Saturday 12 November 2022

BASHIR BADR.. GHAZAL

ग़ज़लों का हुनर अपनी आँखों को सिखाएँगे 

रोएँगे बहुत लेकिन आँसू नहीं आएँगे 

कह देना समुंदर से हम ओस के मोती हैं 

दरिया की तरह तुझ से मिलने नहीं आएँगे 

वो धूप के छप्पर हों या छाँव की दीवारें 

अब जो भी उठाएँगे मिल जुल के उठाएँगे 

जब साथ न दे कोई आवाज़ हमें देना 

हम फूल सही लेकिन पत्थर भी उठाएँगे

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