'द 
रंग लाती है हिना पत्थर पे पिस जाने के बा'द 
सय्यद ग़ुलाम मोहम्मद मस्त कलकत्तवी

After stumbles, man gets red face tone. 
Henna colour appears crushing on stone. 
 
ढूँड उजड़े हुए लोगों में वफ़ा के मोती 
ये ख़ज़ाने तुझे मुमकिन है ख़राबों में मिलें 
.... अहमद फ़राज़..... 

Search for pearls of faith in ruined men. 
These treasures may be in ruins then. 
  
आगाह अपनी मौत से कोई बशर नहीं 
सामान सौ बरस का है पल की ख़बर नहीं..... हैरत इलाहाबादी..... 

No man is aware of the time of death. 
Last a hundred years, no next breath. 
  
क़ैस जंगल में अकेला है मुझे जाने दो 
ख़ूब गुज़रेगी जो मिल बैठेंगे दीवाने दो 
..... मियाँ दाद ख़ां सय्याह..... 

Let me go, Qais is in jungle alone. 
'll go well in frentics of same tone. 
  
सुब्ह होती है शाम होती है 
उम्र यूँही तमाम होती है 
..... मुंशी अमीरुल्लाह तस्लीम..... 

Morning comes, evening is next bend. 
That's how this life we do spend. 



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