Sunday 27 November 2022

TAALIB BAAGHPATI.. GHAZAL..

यूँ भी तिरा एहसान है आने के लिए आ 

ऐ दोस्त किसी रोज़ न जाने के लिए आ 

हर-चंद नहीं शौक़ को यारा-ए-तमाशा 
Although /joy/capacity to watch
ख़ुद को न सही मुझ को दिखाने के लिए आ 

ये उम्र, ये बरसात, ये भीगी हुइ रातें 

इन रातों को अफ़्साना बनाने के लिए आ 

जैसे तुझे आते हैं न आने के बहाने excuse

ऐसे ही बहाने से न जाने के लिए आ 

माना कि मोहब्बत का छुपाना है मोहब्बत 

चुपके से किसी रोज़ जताने के लिए आ 
Emphasise
तक़दीर भी मजबूर है, तदबीर भी मजबूर 

इस कोहना अक़ीदे को मिटाने के लिए आ old beliefs

आरिज़ पे शफ़क़, दामन-ए-मिज़्गाँ में सितारे 

यूँ इश्क़ की तौक़ीर बढ़ाने के लिए आ 
Prestige 
'तालिब' को ये क्या इल्म, करम है कि सितम है 

जाने के लिए रूठ, मनाने के लिए आ

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